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राजनीतिक मन्नत : छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री ने सूरजपुर में खोपा देवता से मांगी मन्नत, पूरा होने पर 101 बकरे चढ़ाने का वादा

4 years ago
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कहा, मैं हमेशा ऐसी मनौती नहीं मांगता खासकर खुद के लिए
मनौती का विषय बताने से सिंहदेव का इन्कार, कहा- बैगा ने मना किया है

 

 

रायपुर, 21 दिसंबर 2020/   छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री की चर्चाओं के बीच प्रदेश के स्वास्थ्य, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव की एक मन्नत से राजनीतिक माहौल गरमा सकता है। सिंहदेव ने सुरजपुर के खोपा देवता को 101 बकरे चढ़ाने की मन्नत मांगी है।

जिला स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल होने शनिवार को सूरजपुर के खोपाधाम गए सिंहदेव ने स्थानीय लोकदेवता की पूजा-अर्चना की। इस दौरान गांव के सरपंच और देवता के बैगा ने उनसे देवता की महिमा बताकर मन्नत मांगने को कहा। सिंहदेव ने मन्नत मांगी।

बाद में वहां आयोजित सभा में सिंहदेव ने सार्वजनिक तौर पर कहा, मैं ऐसी मनौती जल्दी नहीं मानता खासकर अपने लिए। लेकिन आज 101 बकरे की बात कहकर गया हूं। अगर हो गया पूरा तो 101 बकरे चढ़ाने पड़ेंगे।

सिंहदेव ने किस काम के पूरा होने की प्रार्थना करते हुए देवता को 101 बकरे देने का वादा किया है यह सामने नहीं आया है। दैनिक भास्कर से बात करते हुए टीएस सिंहदेव ने कहा, मैं वहीं बताना चाहता था, लेकिन बैगा ने मनौती की जानकारी देने से मना कर दिया। अब यह काम होने के बाद ही पता चलेगा।

अब सिंहदेव ने क्या पाने के लिए देवता को 101 बकरा चढ़ाने की मन्नत मांगी है यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन कांग्रेस की मौजूदा राजनीतिक माहौल में हलचल पैदा करने के लिए यह काफी है।

मन्नत पूरी होने से पहले नहीं जा सकते श्रद्धालु

सूरजपुर से 13 किमी दूर खोपा गांव में आसपास के क्षेत्रों में काफी मान्यता है। यहां एक खुले मैदान में खोपा देवता की प्रतिमा स्थापित है। देवता के श्रद्धालुओं का कहना है कि अधिकतम एक साल के भीतर मन्नत पूरी हो जाती है। मन्नत पूरी होने तक मांगने वाला श्रद्धालु देवता के दरबार में नहीं जा सकता।

मन्नत पूरी होने पर चढ़ता है बकरा-शराब

मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु मन्नत का बकरा और शराब लेकर यहां पहुंचते हैं। बैगा इस चढ़ावे को देवता को समर्पित कर अपने विशिष्ट अंदाज में स्वीकार करने की प्रार्थना करता है। इसके बाद वहीं खुले मैदान में बकरे को पकाकर प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है। महिलाओं को यह प्रसाद खाने की इजाजत नहीं है।

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