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CG का सबसे बड़ा रावत नाच महोत्सव बिलासपुर में; नर्तकदल को हर साल मिलेंगे 10 हजार रुपए

3 years ago
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मंत्री अमरजीत भगत भी महोत्स्व में शामिल हुए।

बिलासपुर, 28 नंवबर 2021/  बिलासपुर में छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा रावत नाच महोत्सव का आयोजन किया गया। इस आयोजन में शामिल होने संभाग समेत राज्य के अलग-अलग जिलों से दर्जनों टीमें पहुंची। शनिवार की देर रात तक लाल बहादुर शास्त्री मैदान में यादव समाज के लोग अपनी संस्कृति की छटा बिखेरते रहे। सारे जहां से अच्छा की धुन में यदुवंशियों ने नृत्य किया। साथ ही हाथों में लठ और भाला लेकर शौर्य का भी प्रदर्शन किया है। वहीं 44वां रावत नाच मोहत्सव में संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने भी शिरकत की। इस महोत्सव को देखने हजारों लोगों की भीड़ भी पहुंची।

दरअसल देवउठनी एकादशी के बाद से ही इलाके में रावत नाच का दौर शुरू हो जाता है। एक से बढ़कर एक दोहे के साथ यदुवंशी नाच का प्रदर्शन करते हैं। बिलासपुर शहर में होने वाले राज्य स्तरीय रावत नाच महोत्सव को लेकर समाज के लोगों में भारी उत्सुकता बनी रहती है। महापौर रामशरण यादव ने बताया कि, बिलासपुर के इस महोेत्सव ने राज्य में अपनी अलग ही पहचान बनाई है। पहले आस-पास के क्षेत्र से ही दल आते थे। लेकिन, जैसे-जैसे प्रसिद्धि बढ़ती गई, वैसे ही दलों की संख्या भी बढ़ती गई।

प्रत्येक दल को मिलेंगे 10-10 हजार रुपए
इस महोत्सव में शामिल होने पहुंचे संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने ”नाच आवय नंद कन्हैया उतड़ आवय धूल रे, तेंदू सार के लाठी म खोचे कमल के फूल रे” दोहे के साथ समाज के लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि, इस महोत्सव में आने वाले सभी दलों को अब हर साल 10-10 हजार रुपए और महोत्सव का आयोजन करवाने वाली समिति को 3 लाख रुपए दिए जाएंगे। ताकि इस आयोजन की भव्यता बनी रहे। उन्होंने कहा कि रावत नाच का इस तरह का भव्य आयोजन करवाने वाला बिलासपुर पूरे प्रदेश एकलौता जिला है। यादव समाज देश ही नहीं विदेश में भी अपना प्रदर्शन कर पुरस्कृत हुए हैं।

1978 में हुई थी शुरुआत
महापौर रामशरण यादव ने बताया कि साल 1978 में रावत नाच महोत्सव की नींव दिवगंत मंत्री बीआर यादव के प्रयासों से रखी गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य समाज को संगठित करना था। इसमें छोटी-छोटी मंडलियां शामिल हुईं थी। समय के साथ छोटी-छोटी मंडलियों ने संगठित होकर बड़े दल का रूप लिया था। वहीं महोत्सव के रूप में इसकी भव्यता साल 1985 से लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में आयोजन कराने से मिली। वहीं आज यह छत्तीसगढ़ का सबसे प्रसिद्ध रावत नाच महोत्सव हो गया है।

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