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पंजाब कांग्रेस के मुख्यमंंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके विधायक नवजोत सिंह सिद्धू के बीच खींचतान, 3 सदस्यीय कमेटी करेगी वन-टू-वन

4 years ago
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मुख्यमंत्री और सिद्धू के बीच सुलह के आसार नहीं, कैबिनेट में शामिल हो सकते  हैं राणा - 24Ghante Online | DailyHunt

 

 

 

चंडीगढ़ 31 मई 2021/     मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उन्हीं की कैबिनेट के मंत्री रह चुके नवजोत सिंह सिद्धू में चल रही तनातनी से निपटने की कवायद शुरू हो चुकी है। इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। साथ ही सूबे के मंत्री-विधायकों को दिल्ली तलब किया गया है। सोमवार को नवजोत सिंह सिद्धू समेत सूबे के 25 मंत्री-विधायक दिल्ली पहुंच गए हैं। वहां इनके साथ विशेष कमेटी आज से एक-एक कर बात करेगी। बाकी मंत्रियों और विधायकों से कमेटी मंगलवार को मिलेगी।

तीन सदस्यीय कमेटी में खड़गे, अग्रवाल और रावत शामिल

कांग्रेस में चल रही इस अंतरकलह को खत्म करने के लिए हाईकमान ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। मल्लिकार्जुन खड़गे, जय प्रकाश अग्रवाल और हरीश रावत वाली इस कमेटी ने कांग्रेस नेताओं के साथ ली जाने वाली फीडबैक बैठक को तीन हिस्सों में बांटा है। एक हिस्से में मंत्री और विधायक हैं। दूसरे हिस्से में पार्टी के सांसद, राज्यसभा सदस्य और प्रदेश प्रधान हैं और तीसरे चरण में कमेटी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी बात की जा सकती है। हालांकि यह अभी तय नहीं है कि कमेटी मुख्यमंत्री के साथ कब बैठक करेगी।

इससे पहले ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में होने वाली सोमवार को पहले चरण की बैठक के लिए नवजोत सिंह सिद्धू समेत 10 के करीब विधायक रविवार शाम को ही दिल्ली पहुंच गए थे। यह अलग बात है कि सिद्धू को पहले दिन मिलने वाले विधायकों की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है। सिद्धू मंगलवार को कमेटी के सामने पेश होंगे। इस दिन 8 मंत्री और बाकी के विधायक कमेटी के सामने पेश होंगे।

पंजाब में कांग्रेस के 80 विधायक हैं। वहीं, पार्टी ने मंत्रियों व विधायकों को बुलाने में भी संतुलन बनाने की कोशिश की है। कमेटी ने एक जोन के विधायकों को एक बार में नहीं, बल्कि माझा, दोआबा और मालवा के विधायकों को एक साथ बुलाया है, ताकि हरेक जोन का सही फीडबैक कमेटी तक पहुंचे।

आज की लिस्ट में हैं इन मंत्री-विधायकों के नाम
सोमवार को पहले चरण की बैठक में शामिल होने वाले कैबिनेट मंत्रियों में ब्रह्म मोहिंद्रा, मनप्रीत बादल, ओपी सोनी, साधु सिंह धर्मसोत, सुंदर शाम अरोड़ा, अरुणा चौधरी, सुखजिंदर रंधावा, बलबीर सिंह सिद्धू शामिल हैं, जबकि स्पीकर राणा केपी सिंह के अलावा, विधायकों में राणा गुरजीत सिंह, रणदीप सिंह नाभा, संगत सिंह गिलजियां, गुरकीरत कोटली, कुलजीत नागरा, पवन आदिया, राजकुमार वेरका, इंदरबीर बुलारिया, सुखविंदर सिंह डैनी, सुरजीत धीमान, अजायब सिंह भट्टी, अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, अंगद सिंह, सुखपाल भुल्लर आदि शामिल हैं।

बता दें कि 2015 के गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटना के बाद कोटकपूरा में धरने पर बैठे लोगों पर हुई फायरिंग को लेकर पंजाब सरकार द्वारा बनाई गई SIT और उसकी रिपोर्ट को पिछले माह हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद कांग्रेस में खासी खींचतान शुरू हो गई थी। कांग्रेस के एक धड़े ने यह आरोप लगाया कि एडवोकेट जनरल ने कोर्ट में सही ढंग से केस को पेश नहीं किया, जबकि नवजोत सिंह सिद्धू इस मसले को लेकर लगातार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला बोलते आ रहे हैं।

पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी, नवजोत सिंह सिद्धू, राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा, सांसद रवनीत बिट्टू एकजुट हो गए। इसके बाद विधायक परगट सिंह, सुरजीत सिंह धीमान ने भी सरकार की कारगुजारी पर सवाल खड़े किए। हाल ही में 26 मई को किसान आंदोलन के 6 माह पूरे होने पर एक ओर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान संगठनों से प्रदर्शन नहीं करने की अपील की थी, वहींं इसके उलट नवजोत सिद्धू की पटियाला और अमृतसर स्थित कोठियों पर काले झंडे फहराए गए थे।

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