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छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में 101 करोड़ 85 हजार 535 रुपए की वित्तीय अनियमितता का खुलासा

4 years ago
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Corruption; 80.98 crore scam in Chhattisgarh Text Book Corporation | छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में 80.98 करोड़ का घोटाला, ऑडिट में फूटा अफसरों का भांडा - Dainik Bhaskar

 

 

 

 

रायपुर, 19 मार्च 2021/   छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में 101 करोड़ 85 हजार 535 रुपए की वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है। यह गड़बड़ी 2008-09 और 2009-10 के ऑडिट में पकड़ी गई थी। स्थानीय निधि संपरीक्षा का कार्यालय निगम के अधिकारियों को हर साल इन आपत्तियों की याद दिलाता रहा, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने पिछले 10 वर्षों में इसका कोई जवाब ही नहीं दिया।

छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा के सीनियर ऑडिटर बीके साहू ने पिछले दिनों पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने याद दिलाया था कि 2008-09 और 2009-10 की ऑडिट आपत्तियों को पिछली बार 2017 में निगम को भेजा गया था। ऑडिटर ने उन दो वर्षों में 141 मामलों पर आपत्ति दर्ज की थी। इसमें कुल 101 करोड़ 85 हजार 535 रुपए की अनियमितता हुई थी। अब ऑडिटर ने इन आपत्तियों पर कार्रवाई करने की ओर फिर से ध्यान दिलाया है। ऑडिटर ने निगम के प्रबंध संचालक को ध्यान दिलाया है कि ऑडिट आपत्तियों पर चार महीने के भीतर कार्यवाही कर स्थानीय निधि संपरीक्षक को बताना होता है, लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है।

निगम के 98 लाख अनुदान में बांटे

ऑडिटर ने एक दूसरे पत्र में 16 करोड़ 62 लाख 87 हजार 119 रुपए के घोटाले की भी याद दिलाई है। ऑडिट में सामने आया था कि पाठ्य पुस्तक निगम ने पाठ्य पुस्तक निधि से भिन्न क्षेत्र के व्यक्तियों और संस्थाओं को 98 लाख 88 हजार रुपए का स्वेच्छानुदान बांट दिया, यानी ऐसे लोगों को अनुदान दिया गया जो निगम से किसी भी तरह से जुड़े नहीं थे।

आठ करोड़ रुपए की आय को बैलेंसशीट में ही नहीं रखा

ऑडिट में सामने आया कि जिम्मेदार अधिकारियों ने 8 करोड़ 94 लाख 37 हजार 660 रुपए की आय बैलेंसशीट में दिखाई ही नहीं गई। ऑडिटर का अनुमान है कि इस राशि का गबन कर लिया गया है। वहीं ग्रीन बोर्ड की खरीदी में वित्तीय अनियमितता की गई है। इसकी वजह से 6 करोड़ 69 लाख 61 हजार 459 रुपए का नुकसान हुआ है।

अध्यक्ष ने कहा, जिम्मेदारों से होगी रिकवरी

छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा, पूर्ववर्ती सरकार में इन गड़बड़ियों को अंजाम दिया गया था। इस वित्तीय अराजकता पर नियंत्रण के लिए सभी जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं। संबंधितों को नोटिस जारी किया जा रहा है। उनके जवाब के आधार पर निगम जिम्मेदारी तय करेगा। अगर गबन प्रमाणित होता है तो उनसे रिकवरी की जाएगी। त्रिवेदी ने कहा, अगर गबन किया हुआ पैसा नहीं मिला तो दोषियों के खिलाफ FIR कराई जाएगी। उन्होंने बताया, इस मामले में प्रभावी कार्रवाई के लिए कानून विशेषज्ञों और चार्टर्ड एकाउंटेंट की मदद ली जा रही है।

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