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नक्सली 3 शर्तों के साथ सरकार से बातचीत को तैयार

4 years ago
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नक्सलियों ने विज्ञप्ति जारी करके 25 लोगों की हत्या की जिम्मेदारी ली  Naxalites issued a release and claimed responsibility for killing 25 people  - News Nation

 

 

 

 

 

 

रायपुर/बीजापुर, 18 मार्च 2021/   बस्तर में सक्रिय नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ सरकार से शांति वार्ता के लिए पहल की है, लेकिन इससे पहले उन्होंने अपनी तीन शर्तें पूरी करने की बात कही। इस पर प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने पत्र मिलने पर इस दिशा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चर्चा करने की बात कही है।

सीएम नवंबर में ही कह चुके हैं कि नक्सली पहले संविधान की शपथ लें, बंदूक छोड़ें तभी बात होगी। गृहमंत्री ने कहा कि सरकार की भी मंशा शांति स्थापित करना है। नक्सलियों के इस प्रस्ताव पर बिल्कुल विचार किया जाएगा, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि क्या कदम उठाया जाएगा। ये एक दिन का मुद्दा नहीं है, इस पर मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद आगे के कदमों को लेकर फैसला लिया जाएगा।

दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने बुधवार को प्रेस को एक बयान जारी किया है। इसमें लिखा है कि सरकार पहले सुरक्षा बलों को हटाए, नक्सली संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध को भी हटाए और जेलों में कैद नक्सली नेताओं को बिना शर्त रिहा करे।

इसके अलावा नक्सली प्रवक्ता ने पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी की दांडी यात्रा को सरकार प्रायोजित कार्यक्रम बताया है और इस कार्यक्रम से जुड़े दूसरे सदस्यों को कहा है कि वे इस सरकारी साजिश का साथ न दें। यह भी कहा है कि शुभ्रांशु के नेतृत्व वाली किसी भी शांतिवार्ता में नक्सली हिस्सा नहीं लेंगे।

इसके अलावा विकल्प ने कहा है कि सिविल सोसायटी के सदस्यों को विस्थापन, रावघाट खनन, पुलिस कैंपों के खिलाफ आंदोलन कर रही जनता के समर्थन में भी आगे आना चाहिए। पर्चे में नक्सलियों ने शांति वार्ता का जिक्र सबसे अंत में किया है और उनका पूरा जोर अपनी पार्टी के मुद़्दों को गिनाने और जनआंदोलन को जारी रखने में रहा है।

ये हैं तीन शर्तें

  1. नक्सल क्षेत्रों से पहले सुरक्षा बलों को हटाए राज्य सरकार
  2. नक्सली संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध को भी हटाए
  3. जेलों में कैद नक्सली नेताओं को बिना शर्त रिहा करे

बातचीत में पुराने अनुभवों का भी जिक्र
नक्सली प्रवक्ता का कहना है कि हमारी पार्टी और सरकार के बीच वार्ता के लिए अनुभवों से सिविल सोसायटी को सबक लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि सभी वाकिफ हैं कि आंध्र प्रदेश में कनसर्ड सिटीजंस कमेटी के ईमानदार प्रयासों से 2004 में नायडू सरकार के साथ वार्ता शुरू हुई थी, लेकिन उसे 2 बार की बातचीत के बाद सरकार ने एकतरफा बंद किया था और भीषण दमन का प्रयोग किया था।

प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है कि इसके बाद 2010 में वार्ता के लिए स्वामी अग्निवेश ने जो पहल शुरू की थी, उन्हें धोखा देते हुए उसे न सिर्फ बंद किया गया था, बल्कि हमारी केंद्रीय कमेटी के पोलित ब्यूरो सदस्य और प्रवक्ता कामरेड आजाद की झूठी मुठभेड़ में जघन्य तरीके से हत्या की गई थी। आगे लिखा है कि जन पक्षधर प्रगतिशील आदिवासी हितैषी बुद्धिजीवियों,सामाजिक कार्यकर्ताओं को क्रांतिकारी आंदोलन से दूर करने की चालबाजी के तहत शुभ्रांशु जैसे कॉरपोरेट दलालों को आगे रखा जा रहा है।

हिंसा का औचित्य बताने में नक्सली नाकामयाब
“क्रांति के नाम पर की जा रही क्रूर हिंसक गतिविधियों का औचित्य बताने में अबतक माओवादी नेतृत्व असफल है। आम लोगों ने माओवादी विचारधारा और उनके कार्य करने के तरीकों पर भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। वरिष्ठ माओवादी कैडर के खोखले दावों की असलियत भांपकर अब उनके कैडर भी संगठन छोड़कर जा रहे हैं।”
-पी. सुंदरराज, आईजी, बस्तर

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