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ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर फिलहाल रोक : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला रोका

2 years ago
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Gyanvapi Case: 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग पर जिला जज के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगा हिंदू पक्ष - Republic Bharat

वाराणसी, 19 मई 2023/  वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे और कॉर्बन डेटिंग के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने कहा- इस मामले में संभलकर चलने की जरूरत है। हाईकोर्ट के आदेश की बारीकी से जांच करनी होगी।

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से वकील हुजेफा अहमदी ने यह याचिका दायर की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और केवी विश्वनाथन की पीठ ने इसकी सुनवाई की। हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कैविएट दाखिल कर चुका है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 मई को कथित शिवलिंग की कॉर्बन डेटिंग और साइंटिफिक सर्वे का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि यह कैसे होगा? इस पर वाराणसी कोर्ट निर्णय लेगा। उन्हीं की निगरानी में यह काम किया जाएगा।

7 अगस्त को होगी अगली सुनवाई

हिंदू पक्ष की तरफ से वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट कोई आदेश दे, तो उससे पहले ASI सर्वे की रिपोर्ट को मंगाकर एक बार उस पर विचार किया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम ASI की रिपोर्ट को भी देखेंगे। CJI ने कहा कि पहले हम परिस्थिति को देखेंगे। हमें इस मामले को बेहद सावधानी से डील करना होगा।

मस्जिद समिति के वकील हुजैफा अहमदी ने जज की तारीफ की और कहा कि वह स्थिति को वाकई समझ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट 7 अगस्त को इस मामले पर अगली सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा कार्बन डेटिंग के आदेश को अगली सुनवाई तक लागू नहीं किया जाएगा। कार्बन डेटिंग पर यूपी और केंद्र सरकार सरकार को अपना जवाब दाखिल करना होगा।

कथित शिवलिंग पर अदालतों के 3 बड़े फैसले

14 अक्टूबर 2022: वाराणसी जिला कोर्ट ने हिंदू पक्ष की कथित शिवलिंग की साइंटिफिक जांच कराने वाली याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि साइंटिफिक जांच से शिवलिंग को क्षति पहुंचेगी।

17 अप्रैल 2023: मुस्लिम पक्ष ने नमाज में आ रही समस्या पर सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल किया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी जिलाधिकारी को समस्या के समाधान का आदेश दिया। ईद से पहले ज्ञानवापी परिसर के 100 मीटर के दायरे में सचल शौचालय और वुजू के लिए पानी से भरे टब की व्यवस्था की गई। हालांकि, परिसर में मिले कथित शिवलिंग वाली जगह को सील रखा गया।

12 मई 2023: को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच व साइंटिफिक सर्वे की मांग वाली याचिका स्वीकार कर ली। हालांकि, साइंटिफिक जांच कब होगी ये तारीख नहीं बताई। अगली सुनवाई 3 दिन बाद है।

ज्ञानवापी के तीन मामलों की सुनवाई अब 22 मई को होगी
वाराणसी कोर्ट में शुक्रवार को ज्ञानवापी से जुड़े तीन मामलों की सुनवाई हुई। पहले मामले में ज्ञानवापी परिसर के साइंटिफिक सर्वे वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी को आपत्तियां दाखिल करनी थी, लेकिन किसी तरह की कोई आपत्ति दाखिल नहीं हुई।

मामले में कोर्ट ने 22 मई को सुनवाई की अगली तारीख दी है। दूसरा मामला ज्ञानवापी के सभी 7 केसों को एक साथ सुने जाने और उनका शेड्यूल तय करने को लेकर था। इसमें कोर्ट ने सुनवाई टाल दी। मामले की अगली सुनवाई 22 मई को होगी। वहीं, तीसरा मामला श्रृंगार गौरी केस के उत्तराधिकारी चुनने को लेकर था। कोर्ट ने इसमें भी 22 मई को सुनवाई की तारीख दी है।

16 मई को मिला था कथित शिवलिंग
बताते चलें कि ज्ञानवापी में 16 मई, 2022 को सर्वे के दौरान कथित शिवलिंग मिला था। हिंदू पक्ष ने पहले वाराणसी कोर्ट में इसकी कॉर्बन डेटिंग और साइंटिफिक सर्वे की मांग की थी। हालांकि तब कोर्ट ने इसको खारिज कर दिया था। फिलहाल, कॉर्बन डेटिंग कब होगी? इसकी तारीख तय होना बाकी है। लेकिन इस टेक्निक पर जिला कोर्ट, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक बातचीत हो रही है।

अब जानिए क्या है विवाद?
हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर में मिला शिवलिंग 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1699 में मंदिर को तुड़वा दिया। दावे में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर उसकी भूमि पर किया गया है जो कि अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।

याचिकाकर्ताओं की मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष है या नहीं। साथ ही विवादित ढांचे का फर्श तोड़कर ये भी पता लगाया जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ भी वहां मौजूद हैं या नहीं।

मस्जिद की दीवारों की भी जांच कर पता लगाया जाए कि ये मंदिर की हैं या नहीं। याचिकाकर्ता का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ था।

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