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आरक्षण विवाद गहराया: सीएम बघेल का राज्यपाल पर निशाना, बोले- विधेयक पर हस्ताक्षर करने में तकलीफ क्यों
रायपुर, 25 जनवरी 2023/ छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक विवाद गहराता जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधेयक को लेकर एक बार फिर राज्यपाल पर आड़े हाथ लिया है। उन्होंने विधेयक पर हस्ताक्षर को लेकर राज्यपाल पर आरोप लगाते हुए पूछा है कि बिल पर हस्ताक्षर करने में तकलीफ क्यों हो रही है।
आरक्षण के ‘मार्च पर आई राजभवन की सफाई
छत्तीसगढ़ विधानसभा से पारित आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर मार्च तक इंतजार करने वाले राज्यपाल अनुसुईया उइके के बयान पर राजभवन की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया है। इसमें कहा गया है कि मार्च तक इंतजार करने के संबंध में वस्तुस्थिति यह है कि राज्य शासन और सर्व आदिवासी समाज ने मामले में एक पिटीशन दायर कर रखी है जिस पर मार्च तक निर्णय आने की संभावना है।
इसी परिप्रेक्ष्य में पत्रकारों के प्रश्न पर राज्यपाल उइके ने कहा था कि मार्च तक इंतजार करिए। बता दें कि राज्यपाल के इस बयान के बाद प्रदेश में एक बार फिर आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराहट देखने को मिली। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तल्ख लहजे से कहा था कि राज्यपाल आरक्षण विधेयक को लेकर बैठी हैं, यह संविधान के प्राप्त अधिकारों का दुरूपयोग है, मार्च में ऐसा कौन सा मुहूर्त निकलने वाला है।
19 सितंबर 2019 को हाई कोर्ट बिलासपुर के निर्णय के बाद जनजाति समाज का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। शासन और सर्व आदिवासी समाज ने हाई कोर्ट के निर्णय के विरूद्ध स्थगन मांगा था मगर कोर्ट ने स्थगन नहीं दिया है। इसी पिटीशन में समाज ने मांग की है कि आरक्षण फिर से 32 प्रतिशत किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को चार मार्च 2023 तक उत्तर देने के लिए कहा है।
साथ ही 22-23 मार्च 2023 को अंतिम सुनवाई कर अपना निर्णय देने की बात कही है। राजभवन की ओर से दिए गए स्पष्टीकरण में यह भी कहा गया है कि कुछ लोगों द्वारा संवैधानिक प्रमुख के लिए अमर्यादित भाषा बोलना उपयुक्त नहीं है। राज्यपाल द्वारा पूर्व में भी शासन से क्वांटीफाइबल डाटा की रिपोर्ट तलब की गई है जो कि प्राप्त नहीं हुई है। साथ ही 10 प्रश्नों का उत्तर भी संतोषजनक नहीं मिला है।
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