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निजी स्कूलों की फीस पर विवाद आज बैठक में फैसला होना संभव
रायपुर 14 जून 2021/ फीस को लेकर निजी स्कूल व पैरेंट्स के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस साल से छग अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020 लागू हुआ। फीस के लिए स्कूल से लेकर जिला स्तर पर समितियां बनी। फीस भी तय हुई, फिर भी विवाद कम नहीं हुआ। अब नया सत्र शुरू होने से पहले बखेड़ा खड़ा हो गया है।
इसे लेकर सोमवार को कलेक्टोरेट में बैठक होगी। छत्तीसगढ़ अशासकीय फीस विनियमन अधिनियम के संदर्भ में चर्चा होगी। स्कूलों में तय की गई फीस ही रहेगी या फिर होगी कटौती? इस पर भी चर्चा। पिछले दिनों फीस विवाद का मामला शिक्षा विभाग पहुंचा था। शिक्षाविदों ने बताया कि, फीस को लेकर निजी स्कूल पैरेंटस के बीच पहले से विवाद होते रहे हैं। लेकिन पिछली बार मामला बढ़ गया। कोरोना काल में स्कूल बंद थे। ऑनलाइन के माध्यम पढ़ाई हुई। स्कूल चाहते थे कि पैरेंट्स फीस दें। जबकि कई पैरेंट्स का यह मानना था कि जब स्कूल ही बंद तो ऑनलाइन के लिए पूरी फीस क्यों? इसमें कटौती हो। राज्य में फीस के संबंध में हो रहे लगातार विवाद के बाद छत्तीसगढ़ अशासकीय फीस विनियमन अधिनियम 2020 लागू किया गया। इसके तहत दो तरह की कमेटियां बनाई गई। एक स्कूल के स्तर पर और दूसरी जिला स्तर पर। निजी स्कूलों की फीस विद्यालय स्तरीय कमेटी के अनुसार तय हुई। इस फीस से भी सभी पैरेंट्स संतुष्ट नहीं है।
इस बार 30 से 40 प्रतिशत निजी स्कूलों ने बढ़ायी फीस
इस बार करीब 30 से 40 प्रतिशत निजी स्कूलों ने फीस बढ़ायी है। फीस में करीब 8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई। अफसरों का कहना है कि अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम-2020 के तहत पहले से ही यह तय है कि स्कूल सालभर के लिए अधिकतम 8 प्रतिशत फीस बढ़ा सकते हैं। रायपुर में करीब 9 सौ स्कूल हैं। इनमें से फीस के अनुसार स्कूलों को तीन कैटेगरी में बांटने जाता है तो, ए कैटेगरी में करीब 10 स्कूल हैं। ऐसे स्कूलों की प्राइमरी की सालाना फीस 50 हजार रुपए से लेकर 1 लाख तक की है। बी कैटेगरी में करीब 100 स्कूल हैं। इन स्कूलों में प्राइमरी की फीस 35 से 50 हजार तक है। जबकि सी कैटेगरी में बड़ी संख्या में निजी स्कूल हैं। इनकी फीस सालाना 25 हजार से कम है।
फीस समिति में अधिकतम 11 सदस्य
अधिनियम के तहत इस बार निजी स्कूलों में फीस समिति का गठन किया गया। विद्यालय स्तरीय में क्लास के अनुसार सदस्यों की संख्या है। जैसे, कोई स्कूल कक्षा पहली से लेकर बारहवीं तक संचालित है तो इसमें अधिकतम 11 सदस्य हैं। इसमें पैरेंट्स की संख्या 8, एक स्कूल प्रबंधन समिति का अध्यक्ष, एक प्रिंसिपल और एक नोडल अधिकारी है। जो 8 पैरेंट्स हैं, उनमें से 4 स्कूल तय करेंगे, जबकि 4 पैरेंट्स के नाम कलेक्टर से अनुमोदित किए जाएंगे। इसी तरह यदि कोई स्कूल सिर्फ प्राइमरी तक है तो वहां विद्यालय समिति के सदस्यों की संख्या 5 होगी। मिडिल तक की जहां पढ़ाई है, वैसे स्कूलों में समिति के सदस्यों की संख्या 7 और हाई स्कूल के लिए सदस्यों की संख्या 9 होगी।