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यूरोप में रंग बिखेरेगा CG का हर्बल गुलाल : मुख्यमंत्री ने 23 हजार किलो हर्बल गुलाल की पहली खेप रवाना की

3 years ago
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मुख्यमंत्री ने 23 हजार किलो हर्बल गुलाल की पहली खेप रवाना की, 42 लाख का माल | Herbal Gulal of Chhattisgarh, exported to Europe: Chief Minister flagged off the first consignment of

 

 

रायपुर, 21 मई 2022/ छत्तीसगढ़ में तैयार हर्बल गुलाल पहली बार यूरोप के बाजारों में भी बिकेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निर्यात के लिए तैयार 23 हजार 279 किलोग्राम हर्बल गुलाल की पहली खेप को शनिवार को झंडी दिखाकर रवाना किया। यह गुलाल स्व-सहायता समूह के सखी क्लस्टर अंजोरा, जिला राजनांदगांव और कुमकुम महिला ग्राम संगठन, सांकरा जिला दुर्ग की महिलाओं ने तैयार किया है।

अधिकारियों ने बताया, फूल से हर्बल गुलाल के निर्माण के लिए 18 फरवरी 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में श्री गणेशा ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड और छत्तीसगढ़ सरकार के उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी विभाग के मध्य करार हुआ था। इस परियोजना के पहले चरण में 150 महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से हर्बल गुलाल एवं हर्बल पूजन सामग्री तैयार की जा रही है। महिला समूहों द्वारा तैयार 23 हजार 279 किलो हर्बल गुलाल को श्री गणेशा ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से यूरोप में निर्यात करने के लिए गुजरात स्थित मुंदरा पोर्ट भेजा जा रहा है। निर्यात किए जा रहे हर्बल गुलाल की पैकेजिंग अलग-अलग आकार और वजन में की गई है। हर्बल गुलाल का कुल मूल्य 54 हजार 491 अमेरिकी डॉलर है। भारतीय मुद्रा में इसकी कीमत 41 लाख 95 हजार 302 रुपए होगी।

मंदिरों में चढ़ाए फूलों का भी उपयोग

अधिकारियों ने बताया, गुलाल बनाने के लिए मंदिरों में चढ़ाए फूलों को भी चुना गया है। गौठानों के सामुदायिक बाड़ियों में भी फूलों की खेती शुरू हुई है। यहां खास तौर पर गेंदा फूल की खेती हो रही है। इन फूलों का उपयोग भी महिला स्व-सहायत समूह गुलाल और अष्टगंध बनाने में कर रही हैं।

इन बाजारों तक पहुंच बढ़ाने की कोशिश

कंपनी के अधिकारियों का कहना है, प्रदेश में बड़े पैमाने पर हर्बल गुलाल और पूजन सामग्री का उत्पादन शुरू हो चुका है। अष्टगंध की लोकप्रियता दुनिया भर में है। दक्षिण में लोग त्रिपुंड लगाते हैं। दक्षिण पूर्वी एशिया में इंडोनेशिया के बाली जैसे द्वीपों तक प्रोडक्ट बिकता है। यहां के मूल निवासी भी हिंदू हैं और बड़े पैमाने पर भारतीय समुदाय के लोग भी इन देशों में बसे हैं। दूसरे देशों में बने मंदिरों में भी इनका उपयोग होता है। ऐसे में कंपनी की मार्केटिंग टीम इन बाजारों तक पहुंच बढ़ा रही है।

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