249 भारतीयों को लेकर 5वीं फ्लाइट दिल्ली पहुंची, इससे पहले 4 फ्लाइट्स में वतन लौट चुके 1,147 लोग
28 फरवरी 2022/ यूक्रेन में फंसे 249 छात्रों और अन्य भारतीय नागरिकों को लेकर एयर इंडिया की 5वीं फ्लाइट आज सुबह दिल्ली पहुंची। रोमानिया के बुखारेस्ट से आई एयर इंडिया की फ्लाइट नंबर AI 1942 ने सोमवार सुबह करीब 6:30 बजे दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड किया।
सरकार की तरफ से यूक्रेन में फंसे भारतीयों को एयर लिफ्ट करने के लिए ऑपरेशन गंगा चलाया जा रहा है। इसके तहत 4 फ्लाइट्स से 1,147 लोगों को पहले ही भारत लाया जा चुका है। रविवार को पहुंचीं 3 फ्लाइट्स से 928 भारतीय वतन पहुंचे थे। यूक्रेन से लौटे भारतीय स्टूडेंट्स से दैनिक भास्कर ने बातचीत की…
हरियाणा का शिवम बोला-एम्बेसी ने देरी से जारी की एडवायजरी
हरियाणा के सोनीपत के गन्नौर निवासी शिवम अन्य स्टूडेंट के साथ यूक्रेन में फंसा था। वह रविवार को एयर इंडिया की फ्लाइट से घर लौटा। शिवम ने वहां के हालातों पर चर्चा करते हुए बताया कि यूनिवर्सिटी ने हर स्टूडेंट का साथ दिया। इंडियन एम्बेसी ने वहां फंसे छात्रों के लिए बहुत देरी से एडवाइजरी जारी की, जिससे वे संभल नहीं पाए।
तनाव में गुजरे 3 दिन
शिवम यूक्रेन के उजगोद शहर में MBBS के दूसरे सेमेस्टर में है। उसने बताया कि रूस ने यूक्रेन पर अटैक किया तो इंडियन छात्र घबरा गए थे। तब से देश लौटने तक का समय बेहद डर और तनाव में गुजरा है।
बसों से बॉर्डर तक पहुंचे
विश्वविद्यालय की 5 बसों में शनिवार को 250 स्टूडेंट को हंगरी लाया गया। प्रति विद्यार्थी 50 डॉलर किराया लिया गया। यूनिवर्सिटी की ओर से पूरा धैर्य दिखाया गया और किसी भी प्रकार से बच्चों को तंग नहीं होने दिया गया। युद्ध के बाद वे तीन दिन तक हॉस्टल में ही रहे। उनकी हर सुविधा का ख्याल रखा गया। यहां तक कि जिन बच्चों के पास ATM बंद होने से किराए के पेसे नहीं बचे थे, वह भी विवि. की ओर से दिए गए।
हरियाणा की महिमा बोली – TV पर न्यूज देखकर डर जाते थे; तनाव-दहशत में भारतीय छात्र
अपने माता-पिता के साथ महिमा, वह यूक्रेन में बुकोविनिन यूनिवर्सिटी से MBBS कर रही हैं।
हरियाणा के पलवल की न्यू कॉलोनी निवासी समाजसेवी मनोज चावला की बेटी महिमा यूक्रेन में बुकोविनिन यूनिवर्सिटी (चरनी विक्सी) से MBBS कर रही है। वह रविवार को घर लौटी है। महिमा ने बताया कि यूक्रेन में फंसे बच्चे तनाव और दहशत में हैं। छात्र घर, बंकरों व यूनिवर्सिटी के हॉस्टलों में कैद रहने को मजबूर हैं। टीवी पर न्यूज देख कर उन्हें अपने परिजनों की याद सताती थी।