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छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर घमासान:कांग्रेस बोली-भाजपा सरकार ने कोर्ट में “कंवर समिति’ की रिपोर्ट तक नहीं रखी, हमने रखा-तब तक देर हो चुकी थी
रायपुर, 21 सितंबर 2022/ बिलासपुर हाईकोर्ट के आरक्षण को रिवर्ट कर देने के फैसले से छत्तीसगढ़ में राजनीतिक संग्राम खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने आरक्षण को रिवर्ट करने वाले फैसले के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने बुधवार को कहा, भाजपा सरकार ने तत्कालीन गृह मंत्री ननकीराम कंवर की अध्यक्षता में बनी मंत्रिमंडलीय उप समिति की रिपोर्ट तक अदालत में नहीं दी। अंतिम सुनवाई पर हमने वह रिपोर्ट पेश की तो अदालत ने कहा – अब बहुत देर हो चुकी है।
कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में प्रेस से चर्चा में कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के 58 प्रतिशत आरक्षण को बिलासपुर उच्च न्यायालय ने रद्द करने का फैसला दिया है। यह इस वजह से हुआ क्योंकि तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने अपने दायित्व का ईमानदारी से निर्वहन नहीं किया था। रमन सिंह सरकार ने 2011 में आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 58 % करने का निर्णय लिया था। 2012 में इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। इंदिरा साहनी केस सहित सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों के अनुसार कोई भी राज्य अगर 50% से ज्यादा आरक्षण बढ़ाता है तो उसे उन अत्यंत विशेष परिस्थितियों का उल्लेख करना होगा।
तत्कालीन सरकार ने इसका भी ख्याल नहीं रखा। 2012 में बिलासपुर उच्च न्यायालय में 58% आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर हुई। तब भी रमन सिंह सरकार ने सही ढंग से उन विशेष कारणों को प्रस्तुत नहीं किया, जिसके कारण आरक्षण को बढ़ाने की जरूरत पड़ी थी। आरक्षण बढ़ाने से पहले सरकार ने तत्कालीन गृहमंत्री ननकीराम कंवर की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय समिति का गठन किया था। उसकी सिफारिशों को भी अदालत के सामने पेश नहीं किया गया। किसी हलफनामे में इसका उल्लेख तक नहीं किया। परिणाम यह हुआ कि जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने मंत्रिमंडलीय समिति के बारे में जानकारी दी लेकिन पुराने हलफनामों में इसका कोई उल्लेख नहीं होने के कारण अदालत ने स्वीकार ही नहीं किया। जिसका परिणाम यह फैसला है।
अंतिम बहस में खुद महाधिवक्ता मौजूद थे
मोहन मरकाम ने कहा, कांग्रेस सरकार इस मामले में गंभीर थी। इस प्रकरण में जब राज्य सरकार की अंतिम बहस हुई तो खुद महाधिवक्ता मौजूद थे। उन्होंने मंत्रिमंडलीय समिति की हजारों पन्नों की रिपोर्ट को कोर्ट में प्रस्तुत किया था। लेकिन कोर्ट ने ये कहते हुए उसे खारिज कर दिया कि राज्य सरकार ने पहले कभी भी उन दस्तावेजों को शपथ पत्र का हिस्सा नहीं बनाया।
कहा – रमन सिंह प्रदेश से माफी मांगें
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा, इस मामले में तत्कालीन रमन सिंह सरकार अपने इस दायित्व का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर पायी। इसी का परिणाम है कि अदालत ने 58% आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया। इस दुर्भाग्यजनक स्थिति के लिये पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह प्रदेश की जनता से माफी मांगें।
आरक्षण बढ़ाने की सभी परिस्थितियां मौजूद
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा, यदि किसी वर्ग के आरक्षण में कटौती किये बिना ईमानदारी से दूसरे वर्ग के आरक्षण को बढ़ाया जाता तो यह स्थिति निर्मित ही नहीं होती। सभी संतुष्ट रहते तो कोई कोर्ट भी नहीं जाता। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बढ़ाने के तमाम तर्कसंगत कारण और विशेष परिस्थितियां हैं। भारतीय जनता पार्टी और रमन सिंह सरकार की नीयत में खोट थी। उन्होंने अदालत में राज्य की 95% आबादी के हक में तर्क नहीं दिया और जनता को उसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।