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जिस जंगल में हाथी रिजर्व बनाना चाहता है छत्तीसगढ़, वहां कोयला खदान के लिए जमीन अधिग्रहीत कर रही केंद्र सरकार

4 years ago
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Chhattisgarh Cabinet Stamp on countrys first Elephant reserve Lemru
हसदेव अरण्य के जिस क्षेत्र में यह कोल ब्लॉक स्थित है वह हाथियों का पुराना रहवास है।
कोरबा के मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक में अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू
राज्य सरकार और ग्राम सभा का बाइपास कर जारी हुई अधिसूचना

 

रायपुर, 29 दिसंबर 2020/   छत्तीसगढ़ सरकार हसदेव अरण्य के जिस जंगल को हाथियों के लिए सुरक्षित रहवास बनाना चाहती है, वहां केंद्र सरकार ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दिया है। यह अधिग्रहण भू-अर्जन कानून के तहत नहीं बल्कि कोयला धारक कानून के तहत हो रही है। जिसके तहत कोयला वाले क्षेत्रों में केंद्र सरकार को कुछ विशेष अधिकार मिले हुए हैं। पिछले सप्ताह केंद्र सरकार ने अधिग्रहण की अधिसूचना जारी कर दी।

छत्तीसगढ़ के सघन वन क्षेत्रों में राज्य सरकार और केंद्र सरकार के हित फिर से टकराने लगे हैं। यह नई जंग कोयले को लेकर हो रही है। केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक की खदान आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को आवंटित किया है। इसके लिए कॉर्पोरेशन को 648.601 हेक्टेयर जमीन चाहिए।

इस बीच सरकार ने प्रस्तावित लेमरु हाथी रिजर्व के क्षेत्र में विस्तार का फैसला कर लिया। अगस्त में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इसपर मुहर लग गई। इस विस्तार में मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक का क्षेत्र भी आता है।

इसी दौरान आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने वन विभाग को आवेदन देकर वन भूमि के डाइवर्सन की अनुमति मांगी। 16 सितम्बर 2020 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने अनुशंसा की शर्तों के साथ लिखा, लेमरु हाथी रिजर्व के 3827 वर्ग किमी क्षेत्रफल में 64 कोल ब्लॉक आ रहे हैं। इसमें मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक भी इसी क्षेत्र में शामिल है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक के कार्यालय ने वन विभाग के प्रमुख सचिव को इसकी जानकारी दी। वहां से आपत्तियों के बाद कोल ब्लॉक के लिए वन और राजस्व वन भूमि का डाइवर्जन खटाई में पड़ता दिखा। अब कोयला मंत्रालय ने राज्य सरकार और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को दरकिनार कर कोयला धारक अधिनियम के तहत प्रस्तावित जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन परियोजनाओं के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन चल रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस क्षेत्र में आकर खनन योजनाओं का विरोध कर चुके हैं।

 

हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन परियोजनाओं के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन चल रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस क्षेत्र में आकर खनन योजनाओं का विरोध कर चुके हैं।

कितनी जमीन प्रभावित होगी

मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक के लिए जिस जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई है। उसमें 502 हेक्टेयर वन भूमि है। इसमें 489 हेक्टेयर में संरक्षित वन है। मोरगा ओर केतमा गांव में स्थित 145 हेक्टेयर राजस्व वन भूमि भी इसके दायरे में है।

अधिग्रहण अधिसूचना के मुताबिक 1.34 एकड़ सरकारी भूमि और 155 एकड़ निजी भूमि का भी अधिग्रहण होना है। यह पूरी जमीन कोरबा की पोड़ी उपरोड़ा तहसील के गांवों में है।

तीस दिन में करनी होगी आपत्ति

अधिसूचना के मुताबिक परियाेजना से हितबद्ध व्यक्तियों को केंद्रीय कोयला नियंत्रक के समक्ष आपत्तियां करनी होंगी। इसके लिए अधिकतम समय-सीमा 30 दिन निर्धारित है। इस कानून के तहत हितबद्ध व्यक्ति उसे माना जाएगा जिसे अधिग्रहण से मुआवजा मिलने वाला है।

विशेषज्ञों ने बताया गैर कानूनी

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े आलोक शुक्ला अधिग्रहण की इस अधिसूचना को गैर कानूनी बता रहे हैं। शुक्ला कहते हैं कि वहां वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत वन भूमि के डायवर्सन की प्रक्रिया चल रही है। इसमें भी ग्रामसभा की सहमति आवश्यक है।

इससे बचने के लिए केंद्र सरकार ने पूरी प्रक्रिया को ही बाइपास कर दिया है। अब कोल बियरर एक्ट से अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई है, जिसमें वन भूमि को भी शामिल कर लिया गया है। यह गैर कानूनी है। शुक्ला कहते हैं, राज्य सरकार को इसका विरोध करना चाहिए।

पूरी स्थिति की समीक्षा कर रही है सरकार

छत्तीसगढ़ के वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा, अधिग्रहण की अधिसूचना की जानकारी आई है। उसकी पूरा विवरण मंगाया है। उसका अध्ययन कर पूरी समीक्षा की जा रही है। सरकार मामले की पूरी समीक्षा के बाद जरूरी कदम उठाएगी। वन मंत्री ने कहा, छत्तीसगढ़ के हितों को नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाएगा।

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