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महाकाल की नगरी में खैरागढ़ विश्वविद्यालय का शानदार प्रदर्शन, ‘ग्लोबल राजा’ ने बटोरी प्रशंसा
खैरागढ़, 24 मार्च 2022/ अभिनव रंग मंडल द्वारा आयोजित 36वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह की शुरूआत 22 मार्च को नाटक ‘ग्लोबल राजा’ के मंचन से हुई। नाटक ने शासन व्यवस्था के संपूर्ण पटल से रूबरू कराते हुए समाज में व्याप्त सोच को व्यंग्यात्मक और सांकेतिक तरीके से प्रस्तुत किया। पूरी अवधि में यह नाटक गुदगुदाता रहा और अंत में एक गम्भीर संदेश छोड़ गया कि हमारा रास्ता स्वदेशी का ही होना चाहिए।
‘ग्लोबल राजा’ अलखनंदन द्वारा लिखित मूल नाटक ‘उजबक राजा तीन डकैत’ हैस क्रिश्चेयन की बालकथा ‘द एम्परर्स न्यू क्लॉथ्स’ का नाट्य रूपांतरण है। व्यंग्यात्मक शैली में लिखे गए इस नाटक में नाटककार ने मल्टीनेशनल दर्जियों के बहाने राजव्यवस्था में राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय कंपनियों के षडयंत्रों को प्रभावी रूप से प्रदर्शित किया। सत्ता में बैठे लोगों के द्वारा देशी वस्तुओं को बढ़ावा न देने और उनकी अवहेलना कर विदेशी वस्तुओं का अधिक से अधिक आयात करने के कारण ही आज देश की अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है और अधिकांश कुटीर व लघु उद्योग लगभग खत्म हो चुके हैं। इस नाटक ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अधिकांश कुटीर व लघु उद्योगों पर या विश्व के बड़े बाजारों द्वारा छोटे बाजारों पर किये जा रहे हमले को व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किया। नाटक विदेशी पूंजी के बढ़ते प्रभाव व उससे उपजे हमारी सांस्कृतिक अस्मिता के खतरों को भी प्रकट करता है। नाटक में राजा का उजबकपन एवं मंत्री की कमीशनखोरी व्यवस्था के विकृत स्वरूप को अच्छी तरह से उभारने के साथ-साथ गहरी राजनैतिक सोच को भी बड़ी सहजता से प्रदर्शित किया गया। ‘ग्लोबल राजा’ का मंचन योगेंद्र चौबे के निर्देशन में हुआ तथा प्रस्तुति रंगमंडल नाट्य विभाग इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़ की रही। योगेंद्र चौबे देश के युवा निर्देशक के रूप में प्रसिद्ध हैं। 2020 में उनका नाटक ‘बाबा पाखंडी’ भी उज्जैन में चर्चा में रहा । अभिनव रंगमंडल उज्जैन ने श्री चौबे को ‘राष्ट्रीय अभिनव रंग सम्मान’ से सम्मानित किया है। योगेन्द्र एक बहुत ही सुलझे हुए नाट्य निर्देशक हैं। उनके नाटक मूलतः सोशियो-पोलिटिकल होते हैं, जिसमें समाज व समाज में चल रही घटनाओं को बहुत ही सहज रूप से मंच पर उद्घाटित करते हैं। संगीत का संयोजन एवं मास्क मेकअप का प्रयोग इस नाटक का प्रभावी पक्ष था।