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सीएम विष्णुदेव साय ने पलटा भूपेश बघेल का फैसला, फिर से मिलेगी 15 हजार की सम्मान निधि, कांग्रेस सरकार ने लगाई थी रोक

7 months ago
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रायपुर: छत्तीसगढ़ की विषणुदेव साय सरकार ने आचार संहिता हटते ही बड़ा फैसला किया है। राज्य सरकार ने पूर्व की भूपेश बघेल सरकार के एक फैसले को पलट दिया है। छत्तीसगढ़ के मीसाबंदियों को अब फिर से सम्मान निधि मिलेगी। इसे लिए शुक्रवार को वित्त विभाग ने आदेश भी जारी कर दिया है। मामले की जानकारी देते हुए राज्य सरकार के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा- ’28 जनवरी 2019 को लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान निधि में रोक लगा दी गई थी। हमारी सरकार ने रोक हटा दी थी और पेंशन बहाल करने के लिए 7 मार्च 2024 को अधिसूचना जारी की थी।’ बता दें कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मीसाबंदियों की पेंशन रोक दी गई थी। अब इस फैसले को पलट दिया गया है।

वित्त विभाग ने लंबित पेमेंट के लिए बजट आबंटन का आदेश जारी किया है। बता दें कि 1975 में देश में आपातकाल लागू किया गया था। इस दौरान जिन लोगों ने संविधान की रक्षा के लिए आवाज उठाई थी उन्हें मीसा कानून के तहत जेल में डाल दिया गया था। जिस कारण से इन लोगों को मीसाबंदी कहा जाता है। बीजेपी शासित सरकारों में मीसाबंदियों को पेंशन दी जाती है।

भूपेश बघेल ने लगाई थी रोक
बता दें कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने मीसाबंदियों की पेंशन पर रोक लगा दी थी। मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद छत्तीसगढ़ के मीसाबंदियों को 2008 से पेंशन मिल रही थी। लेकिन जनवरी 2019 में भूपेश बघेल ने इस पर रोक लगा दी थी। विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने फिर से पेंशन देने का वादा किया था। जानकारी के बाद सीएम के फैसले के बाद सेनानी संघ 26 जून को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का सम्मान करेगा।

कितनी मिलती है पेंशन

छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनने के बाद आपातकाल में जेल गए मीसा बंदियों को सम्मान निधि देने की शुरुआत की गई थी। रमन सिंह ने अपने तीसरे कार्यकाल में मीसाबंदियों की पेंशन बढ़ाकर 15 हजार रुपए कर दी गई थी। इस सीएम विष्णुदेव साय और वित्त विभाग के आदेश के बाद मीसाबंदियों ने खुशी जाहिर की है।

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