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पहली बार पेपरलेस बजट : 15 हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर्स शुरू करेंगे, इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर 20 हजार करोड़ खर्च करेंगे

4 years ago
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बैंक खाता धारको को तोहफा - The Trend Express

 

 

 

01 फरवरी 2021/    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण जारी है। बजट की शुरुआत करते हुए निर्मला ने कहा, “इस बजट का पहला हिस्सा है- हेल्थ एंड वेलबीइंग। हम बचाव, इलाज और वेल बीइंग पर फोकस करना चाहते हैं। 64,180 करोड़ रुपए के बजट के साथ प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना शुरू होगी। यह बजट नई बीमारियों के इलाज के लिए भी होगा। 70 हजार गांवों के वेलनेस सेंटर्स को इससे मदद मिलेगी। 602 जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल शुरू होंगे। नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल को मजबूत किया जाएगा। इंटीग्रेटेड हेल्थ इन्फॉर्मेशन पोर्टल शुरू किया जाएगा ताकि पब्लिक हेल्थ लैब्स को कनेक्ट कर सकें। 15 हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर्स शुरू किए जाएंगे। 9 बायो सेफ्टी लेवल 3 लैब शुरू होंगी।”

 

बजट की बड़ी बातें

हेल्थ के लिए

  • न्यूट्रिशन पर भी ध्यान दिया जाएगा। मिशन पोषण 2.0 शुरू किया जाएगा। वॉटर सप्लाई भी बढ़ाएंगे। 5 साल में 2.87 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे।
  • शहरी इलाकों के लिए जल जीवन मिशन शुरू किया जाएगा। शहरी स्वच्छ भारत मिशन पर 1.48 लाख करोड़ 5 साल में खर्च होंगे।
  • निमोकोक्कल वैक्सीन को देशभर में शुरू किया जाएगा। इससे 50 हजार बच्चों की हर साल जान बचाई जा सकेगी।

इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए

  • इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए डेवलपमेंट फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट की जरूरत है। इसके लिए एक बिल लाया जाएगा। 20 हजार करोड़ रुपए इस पर खर्च होंगे ताकि 5 लाख करोड़ रुपए का लैंडिंग पोर्टफोलियो 3 साल में बनाया जा सके।
  • पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को मॉनेटाइज करने पर ध्यान दिया जाएगा। नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन लॉन्च होगी। इसका एक डैशबोर्ड बनेगा ताकि इस मामले में हो रही तरक्की को देखा जा सके।
  • नेशनल हाईवेज अथॉरिटीज भी अंतरराष्ट्रीय निवेश आकर्षित करेंगी। रेलवे भी फ्रेट कॉरिडोर को मॉनेटाइज करेगी। आगे जो भी एयरपोर्ट बनेंगे, उनमें भी मॉनेटाइजेशन पर ध्यान दिया जाएगा।

रेलवे के लिए

  • रेलवे ने नेशनल रेल प्लान 2030 बनाया है ताकि फ्यूचर रेडी रेलवे सिस्टम बनाया जा सके और लॉजिस्टिक कॉस्ट कम की जा सके। जून 2022 तक ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तैयार हो जाएगा। सोमनगर-गोमो सेक्शन पीपीपी मोड में बनाया जाएगा।
  • गोमो-दमकुनी सेक्शन भी इसी तरह बनेगा। खड़गपुर-विजयवाड़ा, भुसावल-खड़गपुर, इटारसी-विजयवाड़ा में फ्यूचर रेडी कॉरिडोर बनाए जाएंगे। दिसंबर 2023 तक 100% ब्रॉडगेज का इलेक्ट्रिफिकेशन होगा।
  • विस्टा डोम कोच शुरू होंगे ताकि यात्रियों को अच्छा अनुभव हो। हाई डेंसिटी नेटवर्क, हाई यूटिलाइज नेटवर्क पर ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम शुरू किए जाएंगे। ये सिस्टम देश में बनेंगे।
  • 1.10 लाख करोड़ रुपए रेलवे को दिए जा रहे हैं। 1.07 लाख करोड़ रुपए सिर्फ कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए हैं।​​​​​​

मेट्रो के लिए

  • शहरी इलाकों में बस ट्रांसपोर्ट सिस्टम शुरू किया जाएगा। 20 हजार बसें तैयार होंगी। इससे ऑटो सेक्टर को मदद मिलेगी और रोजगार बढ़ेगा।
  • 702 किमी मेट्रो अभी चल रही हैं। 27 शहरों में कुल 1016 किमी मेट्रो पर काम चल रहा है। कम लागत से टियर-2 शहरों में मेट्रो लाइट्स और मेट्रो नियो शुरू होंगी।
  • कोच्चि मेट्रो में 1900 करोड़ की लागत से 11 किमी हिस्सा बनाया जाएगा। चेन्नई में 63 हजार करोड़ रुपए की लागत से 180 किमी लंबा मेट्रो रूट बनेगा।
  • बेंगलुरु में भी 14788 करोड़ रुपए से 58 किमी लंबी मेट्रो लाइन बनेगी। नागपुर 5976 करोड़ और नासिक में 2092 करोड़ से मेट्रो बनेगी।

चुनाव वाले 3 राज्यों के लिए

  • भारतमाला प्रोजेक्ट के लिए 3.3 लाख करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाए जाएंगे। 3500 किमी नेशनल हाईवेज प्रोजेक्ट के तहत तमिलनाडु में 1.03 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसका कंस्ट्रक्शन अगले साल शुरू होगा।
  • 1100 किमी नेशनल हाईवे केरल में बनेंगे। इसके तहत मुंबई-कन्याकुमारी कॉरिडोर भी बनेगा। केरल में इस पर 65 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।
  • बंगाल में 25 हजार करोड़ रुपए की लागत से हाईवे बनेंगे। कोलकाता-सिलीगुड़ी रोड का अपग्रेडेशन होगा। 34 हजार करोड़ रुपए असम में नेशनल हाईवेज पर खर्च होंगे।

टीम इंडिया की जीत का जिक्र
सीतारमण ने कहा कि आज भारत उम्मीदों का देश बना हुआ है। रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि उम्मीद एक ऐसा पक्षी है, जो अंधेरे में भी चहचहाता है। टीम इंडिया ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में जबर्दस्त प्रदर्शन किया। इसने हमें याद दिलाया कि हम लोगों में किस तरह की क्वालिटी है। आज डेटा बताता है कि भारत में कोरोना की वजह से सबसे कम मृत्युदर है। यही सारी बातें इकोनॉमी के कायापलट की निशानी हैं। अब तक तीन बार ही बजट GDP के निगेटिव आंकड़ों के बाद पेश हुआ है। इस बार निगेटिव आंकड़े दुनियाभर में आई महामारी की वजह से हैं।

इस बजट से आम लोगों और कारोबारी जगत, दोनों को काफी उम्मीदें हैं। उम्मीद की वजह पिछले साल 18 दिसंबर का उनका बयान है। उन्होंने कहा था कि इस बार जैसा बजट पिछले 100 साल में नहीं आया होगा। 29 जनवरी को संसद में पेश इकोनॉमिक सर्वे में इसके लिए कई संकेत दिए गए हैं। अगर बजट इन्हीं संकेतों के मुताबिक रहा तो इसमें ये खास बातें दिख सकती हैं…

इकोनॉमिक सर्वे तैयार करने वाले मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने कहा था, ‘समय आ गया है जब सरकार अपना खर्च बढ़ाए और लोगों पर टैक्स का बोझ कम करे।’ हालांकि, निजी कंपनियां अभी खर्च बढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए सरकार को ही खर्च बढ़ाना पड़ेगा। लेकिन खर्च के लिए सरकार के पास पैसे की कमी है। इसलिए टैक्स में राहत की उम्मीद भी कम है। उल्टा कोरोना-सेस लगाने की चर्चा है, भले ही यह ज्यादा कमाई वालों और कंपनियों पर लगे।

सुपर रिच पर कोरोना सेस लगाने से सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा
ऑक्सफैम का आकलन है कि भारत के 954 सबसे अमीर परिवारों पर अगर 4% टैक्स लगाया जाता है तो GDP के 1% के बराबर यानी करीब 2 लाख करोड़ रुपए रेवेन्यू मिल सकता है। इस तरह का सेस या सरचार्ज लगाने पर उससे मिलने वाला पैसा केंद्र सरकार के पास ही रहता है, राज्यों को उसमें से हिस्सा नहीं मिलता।

नई टैक्स व्यवस्था में बढ़ सकती है छूट
पिछले साल इनकम टैक्स की नई व्यवस्था लागू की गई थी। इसमें NPS यानी नेशनल पेंशन सिस्टम के अलावा और कोई छूट नहीं है। इसलिए बहुत कम लोगों ने इस विकल्प को चुना। सरकार ने इसका कोई आंकड़ा नहीं बताया है। वित्त मंत्री आज इस बारे में कोई आंकड़ा दे सकती हैं।

नई व्यवस्था को आकर्षक बनाने के लिए PF, LTC और डोनेशन पर टैक्स में छूट दी जा सकती है। कुछ घोषणाओं पर कोरोना का असर भी दिख सकता है। जैसे, वर्क फ्रॉम होम से जुड़े खर्चे के कारण नौकरीपेशा लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50 हजार रुपए से बढ़ाई जा सकती है। सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलने वाले टैक्स बेनिफिट को भी बढ़ाया जा सकता है। 80C के तहत इन्वेस्टमेंट की लिमिट 1.5 लाख रुपए है। इसे भी बढ़ाने के सुझाव सरकार को मिले हैं।

कोरोना की वजह से हेल्थकेयर पर खर्च दोगुना हो सकता है
हेल्थकेयर पर खर्च सबसे ज्यादा बढ़ने की संभावना है। कोरोना वैक्सीन पर 25-30 हजार करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है। हेल्थ बजट पिछली बार 67,484 करोड़ रुपए का था। इसे दोगुना किया जा सकता है। नेशनल हेल्थ पॉलिसी 2017 में केंद्र की तरफ से हेल्थकेयर पर GDP का 2.5-3% तक खर्च करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन 2019-20 में यह 1.5% तक ही पहुंच सका। वर्ल्ड हेल्थ स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक, हेल्थ पर सरकारी खर्च के मामले में 189 देशों की रैंकिंग में भारत 179वें स्थान पर है।

हेल्थकेयर पर सरकार ने बजट बढ़ाया तो लोगों का खर्च बचेगा
अभी सेहत पर होने वाले कुल खर्च में लोगों की जेब से 65% जाता है। सर्वे के अनुसार सरकार ने खर्च बढ़ाया तो लोगों की जेब से होने वाला खर्च घटकर 30% रह जाएगा।

कृषि कर्ज का लक्ष्य 19 लाख करोड़ हो सकता है
किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए खेती-किसानी पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है। पीएम किसान योजना में अभी हर साल 6,000 रुपए मिलते हैं। यह 2,000 रुपए बढ़ सकता है। कृषि कर्ज के लिए 19 लाख करोड़ रुपए का नया लक्ष्य तय किया जा सकता है। यह पिछले साल 15 लाख करोड़ रुपए था।

किफायती घर पर छूट बढ़ सकती है
इकोनॉमी में मांग बढ़ाने के लिए किफायती घर खरीदने पर इन्सेंटिव दिया जा सकता है। और कुछ नहीं तो सरकार पिछले साल की तरह ब्याज पर 1.5 लाख रुपए तक अतिरिक्त छूट को और एक साल के लिए बढ़ा ही सकती है। यानी इनकम टैक्स कैलकुलेशन में होम लोन पर ब्याज में जो 2 लाख रुपए की छूट मिलती है, उसे बढ़ाकर कुल साढ़े तीन लाख रुपए कर दिया गया था।

छात्रों को मुफ्त स्मार्टफोन और टैबलेट
कोरोना की वजह से करीब सालभर से ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर है। सर्वे के मुताबिक, दो साल पहले 36.5% ग्रामीण छात्रों के पास स्मार्टफोन, लैपटॉप या कंप्यूटर थे, अब 61.8% के पास हैं। इसे और बढ़ाने के लिए गांव के छात्रों को स्मार्टफोन और टैबलेट मुफ्त में देने की कोई स्कीम लाई जा सकती है।

प्रवासी मजदूरों के लिए आ सकती है स्कीम
कोरोना की वजह से असंगठित क्षेत्र के मजदूर ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन ने दिसंबर में ग्लोबल वेज रिपोर्ट 2020-21 जारी की थी। इसके मुताबिक, संगठित क्षेत्र में वेतन 3.6% कम हुआ है, लेकिन असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की कमाई 22.6% घट गई है। दूसरी ओर कर्मचारियों की छंटनी और दूसरे खर्चे घटाने से लिस्टेड कंपनियों का प्रॉफिट 25% तक बढ़ा है। बजट में प्रवासी मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए कुछ घोषणाएं हो सकती हैं।

आत्मनिर्भर भारत के लिए बढ़ सकती है इंपोर्ट ड्यूटी
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कुछ चीजों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है। पिछली बार भी मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल्स पार्ट्स समेत कई चीजों पर ड्यूटी बढ़ाई गई थी। इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने पर विदेश से आने वाला सामान महंगा होता है। इससे देश में बनने वाले सामान की बिक्री बढ़ जाती है। छोटे कारोबारियों के लिए GST के नियम आसान बनाए जा सकते हैं।

पिछले साल बजट के दिन शेयर बाजार करीब 2.5% गिरा था
बजट के दिन शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखे जाते हैं। मोदी सरकार के पिछले 6 बजट में से 4 बार बाजार नुकसान में रहा। इनमें एक अंतरिम बजट भी शामिल था। पिछले साल बजट के दिन (1 फरवरी) बाजार 2.43% गिरावट के साथ बंद हुआ था।

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