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छत्तीसगढ़ में जरूरत की 45 प्रतिशत खाद ही पहुंची, किसानों को भारी पड़ सकती है बोनी में देरी

4 years ago
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4 साल में बदल जाएगा किसानों की खेती का तरीका', बड़े खतरे का इशारा कर रही  ताजा रिपोर्ट | Farmers way of farming will change in 4 years says latest  report | TV9 Bharatvarsh

 

 

 

 

 

 

रायपुर 10 जुलाई 2021/   छत्तीसगढ़ में इस साल मौसम मेहरबान दिख रहा है। जून की शुरुआत से ही प्रदेश के अधिकांश जिलों में अच्छी बरसात हुई है। इसके बावजूद बोनी में देर हो रही है। सामने आया है कि यह खाद की कमी के वजह से भी हो रहा है। सरकार का कहना है, प्रदेश की मांग की तुलना में अभी तक 45 प्रतिशत ही खाद पहुंच पाई है।

कृषि संचालनालय के मुताबिक खरीफ सीजन के लिए केन्द्र सरकार से 11 लाख 75 हजार मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरकों की मांग की गई थी। अभी 7 जुलाई तक मात्र 5 लाख 26 हजार मीट्रिक टन रासायनिक खाद मिल पाई है। यह मांग का केवल 45 प्रतिशत हिस्सा है। कम आपूर्ति की वजह से प्रदेश में रासायनिक खाद की किल्लत बनी हुई है। बीते 6 वर्षाें की तुलना में इस साल खरीफ सीजन के लिए छत्तीसगढ़ राज्य को अब तक रासायनिक उर्वरकों की आधी -अधूरी मात्रा ही मिल पाई है। यही वजह है कि राज्य में किसानों की मांग के अनुसार रासायनिक उर्वरकों की पूर्ति में दिक्कत हो रही है और खरीफ की खेती प्रभावित होने की आशंका उत्पन्न हो गई है। खाद की इस किल्लत का असर मैदान में भी दिखने लगा है। कई जिलों की सहकारी समितियों में समय से खाद उपलब्ध नहीं हो रहा है। फिंगेश्वर क्षेत्र के किसान और अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही बताते हैं, खुले बाजार में रासायनिक खाद का दाम बढ़ गया है। वहां डीएपी का एक बोरा 1530 रुपए में मिल रहा है । यूरिया और एनपीके आदि भी महंगा है। इसकी वजह से किसानों को बोनी महंगी पड़ रही है।

अभी तक 40 प्रतिशत बोवनी हो पाई है

कृषि विभाग के मुताबिक खरीफ सीजन में इस बार केवल 40 प्रतिशत बोनी पूरी की जा सकी है। इसी तारीख तक पिछले वर्ष 50 प्रतिशत से अधिक खेतों की बुवाई हो चुकी थी। धान की बुवाई भी पिछड़ रही है। करीब 42 प्रतिशत धान ही बोया जा सका है। वहीं पिछले वर्ष इस समय तक 52 प्रतिशत से अधिक हिस्से में धान की बोवाई हो चुकी थी। कम बोवनी के पीछे कुछ क्षेत्रों में लगातार बरसात और कुछ क्षेत्रों में खाद की कमी को बड़ी वजह बताया जा रहा है।

ऐसे समझिए मांग और आपूर्ति में अंतर का खेल

खाद मांग आपूर्ति
यूरिया 5.50 लाख 2.32 लाख
डीएपी 3.20 लाख 1.21 लाख
एनपीके 80 हजार 48 हजार
एमओपी 75 हजार 45 हजार
सिंगल सुपर फास्फेट 1.50 लाख 80 हजार

(सभी आंकड़े मीट्रिक टन में)

पिछले छह वर्षों में ऐसी रही है आपूर्ति

कृषि विभाग के मुताबिक इस साल खरीफ सीजन के लिए राज्य को मिली रासायनिक उर्वरकों की मात्रा बीते 6 सालों में मिली खाद की लगभग आधी है। खरीफ सीजन 2015 में 11 लाख मीट्रिक टन की मांग थी, राज्य को 9.81 लाख मीट्रिक टन मिला। खरीफ सीजन 2016 में 10.40 लाख मीट्रिक टन मांग पर 8.25 लाख मीट्रिक टन खाद मिली। खरीफ सीजन 2017 में उर्वरकों की मांग का 72 प्रतिशत, खरीफ सीजन 2018 मांग का 73 प्रतिशत, खरीफ सीजन 2019 में मांग का 80 प्रतिशत तथा खरीफ सीजन 2020 में 11.30 लाख मेट्रिक टन की मांग के विरूद्ध छत्तीसगढ़ राज्य को 10.04 लाख मेट्रिक टन उर्वरक मिला था, जो कि मांग का 89 प्रतिशत था।

क्षेत्रीय राजनीति भी तेज

इस बीच कहा जा रहा है कि सरगुजा क्षेत्र में जरूरत से बहुत कम खाद पहुंच रही है। पिछले दिनों किसानों ने इसके लिए सड़क जाम कर प्रदर्शन भी किया था। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने अपनी ही सरकार के कृषि मंत्री को पत्र लिखकर सरगुजा क्षेत्र में खाद की आपूर्ति सुनिश्चित करने का आग्रह किया। वहीं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कलेक्टर को खाद वितरण कराने का निर्देश दिया है।

केंद्र से पत्राचार जारी

इस मामले में राज्य सरकार केंद्र पर आरोप लगा रही है। मुख्यमंत्री खाद की आपूर्ति के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिख चुके हैं। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि केंद्र सरकार समय से आपूर्ति नहीं कर रही है। वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार अपनी प्रबंधकीय नाकामियां छिपाने के लिए केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है।

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