• breaking
  • Chhattisgarh
  • ऋचा जोगी के जाति प्रमाणपत्र निरस्त करने को उच्च न्यायालय में चुनौती देगा जोगी परिवार

ऋचा जोगी के जाति प्रमाणपत्र निरस्त करने को उच्च न्यायालय में चुनौती देगा जोगी परिवार

4 years ago
155
ऋचा जोगी का जाति प्रमाण पत्र सस्पेंड, अमित ने राजनीतिक दुर्भावना का लगाया  आरोप

 

 

 

 

 

 

रायपुर 11 जुलाई 2021/     जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी का अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाणपत्र खारिज कर दिया गया है। इससे पहले प्रशासन अमित जोगी का जाति प्रमाणपत्र खारिज कर चुका है। जोगी परिवार इस फैसले को अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है। इससे पहले ही जाति मामले के शुरुआती शिकायतकर्ता संत कुमार नेताम ने उच्च न्यायालय में केविएट दायर कर दिया है। जानकार बता रहे हैं कि अभी के हालात में जोगी परिवार का 2023 में भी किसी आरक्षित सीट से चुनाव लड़ना मुश्किल दिख रहा है।

दैनिक भास्कर से बात करते हुए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा, सरकार के निर्देश पर कमेटी जिस तरह मन बनाकर बैठी थी, उसमें इसकी संभावना अधिक दिख रही थी। कमेटी गठन में नियमों का उल्लंघन हुआ था, उसको लेकर हम पहले ही उच्च न्यायालय गए थे। अब फैसला आ गया है तो इसको भी उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। इधर इस मामले में मूल शिकायतकर्ता संत कुमार नेताम अपने वकील संदीप दुबे और सुदीप श्रीवास्तव के माध्यम से बिलासपुर उच्च न्यायालय में कल कैविएट फाइल कर रहे है। नेताम के वकील का कहना है, उन्हें इस बात की आशंका है की ऋचा जोगी हाई पावर कमेटी के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकती हैं। अधिवक्ता संदीप दुबे ने कहा, अगर ऐसा होता है तो उच्च न्यायालय ऋचा को अंतरिम राहत देने से पहले उनका पक्ष भी सुने इसके लिए कैविएट फाइल किया जा रहा है। उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं और खुद अमित जोगी को भी अंदेशा है कि अदालत के सामने यह मामला लंबा खिंच सकता है। संभवत: 2023 के विधानसभा चुनाव तक इसका फैसला न आ पाए। कहा जा रहा है, बहुत संभव है कि जोगी परिवार अगला चुनाव भी किसी आरक्षित सीट से न लड़ पाए। नवम्बर 2020 में हुए मरवाही विधानसभा उपचुनाव में भी जाति प्रमाणपत्र के निलंबित हो जाने की वजह से ऋचा जोगी का नामांकन खारिज हो गया था।

आदिवासी नहीं है जोगी की बहू:छत्तीसगढ़ की उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने खारिज किया ऋचा जोगी का पुरखों के “गोंड’ होने का दावा, जाति प्रमाणपत्र निरस्त किया

जोगी के IAS से राजनेता बनने के साथ ही उठा जाति विवाद

छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री और दिवंगत नेता अजीत जोगी ने अपनी पढ़ाई और लोक सेवक के कॅरियर में कभी आरक्षित कोटे का लाभ नहीं लिया। इसके उलट अपने राजनीतिक कॅरियर में वे अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों का ही प्रतिनिधित्व करते रहे। लेकिन उनकी जाति पर सवाल राजनीति में आने के साथ उठ गए। 1986 में इंदौर हाइकोर्ट में पहला मामला अाया। हालांकि एक साल के भीतर यह शिकायत खारिज हो गई। 2001 में जोगी ने मरवाही का चुनाव जीता तो भाजपा के स्थानीय नेता संत कुमार नेताम ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में जोगी की जाति को चुनौती दी। जोगी उच्च न्यायालय पहुंच गए। वहां से आदेश मिला कि आयोग किसी की जाति तय नहीं कर सकता। 2002 में बिलासपुर उच्च न्यायालय में एक और याचिका दाखिल हुई। कई जज इसकी सुनवाई से इनकार करते रहे। संत कुमार नेताम मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गए। 2011 में सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च स्तरीय छानबीन समिति से जांच कराने का आदेश दिया।

2017 में सरकार ने पहली बार कहा – जोगी आदिवासी नहीं हैं

तत्कालीन भाजपा सरकार ने आदिवासी विकास विभाग की सचिव रीना बाबा साहब कंगाले की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय छानबीन समिति बनाई। पहले तो अजीत जोगी समिति की वैधता को चुनौती देते रहे। बाद में उन्होंने सुनवाई में अपना पक्ष रखा। दस्तावेज आदि दिए। 2017 में पहली बार इस समिति ने कहा, अजीत जोगी कंवर आदिवासी नहीं हैं, जैसा कि उन्होंने दावा किया है। अजीत जोगी ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। कहा- इस समिति में चार अलग-अलग पदों पर रीना बाबा साहब कंगाले ही थीं। फरवरी 2018 में उच्च न्यायालय ने नई कमेटी बनाने का निर्देश दिया। नवम्बर 2018 में विधानसभा के आम चुनाव हुए और जोगी हाईकोर्ट में लंबित मामलों का लाभ उठाकर अपनी पारंपरिक और आरक्षित सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गए। 2019 में इस समिति ने भी कह दिया कि जोगी आदिवासी नहीं है।

दूसरी जांच कमेटी ने भी माना अजीत जोगी आदिवासी नहीं

विवाद ने मरवाही उपचुनाव से बिना लड़े बाहर करा दिया

जाति प्रमाणपत्र से उपजे विवाद के बीच 29 मई 2020 को अजीत जोगी का निधन हो गया। उनकी खाली हुई सीट पर नवम्बर में उपचुनाव प्रस्तावित हुए। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने अमित जोगी को वहां उम्मीदवार घोषित किया। आशंका थी कि उनकी जाति प्रमाणपत्र के अाधार पर संभवत: उनका नामांकन खारिज हो जाए। ऐसे में जुलाई 2020 में अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी ने अपने पैतृक गांव पेण्ड्रीडीह जिला मुंगेली के पते से अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र हासिल किया। संत कुमार नेताम ने इसको भी चुनौती दी और जिला स्तरीय छानबीन समिति ने इसको निलंबित कर दिया। मामला उच्च स्तरीय छानबीन समिति के पास भेजा गया। इस बीच अमित जोगी और ऋचा जोगी दोनों ने मरवाही उपचुनाव में नामांकन किया। कांग्रेस, गोंगपा प्रत्याशियों ने जोगी की दावेदारी पर आपत्ति की। इधर उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने अमित जोगी का जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया। इसकी वजह से पति-पत्नी दोनों के नामांकन खारिज हो गए।

जोगी बिन मरवाही:जाति प्रमाण पत्र पर पहले अमित, फिर ऋचा का नामांकन निरस्त, राज्य बनने के बाद पहली बार मरवाही के चुनाव में जोगी परिवार नहीं

अब ऋचा जोगी का जाति प्रमाणपत्र निरस्त हुआ

जोगी परिवार के जाति का मामला एक बार फिर गर्म है। पिछले दिनों आदिवासी विकास विभाग के सचिव डीडी सिंह की अध्यक्षता में बनी उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने ऋचा जोगी के उस दावे को खारिज कर दिया जिसके मुताबिक उन्होंने अपने पूर्वजों को गोंड जनजाति का बताया था। समिति ने 16 पृष्ठ के फैसले में छानबीन समिति ने ऋचा जोगी का दावा खारिज करने के लिए विजिलेंस सेल की रिपोर्ट, ऋचा जोगी की ओर से दिए गए भूमि और शैक्षणिक दस्तावेज और उनके पुरखों के गांव के लोगों के बयानों को आधार बनाया है। छानबीन समिति का निष्कर्ष है, ऋचा जोगी अपने पुरखों के गाेंड जनजाति का होने का दावा प्रमाणित नहीं कर पाईं। ऐसे में 27 जुलाई 2020 को मुंगेली से जारी उनका जाति प्रमाणपत्र निरस्त किया जाता है।

Social Share

Advertisement