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CG के कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी, अगले 3 दिनों तक बस्तर संभाग के साथ धमतरी, गरियाबंद में भी तेज बरसात का अनुमान
रायपुर, 07 अगस्त 2022/ छत्तीसगढ़ के कई जिलों में शनिवार से जमकर बदरा बरस रहे हैं। खासतौर पर मौसम विभाग ने अगले 72 घंटों के लिए दक्षिण छत्तीसगढ़ के अधिकतर जिलों में भारी बरसात की चेतावनी जारी की है। इसमें बीजापुर जिले में एक-दो स्थानों पर भारी से अति भारी बरसात के साथ आकाशीय बिजली गिरने की भी संभावना जताई जा रही है।
मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में बीजापुर जिले के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसमें कहा गया है कि बीजापुर जिले में एक-दो स्थानों पर गरज-चमक के साथ भारी से अति भारी वर्षा और वज्रपात की संभावना है। प्रदेश के 7 अन्य जिलों बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, कोण्डागांव, नारायणपुर, धमतरी और गरियाबंद जिलों में एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा और वज्रपात का येलो अलर्ट भी जारी हुआ है।
मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे में बीजापुर जिले में एक-दो स्थानों पर अति भारी बरसात का रेड अलर्ट जारी किया है। वहीं बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, कोण्डागांव, कांकेर और नारायणपुर जिलों में एक-दो स्थानों पर अतिभारी वर्षा और वज्रपात का ऑरेंज अलर्ट जारी हुआ है। अगले 72 घंटों में बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, कोण्डागांव, कांकेर और नारायणपुर जिलों के लिए अति भारी से सीमांत भारी बरसात का रेड अलर्ट जारी हुआ है। मौसम विभाग ने राहत आयुक्त से अति भारी बरसात के प्रभाव से राहत के लिए सतर्क रहने और जरूरी उपाय करने की अपील की है।
इस मौसमी तंत्र की वजह से बनी है यह स्थिति
मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा ने बताया, मानसून द्रोणिका कोटा, रायसेन, रायपुर, दीघा और उसके बाद दक्षिण-पूर्व की ओर पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी तक 0.9 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। एक ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा झारखंड और उससे लगे गंगेटिक पश्चिम बंगाल के ऊपर 3.1 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। ऊपरी हवा का एक दूसरा चक्रवाती घेरा उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश और उससे लगे पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर 4.5 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। इसके प्रभाव से छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्से में भारी वर्षा का संयोग बन रहा है।
बाढ़ग्रस्त इलाकों में बढ़ेगा संकट
जुलाई में हुई भारी बरसात की वजह से बस्तर संभाग के अधिकांश जिलों में बाढ़ की स्थिति है। बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा और बस्तर में नदी-नाले उफान पर हैं। इसकी वजह से ग्रामीणों को अपने गांव-घर छोड़कर ऊंची जगहों पर शरण लेना पड़ा है। उन तक मानवीय सहायता पहुंचाने में भी प्रशासन को दिक्कत हो रही है। अभी फिर से वहां तेज बारिश हुई तो मुश्किल बढ़ जाएगी।