• breaking
  • Chhattisgarh
  • छत्तीसगढ़ के पांच जिलों में सिकलसेल जांच का पायलट प्रोजेक्ट, पॉइंट ऑफ केयर जांच तकनीक अपनाने वाला पहला राज्य होगा

छत्तीसगढ़ के पांच जिलों में सिकलसेल जांच का पायलट प्रोजेक्ट, पॉइंट ऑफ केयर जांच तकनीक अपनाने वाला पहला राज्य होगा

4 years ago
169
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने की शुरुआत
अब ग्राम स्तर पर हो सकती है सिकलसेल की जांच

 

रायपुर, 08 जनवरी 2021/  छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुके सिकल सेल की पहचान और इलाज और ज्यादा होने जा रही है। सरकार अब सिकल सेल प्रबंधन कार्यक्रम में पॉइंट ऑफ केयर जांच तकनीक अपनाने जा रही है। बताया जा रहा है, ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य हाेगा।

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री टीएस सिंहदेव ने आज पांच जिलों के लिए इसके पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों से जांच किट का डेमोंस्ट्रेशन भी देखा। यह पायलट प्रोजेक्ट दुर्ग, सरगुजा, दंतेवाड़ा, कोरबा और महासमुंद जिलों में चलेगा। स्वास्थ्य कर्मियों को इस तरह की जांच के लिए प्रशिक्षण इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च, मुंबई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनो हिमेटोलॉजी के विशेषज्ञ दे रहे हैं। अगले सप्ताह तक जमीनी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा।

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि आज के समय में सिकल सेल असाध्य रोग नहीं रहा। ऐसी दवाएं उपलब्ध हैं जिससे सिकल सेल का मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। लेकिन, इसके लिए रोग की पहचान जरूरी है। आज से शुरू हो रही परियोजना जांच को आसान बनाकर बीमारी की जांच को सरल बनाएगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि रोग की पहचान शीघ्र होने से इलाज भी शीघ्र शुरू हो पाएगा।

छत्तीसगढ़ में 10 प्रतिशत आबादी प्रभावित
छत्तीसगढ़ में एक सिकल सेल संस्थान बना हुआ है। लेकिन, अभी तक इसके जांच की सुविधा शहर के बड़े अस्पतालों और जिला अस्पतालों में ही उपलब्ध थी। नई तकनीक से गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी जांच की जा सकती है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक छत्तीसगढ़ की आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा इस रोग की चपेट में है। कुछ समुदायों में यह 30 प्रतिशत तक है।

दो वर्षों से चल रही थी स्क्रीनिंग
अधिकारियों ने बताया, स्वास्थ्य विभाग पिछले दो वर्षों से सिकलसेल के संदिग्ध मरीजों की पहचान के लिए बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग की गई है। स्क्रीनिंग में एक लाख 3 हजार बच्चों को सिकलसेल के संदिग्ध मामलों के रूप में पहचाना गया है।

क्या है सिकलसेल रोग

सिकलसेल जेनेटिक बीमारी है। सामान्य रूप से खून की लाल रक्त कोशिकाएं उभयावतल डिस्क के आकार की होती है। सिकल सेल रोग में लाल रक्त कोशिकाओं का आकार हंसिए की तरह हो जाता है। ये असामान्य और चिपचिपी रक्त कोशिकाएं विभिन्न अंगों में रक्त प्रवाह को रोक देती हैं। इसकी वजह से तेज दर्द होता है और अंगों को नुकसान पहुंचता है।

Social Share

Advertisement