- Home
- breaking
- Chhattisgarh
- मुख्यमंत्री निवास में तीजा-पोरा तिहार शुरू : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पत्नी के साथ की महादेव शिव की पूजा
मुख्यमंत्री निवास में तीजा-पोरा तिहार शुरू : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पत्नी के साथ की महादेव शिव की पूजा
रायपुर, 27 अगस्त 2022/ मुख्यमंत्री निवास में तीजा-पोरा तिहार शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल ने महादेव शिव की पूजा-अर्चना से पर्व की शुरुआत की। आयोजन में शामिल होने महिला जनप्रतिनिधि और प्रदेश भर से अनेक महिलाएं पहुंची हुई हैं। दिल्ली से कांग्रेस की नेत्रियां अलका लांबा और रागिनी नायक भी तीज मनाने मुख्यमंत्री निवास पहुंची हुई हैं।
पोला व तीज पर्व के लिए मुख्यमंत्री निवास में विशेष तैयारियां की गई हैं। मुख्यमंत्री निवास में पहले पोला की परंपरा निभाई गई। इस मौके पर नंदी बैल की पूजा की गई। इसी के साथ ही यहां पर तीजा महोत्सव भी शुरू हो गया। तीजा महोत्सव के लिए प्रदेश के विभिन्न स्थानों से तीजहारिनों को खास निमंत्रण भेजकर बुलाया गया है। यहां करूभात की भी व्यवस्था है।
तीजा-पोरा तिहार के मंडप में महिलाओं के बीच फुगड़ी जैसी प्रतियोगिताएं भी हुईं। इसमें महिलाओं के कई समूहों ने हिस्सा लिया। चम्मच दौड़, जलेबी दौड़, बोरा दौड़ की प्रतियोगिताओं ने प्रतिभागियों के साथ दर्शकों को भी खूब हंसाया।
साज सज्जा में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक
तीजा-पोरा तिहार के लिए पूरे मुख्यमंत्री निवास की पारम्परिक रूप में भव्य सजावट की गई है। मुख्य मंडप में प्रवेश के तीन द्वार बनाए गए हैं। मुख्य द्वार को पोरा पर्व के प्रतीक पारंपरिक नांदिया बैला से सजाया गया है। मुख्य द्वार के सामने पारम्परिक झूले- रईचुल, बैलगाड़ी, बस्तर जनजातीय आर्ट और छत्तीसगढ़ी जन-जीवन से जुड़े चित्रों का प्रदर्शन किया गया है।
मध्य द्वार को पोरा पर्व से जुड़े पारम्परिक बर्तनों से बनाया गया है। मध्य और तीसरे द्वार के बीच की गैलरी को रंग-बिरंगे मटकों और रंगीन टोकनी के द्वारा आकर्षक कलेवर दिया गया है। तीसरे द्वार की सजावट पर सरगुजा अंचल की संस्कृति की छाप है।
ग्रामीण परिवेश की झलक और खूबसूरत सेल्फी जोन
मुख्य मंडल के पूर्वी हिस्से में छत्तीसगढ़ी ग्रामीण परिवेश को दर्शाते एक मिट्टी का घर बना है। इसकी साज-सज्जा में पोरा से जुड़े विभिन्न प्रतीकों का इस्तेमाल किया गया है। घर के द्वार पर तुलसी चौरा और नन्दी बनाए गए हैं। यहां ग्रामीण जीवन मे उपयोग में आने वाले बर्तन व अन्य वस्तुओं जैसे पोरा, कढ़ाही, सुराही, बेलन-चौकी, ढकना, बाल्टी, चूल्हा आदि के मिट्टी के छोटे प्रतीकों सहित लकड़ी के नागर, बैलगाड़ी का चक्का और झाड़ू रखे हैं। इस घर की खिड़की में भी सेल्फी ज़ोन बनाया गया है। घर के बगल में मंदिर बना है जहां रखे शिवलिंग की मुख्यमंत्री सहित वहां मौजूद महिलाओं ने पूजा-अर्चना की।
निर्जला उपवास का पर्व है तीजा
छत्तीसगढ़ में तीजा (हरतालिका तीज) की विशिष्ट परम्परा है। तीजहारिन महिलाएं तीजा मनाने ससुराल से मायके आती हैं। तीजा मनाने के लिए बेटियों को पिता या भाई ससुराल से लिवाकर आते हैं। छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व की इतना अधिक महत्व है कि बुजुर्ग महिलाएं भी इस खास मौके पर मायके आने के लिए उत्सुक रहती हैं। महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए तीजा पर्व के एक दिन पहले करू भात ग्रहण कर निर्जला व्रत रखती हैं।