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मरवाही उपचुनाव का विश्लेषण
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 5 बार चुनाव हुए, हर बार जोगी परिवार का ही रहा कब्जा
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन से खाली हुई है सीट, 3 नवंबर को होगा मतदान
रायपुर 15 अक्टूबर 2020 / छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन से खाली हुई मरवाही विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होने जा रहे हैं। राज्य बनने के बाद इस सीट पर पांच बार चुनाव हुए और हर बार जोगी परिवार का ही कब्जा रहा। ऐसे में जोगी के इस गढ़ में जहां कांग्रेस मिशन ’70’ को देख रही है, वहीं अमित जोगी के सामने राजनीतिक विरासत बचाने की चुनौती है।
करीब 2 लाख मतदाता वाली अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षित यह सीट आदिवासी और दलित बहुल है। छत्तीसगढ़ गठन के बाद से यह सीट कांग्रेस की थी, लेकिन साल 2018 में इसे अजीत जोगी ने इसे अपनी सीट बना लिया। सरकार तो कांग्रेस ने बनाई, पर पार्टी इस सीट पर तीसरे नंबर पर पहुंच गई। तब अजीत जोगी ने भाजपा प्रत्याशी अर्चना पोर्ते को 46 हजार वोटों से हराया।
बेटे के कांग्रेस से निष्कासन पर तोड़ा पार्टी से संबंध
अजीत जोगी ने साल 2013 में कांग्रेस के टिकट पर अपने बेटे अमित जोगी को लड़ाया। वह जीते और यह सीट परिवार के पास ही रही। 2016 में कांग्रेस से अमित को बाहर कर दिया गया। नाराज अजीत जोगी ने पार्टी से अपना नाता तोड़ लिया। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसीजे) का गठन किया और साल 2018 में फिर चुनाव जीत सीट अपने नाम की।
यह उम्मीदवार मैदान में हैं, 10 नवंबर को नतीजे
कांग्रेस | डॉ. केके ध्रुव (उम्मीदवार) |
भाजपा | डॉ. गंभीर सिंह (उम्मीदवार) |
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस | अमित जोगी/ऋचा जोगी (नाम तय नहीं) |
नामांकन की आखिरी तारीख | 16 अक्टूबर |
नाम वापसी | 19 अक्टूबर |
मतदान | 3 नवंबर |
नतीजे | 10 नवंबर |
विधानसभा में 67 सीट जीतने वाली कांग्रेस अब 69 पर है
प्रदेश की 90 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 67 पर जीत दर्ज की थी और 15 सालों से सत्ता में काबिज रह चुकी भाजपा को 15 सीटों पर समेट दिया। साल 2019 में जगदलपुर व चित्रकूट उपचुनावों में दोनों सीटें कांग्रेस के हाथ आईं। इसके बाद मरवाही को लेकर भूपेश बघेल ने टारगेट ’70’ की घोषणा की थी। अब मतदाता किस करवट रूख करेंगे, ये तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा।
सिर्फ कुर्सी की नहीं, व्यक्तिवाद और राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई
मरवाही विधानसभा सीट का चुनाव सिर्फ कुर्सी का नहीं है, बल्कि व्यक्तिवाद और राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई है। इसमें एक ओर जहां अमित जोगी को खुद को साबित करना है और पिता की विरासत व पार्टी को बचाना है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को मिली जीत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक कद को बढ़ाने के साथ विरोधियों को भी शांत करना चाहते हैं।
… तो कद के साथ बढ़ेगी ‘बारगेनिंग पावर’
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में मरवाही विधानसभा सीट अगर जीत लेते हैं तो उनका कद राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगा। साथ ही पार्टी हाईकमान के सामने उनकी ‘बारगेनिंग पावर’ भी बढ़ जाएगी। इसके चलते अंदरूनी विरोधी भी शांत होंगे ऐसा माना जा रहा है लेकिन हार विरोधियों को और भी मुखर बना सकती है।
मरवाही विधानसभा सीट
- कुल मतदाता : 1 लाख 91 हजार 244
- पुरुष मतदाता : 93,843
- महिला मतदाता : 97,397
- सौ से अधिक साल के मतदाता : 1572
सहानुभूति लेकिन कड़ी मेहनत जरूरी : विश्लेषक
सीनियर रिटायर्ड आईएएस और राजनीतिक विश्लेषक सुशील त्रिवेदी कहते हैं कि मरवाही में अजीत जोगी के निधन से सहानुभूति की लहर तो है, लेकिन इसे वोट में बदलने के लिए अमित जोगी को काफी मेहनत करनी होगी। कांग्रेस ने वहां पूरी ताकत झोंक दी है जबकि भाजपा किसी भी तरह नहीं चाहेगी की कांग्रेस वहां जीत दर्ज करे।