चौरी-चौरा शताब्दी समारोह LIVE : मोदी बोले- सौ साल पहले चौरी-चौरा में सिर्फ थाने में आग नहीं लगी, यह आग लोगों के दिलों में भी लगी थी
चौरी-चौरा की ऐतिहासिक घटना को याद करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार इस साल शताब्दी समारोह मना रही है। प्रधानमंत्री इसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हैं।
नई दिल्ली, 04 फरवरी 2021/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गोरखपुर में हो रहे चौरी चौरा कांड के शताब्दी समारोह की शुरुआत की। इस ऐतिहासिक घटना को याद करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार यह समारोह मना रही है। इस मौके पर एक डाक टिकट भी जारी किया।
मोदी ने कहा कि इस पवित्र भूमि पर बलिदान देने वाले, देश के स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा देने वाले शहीदों को प्रणाम करता हूं। सौ साल पहले चौरी-चौरा में जो हुआ वह सिर्फ आग लगा देने की एक घटना नहीं थी। वह आंदोलन बहुत व्यापक था। पहले जब भी इसकी बात हुई उसे एक आगजनी के रूप में ही देखा गया। आगजनी क्यों हुई, यह देखना भी जरूरी है। वह आग थाने में ही नहीं लगी थी, लोगों के दिलों में भी लगी थी।
‘शहीदों को इतिहास में ज्यादा जगह नहीं मिली’
उन्होंने कहा कि आज से चौरी-चौरा में जो कार्यक्रम शुरू हो रहे हैं पूरे साल चलेंगे। इस दौरान यहां के शहीदों को याद किया जाएगा। देश आजादी की 175वीं वर्षगांठ मना रहा है, ऐसे में यह और प्रासंगिक हो जाता है। चौरी-चौरा संग्राम के शहीदों को भले ही इतिहास के पन्नों में प्रमुखता से जगह नहीं दी गई हो, लेकिन उनका खून इस माटी में मिला है, जो हमें प्रेरणा देता रहता है।
अंग्रेजी हुकूमत तो सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देने पर तुली थी, लेकिन बाबा राघवदास और महामना मालवीय जी के प्रयासों से सैकड़ों लोगों को फांसी से बचा लिया गया था। ऐसे में यह दिन बाबा राघवदास और महामना मालवीय जी को स्मरण करने का भी है। इन कार्यक्रमों में युवाओं को प्रतियोगिताओं से भी जोड़ा जा रहा है। उन्हें स्वतंत्रता के कई अनछुए पहलू पता चलेंगे।
सामूहिकता की शक्ति भारत को बड़ी ताकत बनाएगी
मोदी ने कहा कि शताब्दी समारोह के कार्यक्रमों को लोक कला और आत्मनिर्भरता से जोड़ने का प्रयास किया गया है। सामूहिकता की जिस शक्ति ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ा था, वहीं शक्ति भारत को दुनिया की बड़ी ताकत भी बनाएगी। यही शक्ति आत्मनिर्भर का मूलभूत आधार है। इस देश को 130 करोड़ देश वासियों के लिए आत्मनिर्भर बना रहे हैं और पूरे वैश्विक परिवार की भलाई के लिए भी।
आप कल्पना कीजिए, जब कोरोनाकाल में इस देश ने दुनिया के 150 से ज्यादा देशों के लिए दवाएं भेजी हैं। भारत ने अनेक देशों के नागरिकों को उनके घर सुरक्षित भेजा। आज भारत खुद कोरोना की वैक्सीन बना रहा है। दुनिया के दूसरे देशों से तेज गति से वैक्सीन लगा रहा है।
पहले वोट बैंक का बही खाता होता था बजट
मोदी ने कहा कि बजट से पहले लोग कह रहे थे कि कोरोना संकट की वजह से सरकार को जनता पर बोझ डालना ही पड़ेगा। कर बढ़ाना पड़ेगा, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। सरकार ने देश को आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा खर्च करने का फैसला लिया है। चौड़ी सड़कें बनाने के लिए यह खर्च किया है। इससे पुल बनेंगे, नई ट्रेनें चलेंगी, पटरियां बिछेंगी। इन सब चीजों के लिए काम करने वालों की जरूरत भी तो पड़ेगी। इससे देश के युवाओं को रोजगार मिलेगा।
उन्होंने कहा कि पहले हमारे यहां बजट में यह होता था कि किसके नाम पर कितनी घोषणाएं की गईं। बजट को वोट-बैंक का बही-खाता बना दिया गया था। पहले की सरकारों ने बजट को ऐसी घोषणाओं का माध्यम बना दिया था, जो पूरी ही नहीं कर पाते थे। अब देश ने वह सोच बदल दी है, एप्रोच बदल दी है। देश ने कोरोना की लड़ाई जिस तरह लड़ी, उसकी दुनिया में तारीफ हो रही है। हमारे टीकाकरण अभियान से दूसरे देश सीख रहे हैं।
यूपी के सभी जिलों में कार्यक्रम शुरू
1922 में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने चौरी चौरा में एक पुलिस चौकी में आग लगा दी थी। इस घटना में 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे। इस मौके पर PM एक डाक टिकट भी जारी करेंगे। इसी के साथ यूपी के सभी 75 जिलों में कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया जाएगा
इस घटना में जान गंवाने वाले सत्याग्रहियों को शहीद माना गया था। चौरी चौरा कांड के शताब्दी वर्ष पर उनके परिवार वालों को सम्मानित किया जाएगा। सुबह प्रभात फेरी निकलेगी। शाम को हर शहीद स्थल पर दीप जलाए जाएंगे। शहीदों की याद में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।
इस दौरान एक साथ 30 हजार से ज्यादा लोग वंदे मातरम गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएंगे। सभी को तय समय पर वंदे मातरम गाते हुए वीडियो अपलोड करना होगा।
अब कांड नहीं, जनविद्रोह कहलाएगी घटना
चौरीचौरा विद्रोह को अब तक ‘कांड’ के रूप में याद किया जाता था, लेकिन प्रधानमंत्री शहीदों के सम्मान में आज इसकी नई व्याख्या करेंगे। अब से यह घटना जनविद्रोह कही जाएगी।
गोरखपुर क्रांतिकारियों का गढ़ था
दरअसल, 13 अप्रैल 1919 को हुआ जलियांवाला बाग कांड और 4 फरवरी 1922 को चौरी चौरा की घटना के बाद से ही जंगे आजादी में चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी, अशफाक उल्लाह जैसे क्रांतिकारी सोच के लोग हारावल दस्ते के रूप में उभरे थे।
इन सबका मानना था कि आजादी सिर्फ अहिंसा से मिलने से रही। उस दौरान गोरखपुर ऐसे क्रांतिकारियों का गढ़ बन गया था। काकोरी कांड के आरोप में रामप्रसाद बिस्मिल ने वहीं की जेल में सजा काटी। बाद में 10 दिसंबर 1927 को उन्होंने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को गले लगा लिया था।