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गांधी जी भी महामारी की चपेट में आए थे, पर हारे नहीं

4 years ago
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राष्ट्रपिता की 8 बातों से जानिए कैसे कोरोना से खुद को सुरक्षित रखना है ।

1918 में स्पेनिश फ्लू महामारी और 1945 में इन्फ्लूएंजा से महात्मा गांधी भी बीमार हुए थे ।

02 अक्टूबर 2020 /  आज गांधी जयंती है, यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन। नई पीढ़ी पहली बार महामारी के बीच गांधी जी का जन्मदिन मना रही है, जबकि खुद गांधी जी स्पेनिश फ्लू महामारी के दौर से गुजर चुके हैं। इतना ही नहीं 1918 से लेकर 1920 तक चली इस महामारी का शिकार महात्मा गांधी भी हुए थे। कई किताबों में इस बात का जिक्र मिलता है। अपने जीवन में कई बार गंभीर बीमारियों की चपेट में आने के बाद भी गांधी जी ने अनुशासन के बल पर स्वस्थ्य होकर दिखाया है।

इंडियन मेडिकल जर्नल के मुताबिक, वे अपने जीवन में फिजिकल फिटनेस और संतुलित आहार को बहुत जरूरी मानते थे। गांधी जी 1914 में प्लूरिसी, 1918 में स्पेनिश फ्लू, 1929 में गंभीर डिसेंट्री, 1925,1936 और 1944 में मलेरिया, 1939 में गैस्ट्रिक फ्लू और 1945 में इन्फ्लूएंजा की चपेट में आ गए थे।

अब जब कोरोनावायरस दुनियाभर में फैल चुका है और वैज्ञानिक इससे बचने के लिए वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं। हालांकि, अभी यह पता नहीं है कि वैक्सीन हमें कब तक मिल पाएगी। हाल ही में खबरें आईं थीं कि वैक्सीन ट्रायल में रुकावटें आ गई हैं। ऐसे वक्त में हमें गांधी जी की बातों को याद करने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि ‘हम ठोकर खा सकते हैं, गिर सकते हैं, लेकिन फिर उठेंगे। यह काफी होना चाहिए कि हम मैदान छोड़कर भागे नहीं।’ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कुछ ऐसी ही बातें कोरोना के दौर में हमें सुरक्षित रहने की सीख देती हैं।

गांधी जी की बातों में छिपे हैं कोरोना से लड़ने के राज….

ऐसे जियो जैसे कि आप कल मरने वाले हो इस तरह से सीखो कि जैसे कि आपको यहां हमेशा रहना है ।
महामारी में जीवन कब तक है किसी को जानकारी नहीं । ऐसे में हर दिन खुलकर जियो, लेकिन बुरे वक्त को लेकर जानकर भी रहो, ताकि दूसरों की मदद कर सको ।

कोई भी मुझे मेरी मर्जी के बिना नुकसान नहीं पहुंचा सकता ।
जब तक आप नहीं चाहेंगे, तब तक कोई भी बगैर मास्क के आपके करीब आकर बात नहीं कर सकता है । कितना संपर्क रखना चाहते हैं, यह आप ही तय करेंगे ।

मैं किसी को भी अपने दिमाग में गंदे पैरों के साथ जाने नहीं दूंगा ।
कोई कितना भी इस बात की वकालत करे कि मास्क पहनने, दूरी बनाने से कुछ नहीं होता, लेकिन आप जानते हैं कि यह झूठ है। स्वास्थ्य एजेंसियों की बात को गंभीरता से लें ।

स्वास्थ्य ही असली संपत्ति है ना कि सोने और चांदी के टुकड़े ।
संक्रमण से बचने के उपायों का स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव न पड़ने न दें । घर में है तो एक्सरसाइज करें, अच्छा रूटीन बनाएं, बेहतर लाइफस्टाइल अपनाएं । मानसिक तौर पर भी स्वस्थ रहें ।

भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आप आज क्या कर रहे हैं ।
संक्रमण किसी को भी हो सकता है, लेकिन अगर सजग रहेंगे तो काफी हद तक खुद को इससे बचा सकते हैं । आज लापरवाही करने का नतीजा खराब हो सकता है । कोरोना से आज सावधान रहेंए कल सुरक्षित रहें ।

ऐसा कुछ भी नहीं है जो चिंता की तरह शरीर को बर्बाद करें और जिसे भगवान में थोड़ा भी विश्वास है, उसे किसी भी चीज के बारे में चिंता करने पर शर्मिंदा होना चाहिए ।
कोरोना महामारी को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक है लेकिन इसके कारण मानसिक रूप से बीमार होना भी सही नहीं है ।दिमागी तौर पर स्वस्थ रहें और ईश्वर पर भरोसा बनाए रखें ।

आपको इंसानियत से भरोसा नहीं खोना है । इंसानियत एक समुद्र की तरह होती है, अगर समुद्र की कुछ बूंदे
गंदी हो गई है, तो इससे सारा समुद्र गंदा नहीं हो जाएगा ।
अगर सब कुछ बुरा ही हो रहा है तो परेशान ना हो । सकारात्मक रहे क्योंकि दुनिया बहुत बड़ी है, अगर कहीं कुछ उथल पुथल हो भी गई तो ऐसा नहीं है ऐसा नहीं है कि सब खत्म हो गया ।

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