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छत्तीसगढ़ में 2030 तक नवजात मृत्यु दर एक अंक में लाने की योजना

4 years ago
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नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का उद्देश्य नन्हें शिशु के स्वास्थ्य की देखभाल एवं उसके महत्व के विषय में लोगों को जागरूक करना है

 

रायपुर, 20 नवंबर 2020/ छत्तीसगढ़ में वर्तमान में नवजात मृत्यु की दर 29 फीसदी है। वर्ष 2030 तक इसे एक अंक में लाने की योजना है। यह जानकारी पं. जवाहर लाल नेहरु स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर द्वारा आयोजित वेबिनार में दी गयी। पं. जवाहर लाल नेहरु स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर तथा इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स, रायपुर चैप्टर एवं छत्तीसगढ़ नियोनेटोलॉजी एकेडमी के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का आयोजन आनलाइन वेबिनार के माध्यम से किया जा रहा है।

इसके साथ ही अस्पतालों में विशेषज्ञों द्वारा प्रसूताओं को नवजात शिशुओं के बेहतर देखभाल हेतु प्रशिक्षण देकर जागरूक किया जा रहा है। नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का उद्देश्य नन्हें शिशु के स्वास्थ्य की देखभाल एवं उसके महत्व के विषय में लोगों को जागरूक करना है। देश में हर साल 15 से 21 नवंबर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जाता है। इस वर्ष नवजात शिशु देखभाल सप्ताह की थीम है: हर स्तर पर गुणवत्ता, समानता और नवजात शिशु की देखभाल की गरिमा। इस थीम का निर्धारण स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के बाल्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया है।

नवजात मृत्यु दर में गिरावट में आई तेजी

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज) और गुणवत्ता सेवाओं के माध्यम से सभी उम्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य के उच्चतम संभव स्तर और अच्छे स्वास्थ्य की परिकल्पना की गई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की शुरूआत के साथ ही नवजात मृत्यु दर में गिरावट में तेजी आई और 2005-2018 के दौरान 13 अंकों की गिरावट दर्ज की गई।

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मेडिकल कॉलेज रायपुर की बाल्य एवं शिशु रोग विभागाध्यक्ष एवं विशेषज्ञ प्रो. डॉ. शारजा फूलझेले ने बताया कि राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल सप्ताह की शुरूआत 15 नवंबर से की गई है जो 21 नवंबर तक मनाया जाएगा। डॉ. फूलझेले ने बताया कि इस साल भी इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स, रायपुर चैप्टर एवं छत्तीसगढ़ नियोनेटोलॉजी एकेडमी ने नवजात देखभाल के लिए समुदाय में जागरूकता पैदा करने की योजना बनाई है।

इसके अंतर्गत यहां हर दिन हम नवजात शिशु के जन्म से शुरू होने वाली सुरक्षा के महत्वपूर्ण विवरण साझा कर रहे हैं। यहां पर वरिष्ठ विशेषज्ञ शिशु स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण जानकारियों का आदान-प्रदान कर रहे हैं ताकि हम अपने राज्य में नवजात मृत्यु दर में कमी ला सके और उनमें होने वाली बीमारियों की रोकथाम की जा सके।

अधिकतम मृत्यु दर जीवन के पहले 48 घंटों में

इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स रायपुर चैप्टर की अध्यक्ष डॉ. पूजा धुप्पड़ ने बताया कि छत्तीसगढ़ में नवजात मृत्यु दर 29 फीसदी है जिसे 2030 तक एक अंक में लाने की योजना बना रहे हैं। अधिकतम मृत्यु दर जीवन के पहले 48 घंटों में होती है। इसे कम करने के लिए हमें प्रसव से पहले जागरूक होने की आवश्यकता होती है तथा प्रसव के बाद भी।

राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल सप्ताह के अंतर्गत हम सभी अस्पतालों में प्रसूताओं को शिशु स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की सलाह दे रहे हैं। नवजातों को होने वाली बीमारियों की समय रहते पहचान, संक्रमण से रोकथाम, नियमित स्तनपान, समय-समय डायपर बदलना, पर्याप्त नींद इत्यादि विषय पर माताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

आयोजन के पहले दिन प्रो. डॉ. शारजा फूलझेले ने नवजात शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिये किशोर पोषण की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि किशोर पोषण सही रहेगा तो नवजात स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा। कम वजन वाले शिशुओं और समय से पूर्व जन्मे शिशुओ को विशेष देखभाल की आवश्यकता पड़ती है।

दूसरे दिन मेडिकल कॉलेज की बाल्य एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कनक रामनानी ने प्रसवपूर्व देखभाल की मूल बातें और खतरे के संकेत जो माताओं को पता होना चाहिए, के सम्बन्ध में चर्चा की। तीसरे दिन पद्मश्री डॉ. ए. टी. दाबके ने नवजात शिशुओं के बुनियादी देखभाल सुविधा पर चर्चा की। उन्होंने शिशु स्वास्थ्य के लिये नियमित स्तनपान, संक्रमण से बचाव एवं शिशुओ को संभालने के उचित तरीकों के बारे में बताया।

नवजात को जन्म के 6 महीने तक केवल मां का दूध पिलाएं

चौथे दिन डॉ. अमर सिंह ठाकुर ने शिशुओं को ब्रेस्टफीडिंग कराने के सही तरीके और एक्सक्लूसिव ब्रेस्ट फीडिंग के बारे में जागरूकता को लेकर चर्चा की। डॉ. ठाकुर ने बताया कि नवजात को जन्म के 6 महीने तक केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए क्योंकि मां का दूध शिशु के लिये सर्वोत्तम है।

पांचवें दिन डॉ. राघवे ने नवजात शिशु में पीलिया के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यदि नवजात को पीलिया हो जाये तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। इस दौरान शिशु के स्तनपान को बंद नहीं करना चाहिए। आजकल नियोनेटल जांडिस यानी पीलिया के उपचार के लिये नियोनेटल केयर में बेहतर ढंग से इलाज की सुविधा होती है।

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