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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- अमरकंटक छत्तीसगढ़ में होता तो ज्यादा अच्छा होता, हम ज्यादा अच्छे से नर्मदा मां की सेवा कर पाते

3 years ago
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रायपुर 02 सितम्बर 2021/    मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दौरे में अमरकंटक के मध्यप्रदेश में रह जाने की कसक फिर से उभर आई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अमरकंटक छत्तीसगढ़ में होता तो ज्यादा अच्छा होता। हम लोग ज्यादा अच्छे से नर्मदा मइया की सेवा कर पाते।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बुधवार दोपहर बाद अमरकंटक पहुंचे। शाम को वे पूजा-अर्चना के लिए तीर्थ क्षेत्र की ओर गए तो स्थानीय पंडा-पुजारियों ने वहां की समस्याओं की ओर उनका ध्यान दिलाया। कई पुजारियों ने उनसे छत्तीसगढ़ की ओर से पहल की मांग की। बाद में स्थानीय प्रेस प्रतिनिधियों से बातचीत में एक सवाल आया कि क्या अमरकंटक का विकास और भी बेहतर हो सकता था। क्या यहां की राज्य सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है।

जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक क्षण रुके और कहा, “मैं यहां आरोप-प्रत्यारोप अथवा राजनीति करने तो आया नहीं हूं, लेकिन अमरकंटक अगर छत्तीसगढ़ में होता तो और ज्यादा अच्छा होता। हम लोग ज्यादा अच्छे से नर्मदा मइया की सेवा कर पाते।’ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “अमरकंटक छत्तीसगढ़ के लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। नर्मदा जयंती और शिवरात्रि पर यहां लाखों लोग आते हैं। छत्तीसगढ़ से हजारों लोग तो यहां रोज आते हैं।’

छत्तीसगढ़ बनने के समय था दावा
2000 में जब मध्य प्रदेश से अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य की सीमाएं खींची जा रही थीं तो अमरकंटक को लेकर विवाद की स्थिति बनी थी। छत्तीसगढ़ राज्य की मांग करने वाले कई आंदोलनकारी इसे प्रदेश की प्राकृतिक सीमा में मान रहे थे। यह भी एक तथ्य था कि तीर्थ क्षेत्र का बड़ा हिस्सा बिलासपुर जिले में आ रहा था। मध्यप्रदेश की प्रमुख नदी का उद्गम और प्रमुख तीर्थ होने की वजह से मध्यप्रदेश दावा छोड़ने को तैयार नहीं था। विभाजन पुराने जिलों की सीमाओं के आधार पर हुआ और अमरकंटक मध्यप्रदेश को मिल गया।

2016 में दोनों राज्यों का साझा प्राधिकरण बना है
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के एक आदेश के बाद मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने संयुक्त रूप से अमरकंटक को विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण घोषित कर दिया। इसमें गौरेला तहसील की ठांड़पथरा और आमानाला ग्राम पंचायतों के चार गांवों की लगभग 4 हजार हेक्टेयर और मध्यप्रदेश ने 8 हजार हेक्टेयर जमीन को इसमें शामिल किया। दोनों राज्यों में इस जमीन पर किसी भी तरह का निजी निर्माण नहीं किया जा सकता।

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