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सालभर रहेगा पानी : महानदी, सोंढूर और पैरी के संगम पर पानी ही नहीं, अब पानी रोकने बन रहा पितईबंध एनीकट

4 years ago
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रायपुर, 13 जनवरी 2021/  राजिम का त्रिवेणी संगम अब साल के 365 दिन पानी से लबालब रहेगा। संगम स्थल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के साथ ही यहां पर जलभराव बनाए रखने के लिए एनीकट बनाया जा रहा है। अभी मानसून को छोड़कर साल के बाकी दिन संगम स्थल पर पानी नहीं रहता। मानसून में धमतरी के गंगरेल और गरियाबंद के सिकासेर बांध से पानी छोड़ने पर ही राजिम त्रिवेणी संगम पर जलभराव था। इस साल अगस्त-सितंबर तक नदी में कुछ पानी था, लेकिन अब संगम स्थल लगभग सूख चुका है। यहां पर पानी की एक पतली धार मात्र है। नदी की रेतीली परत पर कुछ जगह सिर्फ इतना पानी है कि लोगों के पैर टखने से नीचे का हिस्सा ही डूब पा रहे हैं। आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि बारिश के बाद संगम स्थल पर पानी देखे वर्षों बीत गए। राजिम उत्सव और कुंभ के दौरान बांधों से पानी छोड़ने पर ही पानी देखने को मिलता है। मानसून के बाद यहां पानी का प्राकृतिक जल प्रवाह अमूमन नहीं रहता। संगम स्थल और रायपुर से राजिम जाने पर पुलिया के बाईं तरफ जलभराव के लिए कुछ दूर आगे पितईबंध गांव में एनीकट बनाया जा रहा है। इसके बनने से संगम स्थल और आसपास सालभर पानी संग्रहित रहेगा।

सावन में भी महादेव को जलाभिषेक: संगम स्थल पर करीब 20 करोड़ रुपए की लागत से सस्पेंशन ब्रिज तैयार किया जा रहा है। इससे लोग मानसून में भी कुलेश्वर महादेव का जलाभिषेक कर पाएंगे।

नदी के दोनों छोर से सस्पेंशन ब्रिज के जरिए कुलेश्वर महादेव के मंदिर पहुंच सकेंगे। इसी के साथ इस पूरे क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसलिए संगम स्थल पर हमेशा जलभराव रहना चाहिए। योजना के मुताबिक इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के बाद नदी में जलभराव रहने पर लोग बोटिंग का भी मजा ले सकेंगे। पितईबंध गांव में तैयार हो रहे एनीकट से संगम स्थल और आसपास पानी स्टोरेज रहेगा। इसका दूसरा फायदा यह होगा कि यहां पिंडदान करने के लिए आने वाले लोगों को भी पानी उपलब्ध होगा।

संगम स्थल पर पानी का गणित: गंगरेल से पानी छोड़ने पर महानदी का पानी आता है और सिकासेर से सोंढूर और पैरी नदी से पानी आता है। संगम में मिलकर पानी नया रायपुर के टीला बांध और आरंग की ओर निकल जाता है।

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