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कोरोना में अब तक प्रदेश का 1200 करोड़ खर्च, 250 करोड़ रुपए केवल कोरोना की जांच में लगे, वैक्सीनेशन अभी बाकी

4 years ago
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स्वास्थ्य विभाग का खर्च 520 करोड़ अन्य विभागों का खर्च- 680 करोड़
लाॅकडाउन-बिजनेस में नुकसान का खर्च इसमें शामिल नहीं

 

 

रायपुर, 13 जनवरी 2021/  छत्तीसगढ़ में कोरोना की जांच से लेकर इलाज तक का खर्च पिछले 10 महीने में 1200 करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है। इसमें लाॅकडाउन और बिजनेस को हुआ नुकसान तथा एम्स अस्पताल प्रबंधन का कोरोना के इलाज में हुआ खर्च शामिल नहीं है। कोरोना की जांच, इसके लिए इस्तेमाल की जा रही दवाइयां और उपकरणों (वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम) की खरीदी में ही मेडिकल कार्पोरेशन 520 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। इसमें से 250 करोड़ रुपए केवल प्रदेशभर में बड़े पैमाने पर हुई कोरोना की जांच में ही खर्च हुए हैं। कोविड केयर सेंटर, क्वारेंटाइन सेंटर और भोजन वगैरह का खर्च जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा 1200 रुपए के पार हो रहा है, लेकिन अभी मामला खत्म नहीं हुआ है। कोरोना पर खर्च जारी है, और अब वैक्सीनेशन पर बड़ा खर्च होने जा रहा है।

करीब ढाई करोड़ आबादी वाले छत्तीसगढ़ में कोरोना पर जो रकम खर्च हुई है, उसमें स्वास्थ्य विभाग की बड़ी हिस्सेदारी तो है ही, पीएम केयर फंड और आपदा राहत कोष की अच्छी-खासी रकम कोरोना में ही लग गई है। कोरोना से लड़ाई में पिछले 10 माह से राज्य ने अपने पूरे संसाधन झोंके हुए हैं। यहां तक कि अन्य विभागों के बजट में 30 प्रतिशत तक कमी करके बचाई गई राशि इसी में लगी है। प्रदेश के नगरीय प्रशासन विभाग से लेकर खाद्य, श्रम राजस्व विभागों ने भी अपना खजाना कोरोना के इलाज के लिए ही खोल रखा है।

 

 

 

 

 

क्वारेंटाइन सेंटर में प्रवासी मजदूरों के ठहरने से लेकर खाने-पीने, परिवहन पर भी करोड़ों खर्च
मुख्यमंत्री राहत कोष से 68 करोड़ रुपए मिले। केंद्र के डिजास्टर रिलीफ फंड से 216 करोड़ रुपए में से कोरोना से निपटने के लिए राजस्व विभाग ने हेल्थ डिपार्टमेंट को 108 करोड़ 37 लाख रुपए दिए।इस फंड में से भी 15 करोड़ रुपए दिए। इसके अलावा पीएम केयर फंड से 14 करोड़ 49 लाख 20 हजार रुपए मिले, जिसे दो किस्तों में 6 करोड़ 80 लाख व 7 करोड़ 69 लाख रुपए क्वारेंटाइन सेंटरों के लिए खर्च किए गए। श्रम विभाग मजदूरों को लाने-ले जाने पर 4.65 करोड़ रुपए, श्रमिकों के रहने-खाने की व्यवस्था पर राजस्व विभाग ने 18.20 करोड़ रुपए और इसी काम के लिए स्वास्थ्य विभाग के भी 75 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इन पैसाें का उपयोग क्वारेंटाइन सेंटर में प्रवासी मजदूरों के ठहरने से लेकर खाने- पीने और परिवहन पर खर्च किया गया।

हमने 170 करोड़ रुपए बचा भी लिए
“कोरोना की जांच से लेकर उपकरण और इलाज पर स्वास्थ्य विभाग से जुड़े मेडिकल कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) ने 520 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। प्रदेश के अन्य विभागों का खर्च शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा लगभग 1200 करोड़ रुपए पहुंच रहा है। हालांकि दूसरे राज्यों की तुलना में अब तक प्रदेश ने 170 करोड़ रुपए बचाए भी हैं।”
-टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री

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