कल 6 राजयोग में मनेगी शिवरात्रि, 24 घंटे में पूजा के 7 मुहूर्त; शिव पूजन की 5 आसान स्टेप्स, मंत्र और आरती
28 फरवरी 2022/ कल शिव पूजा का महापर्व यानी शिवरात्रि है। पंचांग के हिसाब से ये दिन फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को होता है। जो कि इस बार 1 मार्च को है। शिव पुराण में लिखा है कि महाशिवरात्रि पर शिवलिंग से ही सृष्टि शुरू हुई थी। इस दिन सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्माजी ने शिवलिंग की पूजा की थी। तब से हर युग में इस तिथि पर भगवान शिव की महापूजा और व्रत-उपवास करने की परंपरा चली आ रही है। इस पर्व पर दिनभर तो शिव पूजा होती ही है, लेकिन ग्रंथों में रात में पूजा करने का खास महत्व बताया गया है। इस पर्व से जुड़ी मान्यता ये भी है कि इस दिन भगवान शिव-पार्वती का विवाह हुआ था।
रात के चार प्रहर की पूजा के मुहूर्त
पहला प्रहर शाम 06: 25 से रात 9 :31 तक
दूसरी प्रहर रात 9:31 से 12:37
तीसरा प्रहर 12:37 से 3:43 तक
चौथा प्रहर 03:43 से अगले दिन सुबह 6:49 तक
स्कंद और शिव पुराण में लिखा है कि शिवरात्रि पर रात के 4 प्रहरों में शिवजी की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इस तिथि पर भगवान शिव लिंग के रूप में रात में ही प्रकट हुए थे, इसलिए शिवरात्रि पर रात के चारों प्रहर में पूजा करने से जाने-अनजाने हुए पाप और दोष खत्म हो जाते हैं। अकाल मृत्यु नहीं होती और उम्र भी बढ़ती है।
दुर्लभ ग्रह स्थिति और पांच राजयोग
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि महाशिवरात्रि पर शिव योग बन रहा है। साथ ही शंख, पर्वत, हर्ष, दीर्घायु और भाग्य नाम के राजयोग बन रहे हैं। इस दिन मकर राशि में चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र और शनि रहेंगे। इन ग्रहों के एक राशि में होने से पंचग्रही योग बन रहा है। वहीं, इस महा पर्व पर कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति बनना भी शुभ रहेगा। बृहस्पति धर्म-कर्म और सूर्य आत्मा कारक ग्रह होता है। इन दोनों ग्रहों की युति में शिव पूजा का शुभ फल और बढ़ जाएगा। शिवरात्रि पर सितारों की ऐसी स्थिति पिछले कई सालों में नहीं बनी।
पूजा सामग्री
गंगाजल, साफ पानी, दूध (अभिषेक के लिए)
मौली, चंदन, पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर)
बिल्वपत्र, फूल माला, धतूरा, मदार के फूल, मौसमी फल, रूद्राक्ष, भस्म (गाय के सूखे गोबर का चूर्ण) दीपक और अगरबत्ती
पूजा के मंत्र
1. ॐ नम: शिवाय
2.ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्द्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षिय मामृतात्।। ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ
पूजा विधि
1. दीपक और अगरबत्ती जलाएं, गणेशजी को प्रणाम कर शिव पूजा शुरू करें
2. शिवलिंग का अभिषेक करते हुए गंगाजल, दूध, पंचामृत और फिर साफ पानी चढ़ाएं
3. शिवजी को मौली चढाएं फिर इत्र, चंदन और भस्म लगाएं
4. हर तरह के फूल, धतूरा और मौसमी फल अर्पित करें रूद्राक्ष से श्रृंगार करें
5. भगवान को धूप दीप अर्पित करने के बाद नैवेद्य चढ़ाए फिर आरती करें
व्रत कैसे करें
शिवरात्रि पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल और काले तिल मिलाकर नहाएं। इसके बाद दिनभर व्रत और शिव पूजा करने का संकल्प लें। व्रत या उपवास में अन्न नहीं खाना चाहिए। पुराणों में जिक्र है कि पूरे दिन पानी भी नहीं पीना चाहिए। जानकारों का कहना है कि इतना कठिन व्रत न कर सकें तो फल, दूध और पानी पी सकते हैं। इस व्रत में सुबह-शाम नहाने के बाद शिव मंदिर दर्शन के लिए जाना चाहिए।