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मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को चिट्‌ठी लिखा- मॉनिटरिंग इंडिकेटर में स्थानीय बोली में शिक्षा, वनोपज खरीदी, कला-संस्कृति का संरक्षण भी शामिल करें

3 years ago
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रायपुर,  13 अप्रैल 2022/    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने आकांक्षी जिलों में विकास की निगरानी के लिए तय इंडिकेटर में नये विषय जोड़ने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने लिखा है, नये इंडिकेटर जोड़ने से आकांक्षी जिलों के विकास की बहुमुखी निगरानी हो पाएगी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, हमारे आकांक्षी जिलों के विकास की परिकल्पना के प्रचलित मापदंड के बारे में एक सुझाव देना चाहता हूं। हमारे वनांचल और ग्राम्य जीवन में संस्कृति और परंपराओं का विशेष महत्व है। ऐसे में आकांक्षी जिलों की अवधारणा में सांस्कृतिक उत्थान के बिंदु को यथोचित महत्व दिया जाना चाहिए। हमारा अनुरोध है कि ट्रांसफार्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम (TADP) के मॉनिटरिंग इंडिकेटर में स्थानीय बोली में शिक्षा, मलेरिया व एनिमिया मे कमी, वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी, लोक कला, लोक नृत्य और पुरातत्व का संरक्षण-संवर्द्धन, जैविक खेती और वनाधिकार पट्‌टे आदि को भी शामिल करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा है, इन सभी मापदंडों पर छत्तीसगढ़ में शानदार काम हुआ है। इन सूचकांकों के जोड़े जाने से आकांक्षी जिलों के बहुमुखी विकास के लिए किए जा रहे काम पर भी ध्यान रहेगा। वहीं जिस आशा के साथ आकांक्षी जिलों की अलग से निगरानी व्यवस्था शुरू की गई है वह भी सफल होगी।

प्रदेश के 10 आकांक्षी जिलों में से 8 नक्सल प्रभावित

छत्तीसगढ़ में 10 जिलों को आकांक्षी जिला घोषित किया गया है। इसमें 7 जिले बस्तर संभाग के ही हैं। इन जिलों में कोरबा, राजनांदगांव, महासमुंद, कांकेर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर, कोण्डागांव और सुकमा शामिल है। इन 10 में से 8 जिले नक्सल हिंसा से भी प्रभावित हैं।

आकांक्षी जिलों में अभी इन सूचकांकों की निगरानी

5 जनवरी 2018 को आकांक्षी जिला कार्यक्रम जारी हुआ था। इसके लिए इन जिलों में पांच प्रमुख विषयों पर कार्य किया होना था। उसमें स्वास्थ्य एवं पोषण, जल संसाधन, वित्तीय समावेश एवं कौशल विकास, बुनियादी आधारभूत ढांचे को शामिल किया गया है। इस योजना की सहायता से पिछड़े जिलों में विकास के इन सूचकों को राष्ट्रीय स्तर के बराबर लाने का प्रयास किया जाना था। राज्य सरकार इस कार्यक्रम के प्रमुख संचालक हैं, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से नीति आयोग इसकी निगरानी करता है।

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