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सिलगेर गोलीकांड की जांच करना चाहता था अनुसूचित जनजाति आयोग; अचानक रद्द हुआ दौरा, सचिव का भी ट्रांसफर

4 years ago
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सिलगेर में प्रदर्शन के दौरान की एक तस्वीर। आदिवासी सीआरपीएफ पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे।

 

 

 

 

रायपुर 13 जून 2021/    नक्सल प्रभावित बस्तर में सिलगेर सीआरपीएफ कैंप का विरोध कर रहे आदिवासियों का धरना जरूर खत्म हो गया, लेकिन सरकार की फजीहत जारी है। अब सामने आया है कि राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग मामले की जांच करना चाहता था। अचानक उनका दौरा रद्द कर दिया गया। इस बीच आयोग के सचिव एचके सिंह उइके का भी ट्रांसफर कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज इसे सरकार की मनमानी बता रहा है।

आयोग के लिए रेस्ट हाउस भी बुक किया, फिर अचानक रद्द हुआ दौरा

छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के सचिव एचके सिंह उइके ने 28 मई को सर्व आदिवासी समाज के कांकेर, कोण्डागांव, बस्तर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बीजापुर और सुकमा जिलाध्यक्षों को पत्र लिखा था। इसमें दैनिक भास्कर में प्रकाशित सिलगेर गोलीकांड संबंधी रिपोर्ट का हवाला था। ऐसा ही पत्र बस्तर संभाग के सभी जिला पंचायत अध्यक्षों और शासकीय जनजाति अधिकारी-कर्मचारी सेवक संघ जैसे संगठनों को भी भेजा गया था। इसमें समाज के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए 4 जून को बस्तर संभाग आयुक्त कार्यालय सभागार में बुलाया गया था। पत्र के साथ यह स्पष्ट तौर पर लिखा था कि इस बैठक के लिए आयाेग की उपाध्यक्ष राजकुमारी दीवान और सदस्य नितिन पोटाई का अनुमोदन ले लिया गया है। बताया जा रहा है कि आयोग के सचिव की ओर से 2 से 5 जून तक के लिए रेस्ट हाउस में कमरा भी बुक करा लिया गया। इस बीच अचानक सरकार सक्रिय हुई और आयोग को सिलगेर मामले से दूर रहने को कह दिया गया। आनन-फानन में आयोग ने अपना दौरा कैंसिल कर दिया। मामला यहीं नहीं थमा। सरकार ने अनुसूचित जनजाति आयोग के सचिव एचके सिंह उइके का ट्रांसफर कर आदिम जाति विकास विभाग में बुला लिया। उनकी जगह एक रिटायर्ड अफसर केएस ध्रुव को संविदा पर आयोग का सचिव नियुक्त किया गया है। आंदोलन खत्म होने के बाद आदिवासियों का दल सिलगेर से लौट गया है। लेकिन इस आंदोलन ने सरकार को सवालों से घेर लिया है।

आदिवासी समाज बोला, भारी पड़ेगा यह हस्तक्षेप

सर्व आदिवासी समाज के बीएस रावटे ने कहा, सिलगेर में जाे हुआ वह सुरक्षा बलों की मनमानी का नतीजा था। सरकार भी वही कर रही है। अनुसूचित जनजाति आयोग ऐसे मामलों में आदिवासियों की बात नहीं सुनेगा तो कबके लिए उसे बनाया गया। सरकार ने पिछले दो-ढाई वर्ष से आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की। अब जांच की कोशिश को भी रोका जा रहा है। यह गलत है और सरकार के लिए यह भारी पड़ेगा। समाज में काफी आक्रोश है। सरकार नेताओं को वहां जाने से रोक रही है। अब गांव-गांव में लोग घरों के बाहर पोस्टर लगाकर विरोध जता रहे हैं।

मंत्री ने कहा, आयोग तो स्वतंत्र है

इस पूरे विवाद में अफसरों ने चुप्पी साध ली है। आदिम जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम का दावा है कि सिलगेर मामले में सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, अनुसूचित जनजाति आयोग एक स्वतंत्र संगठन है। उसके कामकाज में सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं कर रही है। सचिव के ट्रांसफर को भी उन्होंने सामान्य प्रशासनिक कार्यवाही बताया है सिलगेर में प्रदर्शन के दौरान की एक तस्वीर। आदिवासी सीआरपीएफ पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे।

क्या हुआ था सिलगेर में

नक्सलियों के खिलाफ अभियान में जुटे सुरक्षा बल बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में एक कैम्प बना रहे हैं। स्थानीय ग्रामीण इस कैम्प का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का तर्क है कि सुरक्षा बलों ने कैम्प के नाम पर उनके खेतों पर जबरन कब्जा कर लिया है। ऐसे ही एक प्रदर्शन के दौरान 17 मई को सुरक्षा बलों ने गोली चला दी। इसमें तीन ग्रामीणों की मौत हो गई। भगदड़ में घायल एक गर्भवती महिला की कुछ दिन बाद मौत हुई है। पुलिस का कहना था, ग्रामीणों की आंड़ में नक्सलियों ने कैम्प पर हमला किया था। जिसकी वजह से यह घटना हुई। लंबे गतिरोध और चर्चाओं के बाद 10 जून को ग्रामीण आंदोलन स्थगित कर सिलगेर से वापस लौटे हैं।

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