पंजाब में अगला विधानसभा चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई में ही लड़ेगी कांग्रेस, बागी विधायकों को पार्टी हाईकमान ने एकता का पाठ पढ़ाया
जालंधर 25 अगस्त 2021/ पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। CM अमरिंदर के खिलाफ बगावत का झंडा लिए बागी मंत्री और विधायक चंडीगढ़ से देहरादून रावत से मिलने पहुंचे। मुलाकात के बाद रावत ने कहा कि पंजाब में अमरिंदर ही कांग्रेस सरकार के कैप्टन हैं। वह पंजाब के मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में कांग्रेस के पास लोगों की कमी नहीं है। आगे चुनाव कैसे जीता जाए, इसके लिए सब एकजुट होकर काम करेंगे।
CM चेहरा बदलने की मांग करने वालों को झटका देते हुए रावत ने कहा कि बार-बार इस बात को दोहराने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब में सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन सरकार के राज्य व जिला स्तर पर कामकाज को लेकर कुछ चिंताएं जरूर हैं। बागी मंत्रियों व विधायकों से मैराथन बैठक के बाद रावत ने कहा कि उन्हें कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं जिन्हें लेकर वो कांग्रेस हाईकमान से मिलने जाएंगे। रावत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी इस दौरान फोन पर बात की। रावत ने यह भी कहा कि सलाहकारों की पार्टी व देश विरोधी बयानबाजी को लेकर कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू को उन्हें काबू में रखने को कहा गया है।
बैठक खत्म होने के बाद मीडिया से बातचीत में रावत ने कहा कि पंजाब के कुछ मंत्री व विधायक उनसे मिलने आए थे। उन्होंने अगले साल पंजाब में पार्टी की जीत की संभावना को लेकर चिंताएं जताई हैं। बागियों ने यह भी कहा कि उनका किसी व्यक्ति से विरोध नहीं है। उन्होंने राज्य व जिला प्रशासन के कामकाज को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं। इसके अलावा उन्होंने भी पार्टी की एकता के लिए हाईकमान पर भरोसा जताया है। मंत्रियों व विधायकों के पार्टी छोड़ने के सवाल पर रावत ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं होगा। नाराज होने पर कोई घर नहीं छोड़ता।
रावत ने सिद्धू के सलाहकारों से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनसे कांग्रेस का कोई लेना-देना नहीं है। अगर उनके बयानों से कांग्रेस पार्टी व देश की भावनाओं को नुकसान होता है तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी। इस बारे में नवजोत सिद्धू को भी कह दिया गया है कि वो उन्हें काबू में रखें। मीटिंग में पंजाब से 4 मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा, सुखजिंदर रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी, सुखबिंदर सिंह सुख सरकारिया और 3 विधायक बरिंदरमीत पहाड़ा, कुलबीर जीरा और सुरिंदर धिमान शामिल थे।