मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव निरस्त करने पर मंत्रिमंडल की मुहर, सीएम राज्यपाल से मिले
भोपाल, 26 दिसंबर 2021/ मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने पंचायत चुनाव निरस्त कराने के लिए मुहर लगा दी है, इसका प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल के पास भेजा गया है। मध्य प्रदेश कैबिनेट द्वारा प्रदेश में पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 9 (क) के अंतर्गत होने वाले पंचायत चुनाव के अध्यादेश को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित कर महामहिम राज्यपाल को भेजने का निर्णय लिया। इसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान राज भवन पहुंचकर राज्यपाल मंगु भाई पटेल से मिले और कुछ देर वहां रुकने के बाद वापस सीएम हाउस रवाना हो गए। माना जा रहा है कि सीएम शिवराज ने राज्यपाल को कैबिनेट की बैठक में लिए गए अध्यादेश वापस लेने के निर्णय से अवगत कराया है।
इसी अध्यादेश के आधार पर मध्य प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई थी। लेकिन अब अध्यादेश के वापस लिए जाने पर राज्य निर्वाचन आयोग के पास चुनाव कराने का आधार नहीं रहा। राज्यपाल द्वारा प्रस्ताव पर मुहर लगाने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव निरस्तीकरण के लिए निर्देश दे सकते हैं। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद डा. नरोत्तम मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि मध्य प्रदेश सरकार पंचायत राज्य संशोधन अध्यादेश वापस ले रही है। इस पर विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत होना था, लेकिन नहीं हो सका। अब सरकार राज्यपाल से इस अध्यादेश को वापस करने का प्रस्ताव देंगे।
गृह मंत्री @drnarottammisra कैबिनेट बैठक में हुए अहम निर्णयों की जानकारी दे रहे हैं https://t.co/yr7JumUVvF
— Jansampark MP (@JansamparkMP) December 26, 2021
ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस ने शुरू से ही पंचायत चुनाव में बखेड़ा खड़ा करने का प्रयास किया है। कांग्रेस के लोगों ने कोई ऐसी अदालत नहीं छोड़ी जहां में पंचायत चुनाव के विरोध में नहीं गए। हमारे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री शुरुआत से ही इस बात को लेकर प्रतिबद्ध थे कि बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव ना हो। सदन में अपरिहार्य कारणों से संशोधन विधेयक पारित नहीं हो पाया और सुप्रीम कोर्ट का भी जो आदेश था उसे मानने करते हुए इस अध्यादेश को महामहिम राज्यपाल को वापस करने का प्रस्ताव पारित किया है। अध्यादेश को पारित किए बिना ओबीसी आरक्षण और परिसीमन नहीं किया जा सकता है अब आगे की प्रक्रिया राज्य निर्वाचन आयोग को सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि चुनाव कराना या ना कराना निर्वाचन आयोग को फैसला करना है सरकार ने अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी है।