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छत्तीसगढ़ में नये कोटे पर भड़का विपक्ष : आरक्षण विधेयक पर लाएंगे संशोधन प्रस्ताव, SC को 16% और EWS को 10% देने की मांग
रायपुर, 01 दिसंबर 2022/ छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के खत्म हो चुके आरक्षण को बहाल करने के लिए सरकार दो नये विधेयक ला रही है। इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र गुरुवार से शुरू हो गया। लेकिन संयुक्त विपक्ष को सरकार की ओर से तय आरक्षण का नया कोटा मंजूर नहीं है। भाजपा, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और बहुजन समाज पार्टी के नेता संयुक्त रूप से एक संशोधन प्रस्ताव रखने की तैयारी में हैं। इसमें अनूसूचित जाति-SC के लिए 16% और सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10% आरक्षण की मांग किया जाना है।
विशेष सत्र के दूसरे दिन यानी शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक 2022 को पेश करने वाले हैं। इसके साथ ही शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक को भी पेश किया जाएगा। सरकार की योजना इन विधेयकों पर दिन भर की चर्चा के बाद पारित कराने की है। इस विधेयक में आदिवासी वर्ग-ST को 32%, अनुसूचित जाति-SC को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27% आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण हो जाएगा।
19 सितम्बर तक प्रदेश में 68% आरक्षण था। इनमें से अनुसूचित जाति को 13%, अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण के साथ सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था थी। 19 सितम्बर को आए बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खत्म हो गया। उसके बाद सरकार ने नया विधेयक लाकर आरक्षण बहाल करने का फैसला किया है। संभावना जताई जा रही है, शुक्रवार को विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष आक्रामक ढंग से SC और EWS का कोटा बढ़ाने की मांग उठाएगा।
अब SC वर्ग ने उठाया विरोध का झंडा
सरकार के नये आरक्षण विधेयक से आदिवासी समाज का 32% आरक्षण लौट रहा है। वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में 13% का भारी इजाफा हो रहा है। इससे इन वर्गों में संतोष है। लेकिन अनुसूचित जाति वर्ग ने विरोध का झंडा खड़ा कर दिया है। उनकी मांग है कि उनको 16% आरक्षण दिया जाए जो 2012 से पहले उनको मिलता रहा है। इसको लेकर बसपा ने बिलासपुर में प्रदर्शन किया। कुछ दूसरे जिलों में विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं।
संयुक्त विपक्ष ने ढूंढा राजनीतिक मौका
आरक्षण के नये कोटे से उपजे असंतोष में संयुक्त विपक्ष को राजनीतिक मौका नजर आ रहा है। एक दिन पहले जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक पत्र लिखा। उनका सुझाव था, अनुसूचित जाति को 16%, अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण मिले। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों यानी EWS को 10% आरक्षण मिले और उसमें भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिए भी आरक्षण का प्रावधान हो। छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को 100% आरक्षण का प्रावधान किया जाये। गुरुवार को विधानसभा परिसर में बसपा और भाजपा भी ऐसी ही मांग के साथ आ गए।
सरकार कह रही है जनसंख्या के अनुपात में कोटा, SC में भी शपथपत्र
इधर सरकार का कहना है, वह जनसंख्या में अनुपात में आरक्षण लागू करना चाहती है। संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे का कहना था, “सरकार सभी वर्गों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण देगी। सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए उच्चतम न्यायालय कह चुका है कि राज्य 10% तक आरक्षण दे सकते हैं। 10% ही देना है ऐसा नहीं है। वह अधिकतम सीमा है।’ इस बीच राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में लगाई गई रिट याचिका के साथ प्रदेश की जनसंख्या का आंकड़ा शामिल किया है। इसमें 2011 की जनगणना के मुताबिक प्रदेश में आदिवासी समाज की संख्या 30.62% और अनुसूचित जाति वर्ग की संख्या 12.81% बताई गई है।