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आज से नवरात्रि मंदिरों में लगेगी स्क्रीन, माता की आरती और श्रृंगार का भक्त कर सकेंगे दर्शन
प्रमुख देवी मंदिरों में आज से शारदीय नवरात्रि पर होगी कलश स्थापना
रायपुर, 17 अक्टूबर 2020/ शारदीय नवरात्रि की शुरुआत शनिवार से हो रही है। हर साल इस मौके पर मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी। इस वर्ष कोराेना महामारी के चलते मंदिरों में श्रद्धालुओं काे प्रवेश नहीं दिया जाएगा। ताकि सोशल डिस्टेंसिंग और शासन के नियमों का पालन हो सके। मंदिरों में सजावट हो चुकी है। मंदिरों में इस वर्ष मनोकामना ज्योत जलाने के लिए भी नए रसीद नहीं काटे गए। वहीं शहरभर के देवी मंदिरों में 20563 ज्योत जलाए जाएंगे। कई जगह दुर्गा प्रतिमा भी स्थापित होगी। पुरानी बस्ती स्थित मां महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा। भीड़ न बढ़े इसके लिए श्रद्धालुओं को सिंह द्वार तक ही प्रवेश दिया जाएगा। यहां से उन्हें माता का दर्शन मिलेगा। मुख्य द्वार पर भी स्क्रीन लगाया जाएगा, जिसमें माता की आरती और श्रृंगार का दर्शन किया जा सकेगा। मंदिर में लाइटिंग के साथ साज-सज्जा की गई है। ज्योतिषाचार्य डाॅ. दत्तात्रेय होस्केरे ने बताया कि शनिवार को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है यानी इसी दिन से नवरात्रि शुरु हो रही है। चित्रा नक्षत्र में प्रारंभ हो रही नवरात्रि में द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी और षष्ठी को क्रमश: प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन ओर सुकर्मा जैसे शुभ योग पड़ रहे है। जो कि पिछले कई वर्षों से नहीं पड़े है। यह नवरात्रि पूरे नौ दिनों की है।
मंदिरों में ज्योत की संख्या
- बंजारी रावाभांठा – 10000
- महामाया मंदिर – 5163
- आकाशवाणी चौक – 2500
- पं. रविशंकर विवि – 2000
- कंकाली मंदिर – 1000
घट स्थापना मुहुर्त
- अभिजित मुहूर्त में सुबह 11.36 से 12.24 बजे तक।
- वृश्चिक लग्न में सुबह 8.16 से 10.31 बजे तक।
- कुंभ लग्न में दोपहर 2.24 से 3.59 बजे तक।
- वृषभ लग्न में रात 7.13 से 9.12 बजे तक।
ऐसे करें पूजा
शनिवार 17 अक्टूबर प्रतिपदा: माता शैलपुत्री
सूर्योदय कालीन प्रतिपदा तिथि होने से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ। मंगल प्रधान चित्रा नक्षत्र है। मंत्रों का यथायोग्य जाप कर माता को भोग समर्पित करें। मां की आराधना से जीवन में स्थिरता, बलवृद्धि, स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा-अर्चना से भावनात्मक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
ध्यान मंत्र: वंदे वांछित लाभाय चंद्रार्द्ध कृत शेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
भोग: माता को गौ दुग्ध से बने घी या घी से बनी सामग्रियों का भोग समर्पित करें।
वस्त्र: आज नारंगी रंग के वस्त्र पहने।
पूर्व दिशा की होगी शांति
अपने घर के पूर्वी किनारे पर ‘ह्रीं मामैंद्री देव्यै नम:’ मंत्र का उच्चारण कर पीली सरसों का छिड़काव करें। गृह क्लेश से मुक्ति मिलेगी।