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राहुल गांधी से हसदेव के लोग मिलकर उनका वादा याद दिलाया, जंगल बचाने के वादे से पीछे हट रही है सरकार, पिछली सरकार का रास्ता ही चुन लिया
रायपुर 30 अक्टूबर 2021/ खनन परियोजनाओं से जंगल और गांव बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हसदेव अरण्य के ग्रामीण सरकार से निराश हैं। ग्रामीणों के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली जाकर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है। इन लोगों ने राहुल गांधी को 2015 में किया गया उनका वादा याद दिलाया। ग्रामीणों ने कहा, छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार चुनाव पूर्व किए गए वादों से पीछे हट गई है। उसने जंगलों में खनन का वही रास्ता चुना है जो पिछली सरकार ने बनाया था।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने बताया, राहुल गांधी के साथ करीब एक घंटे की बैठक हुई। उनको बताया गया कि भाजपा के 15 साल के शासन में आदिवासी बहुल वन क्षेत्रों को प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिए खोल दिया गया। ग्रामीणों ने विरोध किया तो उसे अनसुना कर दिया गया। 2015 में आप खुद उस क्षेत्र में आए थे। हमारे जंगल को बचाने का वादा किया था। ग्रामीणों ने पिछले चुनाव में इस उम्मीद में कांग्रेस के उम्मीदवारों को जिताया कि सत्ता परिवर्तन से जनपक्षीय कानूनों का पालन सुनिश्चित हो पाएगा।
कांग्रेस सत्ता में आई लेकिन वादों के मुताबिक काम नहीं हुआ। सरकार ने वही रास्ता चुना जो पिछली सरकार ने बनाया था। आज भी आदिवासी अधिकारों के हनन और कॉर्पोरेट मनमानी की गति बिलकुल पिछले सरकार जैसी ही है। प्रतिनिधिमंडल ने साफ शब्दों में कहा, राज्य सरकार ने हसदेव अरण्य वन क्षेत्र में स्थित पतुरिया-गिद्धमुड़ी कोल ब्लॉक का MDO अडानी समूह को दे दिया। यह पिछली सरकार की गैर कानूनी नीतियों को आगे बढ़ाने जैसा काम है। इस प्रतिनिधिमंडल में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक उमेश्वर सिंह अर्मो, रामलाल करियाम, घाटबर्रा के सरपंच जयनंदन पोर्ते, धजा के सरपंच धन साय, बसंती दीवान,शकुंतला एक्का, भुनेश्वर पोर्ते, ठाकुरराम, बिपाशा शामिल थे।
विरोध का लेखा-जोखा रखा
हसदेव अरण्य वन क्षेत्र को सरकारी दस्तावेजों में हसदेव अरण्ड कोल फील्ड्स कहा जाता है। 2015 में इस क्षेत्र के 20 ग्राम सभाओं के विरोध के बावजूद 5 कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए। इसकी प्रक्रिया में वन अधिकारों की मान्यता कानून और भू-अर्जन कानून का पालन होना चाहिए था। लेकिन सरकारों ने ऐसा नहीं होने दिया। वन अधिकार को दरकिनार किया गया। भू-अर्जन कानून के तहत जमीन अधिग्रहण न करके कोल बियरिंग एक्ट लगाया गया, जिसमें ग्रामसभा के अधिकार को दरकिनार कर दिया गया। छत्तीसगढ़ सरकार को इसपर आपत्ति करनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने वैसा नहीं किया।
ग्राम सभा का फर्जी प्रस्ताव बनाया गया, शिकायत पर सुनवाई नहीं
प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी को बताया, परसा कोयला खदान परियोजना के लिए 841.52 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्सन की प्रक्रिया फर्जी ग्राम सभा दस्तावेजों के आधार पर मिली है। ग्रामीणों ने बार-बार इसकी शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इस परियोजना को दिनांक 13 फरवरी 2019 को स्टेज-वन स्वीकृति प्रदान की गई। वहीं 21 अक्टूबर 2021 को केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की स्वीकृति जारी की गई है।
लेमरु हाथी रिजर्व में सरगुजा क्षेत्र को छोड़ने की बात भी बताई
प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी को बताया, राज्य सरकार लेमरू हाथ रिज़र्व घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसे बनाने की प्रक्रिया में बहुत विलम्ब हुआ। इसके 1995 वर्ग किमी क्षेत्र से जान बूझ कर उन अधिकांश कोल ब्लॉक को बाहर रखा गया है, जिनका MDOअडानी समूह के पास है। इससे साफ दिख रहा है, हसदेव के कोरबा जिले का भाग राज्य सरकार रिजर्व के तहत संरक्षित करेगी लेकिन सरगुजा जिले में हसदेव के सभी कोल ब्लॉक के दोहन को हरी झंडी दे दी गई है।