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सोरेन सरकार ने जीता विश्वास मत, पक्ष में पड़े 48 वोट, बीजेपी ने किया वॉकआउट

3 years ago
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hemant soren govt wins confidence vote in jharkhand assembly mtj | हेमंत सोरेन  सरकार ने विधानसभा में जीता विश्वास मत, प्रस्ताव के पक्ष में पड़े 48 वोट,  विरोध में 0

झारखंड, 05 सितंबर 2022/  झारखंड की रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का आज समापन हो गया। हेमंत सोरेन सरकार ने आज विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया, जिसमें हेमंत सोरेन सरकार ने विश्वास प्रस्ताव सदन के पटल पर रखा। वोटिंग के दौरान पक्ष में 48 वोट पड़े और इस तरह सोरेन सरकार ने एक बार फिर से विश्वास मत हासिल कर लिया। उधर बीजेपी ने सदन से वॉकआउट कर दिया। चर्चा के दौरान विधायक सरयू राय ने कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर प्रश्न उठे हैं कि क्यों लाये ये प्रस्ताव? मेरे मन में भी ये सवाल है। सदन में विश्वास का मत रखा गया, लेकिन उसके पहले सत्ता दल के विधायक रायपुर गये। अब सदन खत्म होने के बाद ये लोग कहां जायेंगे। आजसू के विधायक सुदेश महतो ने विधानसभा में कहा कि हेमंत सोरेन सरकार को विपक्ष ने विश्वास मत हासिल करने के लिए नहीं कहा। ये प्रस्ताव सरकार ने अपने लोगों के विश्वास के लिए पेश किया है।

कहां फंसा है पेंच ?

आज सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर राज्यपाल निर्णय लेने वाले हैं। मीडिया सूत्रों के मुताबिक सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता खतरे में है। सीएम हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए रांची के अनगड़ा में अपने नाम 88 डिसमिल के क्षेत्रफल वाली पत्थर खदान लीज पर ली थी। मामला चुनाव आयोग तक पहुंचा और चुनाव आयोग ने उनकी सदस्यता रद्द करने संबंधी अनुशंसा राज्यपाल को भेज दी।

अब राज्यपाल ने इस बारे में अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। अगर विधानसभा का सदस्यता रद्द होती है, तो हेमंत सोरेन दुबारा विश्वास मत हासिल कर मुख्यमंत्री बन जाएंगे। शर्त ये होगी कि उन्हें 6 महीने के भीतर दुबारा चुनाव लड़कर विधानसभा की सदस्यता हासिल करनी होगी। दूसरा मामला ये हो सकता है कि ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ के मुद्दे पर राज्यपाल मुख्यमंत्री को 5 साल तक चुनाव लड़ने से रोक भी सकते हैं। ऐसे में मामला कोर्ट में जा सकता है और राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी जा सकती है। वहीं राजनीतिक तौर पर इसे बीजेपी की सत्ता हासिल की कोशिश बताया जाएगा और झारखंड समेत पूरे देश में विरोध का माहौल खड़ा किया जाएगा। बीजेपी इस फैसले को लेकर दुविधा में है।

एक आरटीआई में इस बाबत जानकारी सामने आने पर बीजेपी ने इस पर सवाल उठाया था और राज्यपाल से शिकायत की थी. चुनाव आयोग ने राज्य भवन को मंतव्य भेज दिया था. जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा चलने लगी की हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द हो सकती है.

 

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