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छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस सवा महीने में एक से बढ़कर 297 तक पहुंच गया ब्लैक फंगस का संक्रमण, अब तक 34 लोगों की मौत हुई
रायपुर 14 जून 2021/ कोरोना की दूसरी लहर से उबर रहे छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस (Mucormicosis) का जाल तेजी से फैल रहा है। पिछले सवा महीने में संक्रमण से प्रभावितों की संख्या एक से बढ़कर 297 तक पहुंच गई है। इनमें से केवल 34 लोग ही ठीक हो पाए हैं। वहीं 34 लोगों की मौत हो चुकी है।
छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस का पहला केस 21 अप्रैल के आसपास सामने आया था। उस समय इलाज तो शुरू हो गया था, लेकिन सरकार ने इसकी पुष्टि नहीं की। 10-11 मई को जब ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई तो प्रदेश में प्रभावित मरीजों की संख्या 14 हो चुकी थी। रविवार रात तक संक्रमितों की संख्या 297 हो चुकी है। इनमें से 225 से अधिक का अभी भी इलाज जारी है। 34 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि एपिडेमिक कंट्रोल के संचालक डॉ. सुभाष पाण्डेय 21 मौतों को ही ब्लैक फंगस से हुई मौतें बता रहे हैं। उनका कहना है कि ब्लैक फंगस से पीड़ित शेष 13 मरीजों की मौत दूसरी बीमारियों की वजह से हुई है। डॉ. मिश्रा ने बताया, अभी प्रदेश भर में ब्लैक फंगस के 225 मरीजों का इलाज जारी है। इनमें से रायपुर एम्स में 147 मरीज भर्ती हैं। रायपुर के डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल में 27 और भिलाई के सेक्टर-9 अस्पताल में 24 मरीजों का इलाज चल रहा है। अन्य मरीज विभिन्न जिलाें के सरकारी और निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं।
165 मरीजों की सर्जरी करनी पड़ी
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक संक्रमण की चपेट में आए मरीजों में से 165 की सर्जरी हुई है। उनमें से कई लोगों के मस्तिष्क और पेट की गंभीर सर्जरी भी करनी पड़ी है। एपिडेमिक कंट्रोल के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, संक्रमित हिस्से में मवाद भर जाता है तो सर्जरी से उसे निकालना जरूरी होता है। अगर ऐसा नहीं है तो दवाओं से ही फंगस को सुखाने की कोशिश होती है।
संक्रमण की शुरुआत में ही पहचान अधिक सुरक्षित
विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लैक फंगस संक्रमण की शुरुआत में ही पहचान होने से इलाज आसान है। अगर संक्रमण फैल जाने के बाद पहचान हुई तो इलाज की प्रक्रिया जटिल हो जाती है। इस बीमारी के इलाज की प्रक्रिया भी लंबी है। 21 दिन के इलाज का प्रोटोकाल है। इसकी वजह से अभी तक 34 मरीज ही ठीक घोषित किए जा सके हैं।
मौतों की दर कोरोना से कई गुना
ब्लैक फंगस मामले में मौताें की दर कोरोना महामारी से कई गुना अधिक है। छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 18 मार्च 2020 को सामने आया। संक्रमण की शिकार लंदन से रायपुर आई एक युवती थी। संक्रमण का दूसरा केस आने में कई दिन लगे। कोरोना से पहली मौत 29 मई 2020 को दर्ज हुई। इसके ठीक उलट ब्लैक फंगस का पहला मामला 21 अप्रैल 2021 को आया। 11 मई को पहली मौत हुई। 14 जून तक 21 लोगों की मौत केवल ब्लैक फंगस की वजह से हो चुकी है।
क्या है यह ब्लैक फंगस जो ले रहा है जान
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक ब्लैक फंगस एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है और दवाईयां ले रहे हैं। इससे उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होती है। यदि यह फंगस शरीर के अन्दर चला जाता है तो उसके साइनस या फेफड़े प्रभावित होंगे। इसकी वजह से गम्भीर बीमारी हो सकती है। यदि इस बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया गया तो यह घातक हो सकती है।
यह लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को बताएं
आंख, नाक में दर्द और आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या लाल तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द होना, चेहरे में एक तरफ सूजन होना, नाक अथवा तालु काले रंग का होना। दांत में दर्द, दांतों का ढीला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा पर चकत्ते आना, छाती में दर्द, बुखार, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी और मानसिक स्थिति में परिवर्तन दिखे तो डॉक्टर से संपर्क करें।
ऐसे कर सकते हैं बचाव
ब्लैक फंगस संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टरों ने कुछ उपाय बताए हैं। उसके मुताबिक धूल भरे स्थानों पर मास्क पहनकर, शरीर को पूरे कपड़ों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहन कर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर इससे बचा जा सकता है। डायबिटिज को नियंत्रित रखना में बचाव के प्रमुख उपायों में शामिल है।