- Home
- breaking
- Chhattisgarh
- इस टीचर की कहानी प्रेरणा देती है : समाज कहता था- दिव्यांग है, कुछ नहीं कर सकती; फिर टीचर बनकर सवारा कई बच्चों का भविष्य, कोरोनाकाल में 14 किमी रोज सफर कर पढ़ाया
इस टीचर की कहानी प्रेरणा देती है : समाज कहता था- दिव्यांग है, कुछ नहीं कर सकती; फिर टीचर बनकर सवारा कई बच्चों का भविष्य, कोरोनाकाल में 14 किमी रोज सफर कर पढ़ाया
बेमेतरा/रायपुर 05 सितम्बर 2021/ कुछ करने का जज्बा हो तो हर राह आसान हो जाती है। बस इरादों में दम होनी चाहिए फिर आपकी कमजोरी भी आपकी ताकत बन जाती है। यह साबित कर दिखाया है, बेमेतरा की हिमकल्याणी सिन्हा ने। हिमकल्याणी बेमेतरा जिले के सैगोना गांव की शासकीय प्राथमिक शाला में सहायक शिक्षक हैं। बचपन से ही पोलियो की वजह से कमर से नीचे का हिस्सा विकसित नहीं हुआ। वे कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाईं। समाज के लोग यही कहते थे कि दिव्यांग है, यह आगे कुछ नहीं कर सकती। वे आज न सिर्फ अपने पैरों पर खड़ी हैं, बल्कि सैकड़ों बच्चों की जिंदगी सवार रही हैं, उन्हें काबिल बना रही हैं। आइए पढ़ते हैं हिमकल्याणी की प्रेरणाादयक कहानी…
हिमकल्याणी बहरा गांव में परिवार के साथ रहती हैं। इनका जिम्मा था सैगोना गांव के स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का। कोविड के दौरान में जब स्कूल बंद हो गए, तब सरकार ने मोहल्ला क्लासेस शुरू कर दीं। गांव में संक्रमण के खतरे को देखते हुए मोहल्ला क्लासेस नहीं लगाई जा सकीं। दूसरी तरफ विकल्प ऑनलाइन क्लास का था, मगर बच्चे गरीब परिवार से थे, ना फोन की सुविधा थी ना ही उनके पास इंटरनेट कनेक्शन। ऐसे में हिमकल्याणी ने देखा कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। स्कूटर पर ही क्लास हो जाती थी शुरू।
बच्चों की पढ़ाई न छूटे इसलिए वे हर रोज अपने घर से 14 किलोमीटर दूर का सफर तय कर बच्चों के गांव पहुंचने लगीं। अपने स्कूटर के जरिए हिमकल्याणी ने घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। बच्चे अपनी चौखट में रहते थे और हिमकल्याणी उन्हें होम वर्क और क्लास वर्क समझाया करती थीं। इसके बाद वो अलगे घर की ओर बढ़ जाती थीं। इस तरह गांव के हर घर जाकर सैकड़ों बच्चों को हिमकल्याणी ने कोविड-19 के संकट काल के दौरान पढ़ाया। आर्टवर्क के जरिए बच्चों को पढ़ाती हैं हिमकल्याणी।
अपना सफर बताकर स्टूडेंट्स को करती है
बच्चों से मुलाकात के दौरान अपनी कहानी के जरिए बच्चों को मोटिवेट करती हैं। वह बताती हैं कि पोलियो की वजह से वह घुटनों के बल पर चल पाती हैं, इसके बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और टीचर बनकर अपना सपना पूरा किया। वह बच्चों से कहती हैं कि जब वह घुटनों के बल चल कर अपना यह सपना पूरा कर सकती हैं तो सामान्य रूप से हर व्यक्ति खुद को काबिल बना कर अपने सपने को पा सकता है। इसके अलावा कई रचनात्मक गीतों और आर्ट वर्क के जरिए हिमकल्याणी बच्चों को रोचक ढंग से पढ़ाने का काम कर रही हैं।