विपक्ष के हंगामे पर PM मोदी बोले- यह ज्यादा हो रहा है, रुकावट डालने का प्रयास सोची-समझी रणनीति है
नई दिल्ली, 10 फरवरी 2021/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में जवाब दे रहे हैं। इस दौरान कांग्रेस सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया है। मोदी के भाषण के दौरान अब तक 8 बार हंगामा हो चुका। छठी बार हंगामे के बाद मोदी तल्ख हो गए। उन्होंने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी से कहा कि यह ज्यादा हो रहा है, मैं आपकी इज्जत करने वाला इंसान हूं।
मोदी ने कृषि कानूनों की बात करते हुए कहा, ‘इस कोरोनाकाल में 3 कृषि कानून भी लाए गए। ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत ही जरूरी है। बरसों से हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा था, उसे उबारने के लिए हमने प्रयास किया है। भावी चुनौतियों से हमें अभी से निपटना होगा। मैं देख रहा था कि यहां पर कांग्रेस के साथियों ने चर्चा की कि वे कानून के कलर पर बहस कर रहे थे। ब्लैक है या व्हाइट। अच्छा होता कि वे उसके कंटेंट पर, उसके इंटेंट पर चर्चा करते ताकि देश के किसानों तक भी सही बात पहुंच सकती।’
‘दादा (अधीर रंजन चौधरी) ने भी भाषण किया और लगा कि वे बहुत अभ्यास करके आए होंगे। लेकिन प्रधानमंत्री बंगाल की यात्रा क्यों कर रहे हैं, वे इसमें ही लगे रहे। दादा के ज्ञान से वंचित रह गए। खैर, चुनाव के बाद आपके पास मौका होगा तो…ये (बंगाल) कितना महत्वपूर्ण प्रदेश है, इसलिए तो कर रहे हैं। आपने इतना पीछे छोड़ दिया, इसलिए हम इसे प्रमुखता देना चाहते हैं।’
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘जहां तक आंदोलन का सवाल है। वे गलत धारणाओं के शिकार हुए। (हंगामा होने लगा तो प्रधानमंत्री बोले…) मेरा भाषण पूरा होने के बाद सब कीजिए, आपको मौका मिला था। आप किसानों के लिए कुछ गलत शब्द बोल सकते हैं, हम नहीं बोल सकते। (रोक-टोक होने लगी तो मोदी बोले…) देखिए मैं कितनी सेवा करता हूं। आपको जहां रजिस्टर करवाना था, वहां हो गया।’
‘किसानों से लगातार बात हो रही’
मोदी ने कहा कि लगातार किसानों से बातचीत होती रही। जब पंजाब में आंदोलन चल रहा था, तब भी हुई। बातचीत में किसानों की शंकाएं ढूंढ़ने का भी भरपूर प्रयास किया गया। कृषि मंत्री ने इस बारे में बताया भी है। हम मानते हैं कि इसमें अगर सचमुच कोई कमी है तो इसमें बदलाव करने में क्या जाता है। अगर कोई निर्णय है तो किसानों के लिए है। हमें इंतजार है कि वो कोई स्पेसिफिक चीज बताएं तो हमें कोई संकोच नहीं है। (इस पर एक बार फिर हंगामा हुआ और मोदी ठहाके लगाने लगे, किसी आरोप पर कहा) ये क्रेडिट भी आपने मुझे दे दिया।
हंगामा बढ़ा तो स्पीकर को दखल देना पड़ा
टीआर बालू विरोध जताने लगे तो मोदी ने कहा, ‘अध्यादेश से कानून लागू हुए, फिर संसद में आए। कानून लागू होने के बाद देश में कोई मंडी बंद नहीं हुई, न MSP बंद हुई। ये सच्चाई है, इसे छिपाने का मतलब नहीं है। MSP की खरीद भी कानून बनने के बाद बढ़ी है। मोदी के यह कहते ही जबदस्त हंगामा होने लगा। इस पर स्पीकर को दखल देना पड़ा। वे सीट से खड़े हो गए और बोले कि मैंने सभी को पर्याप्त समय दिया है। प्रधानमंत्री का जवाब सुनिए।
अब तक मुस्कुरा रहे और ठहाके लगा रहे मोदी के तेवर अब तीखे हो गए। बोले- ‘ये हो हल्ला, ये आवाज, ये रुकावट डालने का प्रयास एक सोची-समझी रणनीति के तहत है। सोची-समझी रणनीति यह है कि जो झूठ फैलाया है, उसका पर्दाफाश हो जाएगा। इसलिए हंगामे का खेल चलता रहा है। लेकिन इससे आप लोगों का भरोसा नहीं जीत पाओगे, यह मानकर चलो। नए कानून से जो व्यवस्थाएं चल रही थीं, उन्हें किसी ने छीन लिया है क्या? किसी कानून का विरोध तो तब मायने रखता है, जब वह अनिवार्य है, ये तो ऑप्शनल है। जहां ज्यादा फायदा हो, वहां किसान चला जाए, यह व्यवस्था हो गई है। अधीर रंजन जी, अब ज्यादा हो रहा है। मैं आपकी इज्जत करने वाला इंसान हूं। PM ने आगे कहा, ‘बंगाल में भी तृणमूल से ज्यादा पब्लिसिटी आपको मिल जाएगी। मैंने बता दिया कि आपको पब्लिसिटी मिल जाएगी। (यह कहकर मोदी, फिर हंसने लगे) आप ऐसा पहले नहीं करते थे, आज इतना क्यों कर रहे हैं? हद से ज्यादा क्यों कर रहे हैं?’
आंदोलनजीवी भय पैदा करते हैं
मोदी ने आगे कहा, ‘विरोध का कोई कारण ही नहीं बनता। आंदोलनजीवी ऐसे तरीके अपनाते हैं। ऐसा हुआ तो ऐसा होगा। इसका भय पैदा करते हैं। सुप्रीम कोर्ट का कोई जजमेंट आ जाए तो आग लगा दी जाए देश में। ऐसे तौर-तरीके लोकतंत्र और अहिंसा में विश्वास करने वालों के लिए चिंता का विषय होना चाहिए, ये सिर्फ सरकार की चिंता का विषय नहीं होना चाहिए।’ इसके बाद अधीर रंजन दोबारा बोलने को खड़े हुए तो मोदी ने कहा- बाद में, बाद में।
कांग्रेस के लिए मोदी बोले- यह कन्फ्यूज्ड पार्टी है, समय तय करेगा
मोदी की टिप्पणियों पर एक बार फिर हंगामा होने लगा। विपक्षी सांसदों ने नारे लगाना शुरू कर दिया कि काला कानून वापस लो। मोदी ने कहा, ‘क्या कभी भी इतने सुधारों को समाज ने स्वीकार किया या नहीं किया? हम ये मानते थे कि देश की इतनी पुरानी कांग्रेस पार्टी ने करीब-करीब छह दशक तक इस देश में एकचक्रीय शासन किया, इस पार्टी का यह हाल हो गया है। पार्टी का राज्यसभा का तबका एक तरफ चलता है, पार्टी का लोकसभा का तबका दूसरी तरफ चलता है। ऐसी डिवाइडेड पार्टी और कन्फ्यूज्ड पार्टी ने खुद का भला कर सकती है, न देश का भला कर सकती है। कांग्रेस के पार्टी के नेता राज्यसभा में भी बैठे हैं। वे आनंद-उमंग के साथ विस्तार से चर्चा करते हैं। …समय तय करेगा।’