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छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के 100 से अधिक मरीज : दुर्ग में सबसे ज्यादा 18 पेशेंट की पुष्टि, 23 सस्पेक्टेड भी; रायपुर AIIMS और BSP सेक्टर-9 समेत निजी अस्पतालों में इलाज जारी
दुर्ग, 20 मई 2021/ छत्तीसगढ़ में अब कोरोना से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगस तेजी से अपने पांव पसार रहा है। स्वास्थ्य विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी के मरीजों की संख्या 100 से अधिक पहुंच गई है। सबसे ज्यादा दुर्ग में 18 मरीजों की पुष्टि हुई है, जबकि जिले में 23 मरीज सस्पेक्टेड हैं।
जिले में ब्लैक फंगस के एक मरीज की मौत हो चुकी है जबकि प्रदेश में अब तक ऐसे 4 मरीजों की मौत हो चुकी है। दुर्ग के 18 मरीजों में से 9 रायपुर के AIIMS में, 6 भिलाई स्टील प्लांट(BSP) के सेक्टर-9 अस्पताल में इलाज करा रहे हैं जबकि जिले के निजी अस्पताल में तीन मरीजों का इलाज चल रहा है।
AIIMS रायपुर में ब्लैक फंगस के ऑपरेशन
रायपुर AIIMS के डायरेक्टर डॉक्टर नितिन एम नागरकर ने बताया कि न्यूरो सर्जरी और ऑप्थेल्मोलॉजी और ENT की टीम के साथ वे खुद ब्लैक फंगस के मरीजों की सर्जरी में जुटे हैं। रोजाना करीब 5 मरीजों की सर्जरी की जा रही है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने AIIMS को एम्फोटेरिसिन बी के 250 इंजेक्शन की पहली किस्त भेज रहा है। इधर राज्य के स्वास्थ्य विभाग की ओर से रोज 50 से 100 इंजेक्शन मुफ्त में भेज कर मरीजों को राहत पहुंचाई जा रही है।
जिले में दवाई की किल्लत
दुर्ग जिले में सबसे अधिक मामले मिल रहे हैं। इसके बावजूद यहां इसका इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। संक्रमितों को अधिकतर दूसरे बड़े अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है। जिला प्रशासन के पास जो डोज है, वह सरकारी अस्पताल के मरीजों के लिए रखा गया है।
CMHO ने दी जानकारी
दुर्ग CMHO डॉक्टर गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया कि ब्लैक फंगस के जिले में 18 मामले सामने आए हैं। जिसमें से अधिकतर मरीजों का इलाज रायपुर AIIMS, BSP के सेक्टर-9 अस्पताल व अन्य जगहों पर इलाज किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में ब्लैक फंगस के 23 सस्पेक्टेड मरीज भी मिले हैं और एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन हमारे पास नहीं है, वो सेक्टर 9 अस्पताल में ही है।
मुख्यमंत्री पहले ही दे चुके है निर्देश
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ब्लैक फंगस के संक्रमण को गंभीर मानते हुए, सभी जिलों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश पहले ही दे चुके हैं। खासकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस पर ध्यान रखने को भी कहा गया है।
बीमारी हो कैसे रही
यह एक फफूंद से होने वाली बीमारी है। बहुत गंभीर लेकिन दुर्लभ संक्रमण है। यह फफूंद वातावरण में कहीं भी पनप सकता है। जैव अपशिष्टों, पत्तियों, सड़ी लकड़ियों और कंपोस्ट खाद में फफूंद पाया जाता है। ज्यादातर सांस के जरिए यह शरीर में पहुंचता है। अगर शरीर में किसी तरह का घाव है तो वहां से भी ये फैल सकता है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
ब्लैक फंगस ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित है। ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए, विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है।
ब्लैक फंगस है क्या
जानकारों के मुताबिक म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस एक दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है। लेकिन ये गंभीर इंफेक्शन है, जो मोल्ड्स या फंगी के एक समूह की वजह से होता है। ये मोल्ड्स पूरे पर्यावरण में जीवित रहते है। ये साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करता है।