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तमिल सुपरस्टार रजनीकांत को मिलेगा फिल्म का सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

4 years ago
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Rajinikanth hints at entering politics | तमिल सुपरस्टार रजनीकांत ने राजनीति  में आने के संकेत दिए | Hindi News, बॉलीवुड

नई दिल्ली/मुंबई, 01 अप्रैल 2021/    दक्षिण भारत के सुपरस्टार रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड 2019 से नवाजा जाएगा। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को इसका ऐलान किया। इसे तमिलनाडु चुनाव से जोड़कर देखे जाने के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि रजनीकांत का फिल्म इंडस्ट्री के योगदान के लिए उन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है। इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। दरअसल, तमिलनाडु में 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव के लिए वाेटिंग होनी है।

उन्होंने बताया कि रजनीकांत को 51वां दादा साहब फाल्के अवॉर्ड तीन मई को दिया जाएगा।

प्रकाश जावडे़कर ने ट्वीट किया, ‘मुझे इस बात की घोषणा करते हुए अत्यंत खुशी है कि 2019 का दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड भारतीय सिनेमा के महान कलाकारों में से एक रजनीकांत जी को दिया जा रहा है। ऐक्‍टर, प्रड्यूसर और स्‍क्रीनराइटर के तौर पर उनका योगदान आइकॉनिक है।’

इसके साथ ही जावड़ेकर ने जूरी मेंबर्स में शामिल आशा भोसले, सुभाष घई, मोहनलाल, शंकर महादेवन, बिस्‍वजीत चटर्जी जैसे प्रतिष्‍ठित लोगों का धन्‍यवाद दिया। इन 5 सदस्‍यों ने एकमत से रजनीकांत के नाम की सिफारिश की थी।

रजनीकांत ने 26 दिन में छोड़ दी थी राजनीति
रजनीकांत का राजनीति में आने का सपना अधूरा ही रह गया। 70 साल के रजनी ने खराब सेहत की वजह से चुनावी राजनीति में नहीं आने का फैसला किया है। 3 दिसंबर को रजनीकांत ने कहा था कि वे नई पार्टी बनाएंगे और 2021 का विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे। 31 दिसंबर को नई पार्टी का ऐलान किया जाएगा, लेकिन ऐसा हो ना सका और 26 दिन के अंदर ही उन्होंने राजनीति छोड़ दी।

चार साल की उम्र में मां का निधन हो गया था
12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरु के एक मराठी परिवार में जन्मे रजनी का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। जीजाबाई और रामोजी राव की चार संतानों में शिवाजी सबसे छोटे थे। उनकी स्कूलिंग बेंगलुरु में हुई। रजनीकांत चार साल के थे, तभी उनकी मां का निधन हो गया था। घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी। इसलिए रजनीकांत ने कुली से लेकर बस कंडक्टर तक का काम किया। बस में टिकट काटने के अनोखे अंदाज की वजह से ही वे पॉपुलर हुए और दोस्तों ने उन्हें फिल्मों में एक्टिंग करने की सलाह दी।

 

दादा साहेब फाल्‍के अवॉर्ड पाने वाले 12वें साउथ इंडियन

बता दें, रजनीकांत 12वें दक्षिण भारतीय हैं जिन्‍हें यह अवॉर्ड मिला है। इससे पहले डॉ. राजकुमार, अक्‍कीनेनी नागेश्‍वर राव, के बालाचंदर जैसे लोगों को यह पुरस्‍कार दिया जा चुका है। इस खबर के सामने आने के बाद से रजनीकांत को हर तरफ से बधाइयां मिल रही हैं।

दक्षिण भारत में ‘भगवान’ का दर्जा

12 दिसंबर 1950 को रजनीकांत का जन्म बेंगलुरू के मराठी परिवार में हुआ था। गरीब परिवार में जन्मे रजनीकांत ने अपनी मेहनत और कड़े संघर्ष के बाद टॉलिवुड में खास मुकाम हासिल किया। अपनी खास स्‍टाइल, अंदाज की वजह से वह बॉलिवुड में भी बड़ा नाम बन गए। दक्षिण भारत में उनके फैंस उन्‍हें ‘भगवान’ मानते हैं।

1975 में किया था फिल्‍मी डेब्यू

प्रफेशनल लाइफ की बात करें तो रजनीकांत ने 1975 में के बालाचंदर की फिल्‍म Apoorva Ragangal से अपना फिल्‍मी डेब्‍यू किया था। वह आखिरी बार एआर मुरुगादास की फिल्‍म ‘दरबार’ में दिखे थे। फिलहाल, वह अपकमिंग फिल्‍म Annaatthe की शूटिंग में बिजी हैं।

 

 

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