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स्वास्थ्य सहायता योजना में आ सकता है ब्लैक फंगस : गंभीर संक्रमण की स्थिति में 21 दिन में 50 इंजेक्शन की जरूरत, एक इंजेक्शन की कीमत 5 हजार से अधिक, अब सरकार करेगी खरीदी
रायपुर, 16 मई 2021/ कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस से होने वाली बीमारी म्यूकर माइकोसिस ने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। इसका इलाज इतना महंगा बताया जा रहा है कि सामान्य व्यक्ति यह खर्च नहीं उठा पाएगा। सरकार अब इस बीमारी के इलाज को डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना में शामिल करना चाहती है। फिलहाल इसका इंजेक्शन खरीदने की तैयारी हो गई है।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया, “विशेषज्ञों से इस बीमारी के इलाज पर चर्चा हुई है। उन्होंने बताया है, इसके इलाज में प्रयोग होने वाला एक इंजेक्शन 5 हजार से 7 हजार रुपए कीमत का है। एक व्यक्ति को 21 दिनों में ऐसे 50 से 100 इंजेक्शन लगाने होंगे। मुश्किल यह भी है कि उसकी दवा बाजार में मिल भी नहीं रही है। आपातकालीन खरीदी के तौर पर 5 हजार इंजेक्शन की खरीदी के ऑर्डर दिए गए हैं। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन को इस दवा की खरीदी के लिए अलग से टेंडर जारी करने को भी कह दिया गया है।” सिंहदेव ने बताया, इस बीमारी के इलाज में सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। उसकी व्यवस्था भी बनाई जा रही है। फिलहाल प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में ब्लैक फंगस के इलाज की व्यवस्था कर दी गई है। एम्स में भी इसका इलाज हो रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस बीमारी के बारे में विशेषज्ञों से चर्चा कर इलाज की मुकम्मल व्यवस्था का निर्देश दिया है।
केंद्र सरकार को भी करना होगा तैयार
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, “इस विषय पर हुई चर्चा में उन्होंने कहा है कि इसे डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना में शामिल किया जा सकता है। लेकिन इसकी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। आयुष्मान भारत योजना भी इसका हिस्सा है। ऐसे में केंद्र सरकार को भी तैयार करना होगा। सिंहदेव ने कहा, इस बीमारी का इलाज काफी महंगा है।”
योजना में 5 लाख तक मुफ्त इलाज
डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत कमजोर आर्थिक वर्ग के लोगों को 5 लाख तक मुफ्त और कैशलेस इलाज की सुविधा मिली हुई है। इसके लिए अस्पतालों को इम्पैनल किया गया है। प्रदेश के 65 लाख परिवारों को यह योजना सुरक्षा मुहैया कराती है।
प्रदेश में ब्लैक फंगस के करीब 50 केस, एक मौत भी
बताया जा रहा है कि प्रदेश में ब्लैक फंगस के करीब 50 केस मिल चुके हैं। अभी 21-22 मरीज रायपुर एम्स में भर्ती हैं। रायपुर मेडिकल कॉलेज सहित कई निजी अस्पतालों मेें भी मरीजों का इलाज हो रहा है। बिलासपुर, रायगढ़, महासमुंद, दुर्ग-भिलाई में भी ऐसे मामले हैं। भिलाई में दो दिन पहले एक इंजीनियर की ब्लैक फंगस की वजह से मौत हो चुकी है। कई जिलों में लोगों की आंखों की रोशनी जाने की बात भी आ रही है।
ऐसे हो रही है यह बीमारी
यह एक फंफूद से होने वाली बीमारी है। बहुत गंभीर लेकिन दुर्लभ संक्रमण है। यह फंफूद वातावरण में कहीं भी पनप सकता है। जैव अपशिष्टों, पत्तियों, सड़ी लकड़ियों और कंपोस्ट खाद में फंफूद पाया जाता है। ज्यादातर सांस के जरिए यह शरीर में पहुंचता है। अगर शरीर में किसी तरह का घाव है तो वहां से भी ये फैल सकता है।
इस बीमारी में हो क्या रहा है
डॉक्टरों के मुताबिक यह संक्रमण मुंह के ऊपरी जबड़े, नाक, कान अौर अांख को निशाना बना रहा है। इसकी वजह से जबड़ों में, आंखाें की पुतलियाें अथवा आंखों के पीछे अथवा नाक में तेज दर्द होता है। नाक, चेहरा और आंखों में सूजन आती है। आंख की पलकों और पुतली का मूवमेंट कम हो जाता है। नाक से बदबूदार पानी निकलता है और कभी-कभी खून भी।
लगभग सभी मरीज कोरोना से ठीक हुए हैं
अभी तक जिन मरीजों में ब्लैक फंगस के संक्रमण की पुष्टि हुई है, वे हाल ही में कोरोना से ठीक हुए हैं। उनमें से अधिकतर डायबिटिक भी हैं। डॉक्टरों का कहना है कि स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल की वजह से डायबिटिक मरीजों में यह संक्रमण फैला है।