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मां बम्लेश्वरी का सजा दरबार, दर्शन के लिए लगी भक्तों की लंबी कतार, 2000 साल पुराना है मंदिर का इतिहास
राजनांदगांव, 26 सितंबर 2022/ दुर्ग संभाग से 67 किलोमीटर और राजनांदगांव जिला मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां साल भर भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्रि में यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। नवरात्रि के पहले दिन सोमवार को मां के दरबार में माथा टेकने के लिए देर रात से भक्तों का जत्था पहुंचना शुरू हो गया है।
नवरात्रि में नव दिन तक डोंगरगढ़ में हर दिन लाखों भक्त मां के दर्शन करने पहुंचते हैं। दूसरे राज्यों तक से भक्त बड़ी संख्या में यहां आते हैं। इसी कारण डोंगरगढ़ रेलवे स्टेशन में हर एक्सप्रेस व लोकल ट्रेन का स्टॉपेज है। इतना ही नहीं कई बार तो यहां स्पेशल ट्रेन तक चलाई जाती है। लोगों की आस्था और उनकी सुरक्षा को लेकर जिला व पुलिस प्रशासन भी काफी गंभीर रहता है। सुरक्षा में किसी तरह की चूक हो इसके लिए पूरा ध्यान रखा जाता है। यहां चप्पे-चप्पे पर पुलिस व सीसीटीवी कैमरों की नजर रहती है। हर एक भक्त को माता के दरबार पहुंचने से पहले एक विशेष प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। स्कैनर से स्कैन करने के साथ उसकी पूरी तलाशी ली जाती है। इसके बाद ही भक्त मंदिर प्रांगण में घुस पाता है।
आनलाइन भी दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु
मां बम्लेश्वरी का दरबार 1600 मीटर ऊंची पहाड़ी पर है। श्रद्धालुओं को यहां तक पहुंचने के लिए 1100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ेगी। हालांकि यहां रोपवे की भी व्यवस्था है। इसके अलावा आनलाइन दर्शन की भी सुविधा उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की गई है। पहाड़ी पर स्थित मां बम्लेश्वरी का मुख्य मंदिर है। उन्हें बड़ी बम्लेश्वरी के रूप में जाना जाता है।
छोटी माता के दर्शन बगैर नहीं मिलता पूरा फल
डोंगरगढ़ में 1600 फिट ऊंचाई पर स्थित बम्लेश्वरी माता के मंदिर के अलावा नीचे समतल भाग में भी एक मंदिर है। पहाड़ के मंदिर को बड़ी बम्लेश्वरी का मंदिर और नीचे समतल जमीन पर स्थित मंदिर को छोटी बम्लेश्वरी के नाम से जाना जात है। ऐसी मान्यता कि दर्शन का पूरा फल तभी मिलता है जब दोनों माता के दर्शन पूरे होते हैं। इसके साथ ही यहां प्राचीन बजरंगबली मंदिर, नाग वासुकी मंदिर, शीतला और दादी मां जैसे और भी मंदिर स्थित हैं।
बेहतर कारोबार की उम्मीद
नवरात्र पर यहां मेला शुरू हो गया है। पूजन के साथ ही विभिन्न् प्रकार के सामानों की दुकानें सजी हुई हैं। दो साल बाद हो रहे इस मेले को लेकर दुकानदारों को अच्छा खासा कारोबार होने की उम्मीद है।
मंदिर का इतिहास
मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास करीब 2000 वर्ष पुराना है। डोंगरगढ़ का इतिहास मध्य प्रदेश के उज्जैन से जुड़ा है। इसे वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था। मां बम्लेश्वरी को मध्य प्रदेश के उज्जयनी के प्रतापी राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी भी कहा जाता है। इतिहासकारों ने इस क्षेत्र को कल्चुरी काल का पाया है। मंदिर की अधिष्ठात्री देवी मां बगलामुखी हैं। उन्हें मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। उन्हें यहां मां बम्लेश्वरी के रूप में पूजा जाता है।
सड़क और ट्रेन मार्ग से पहुंचते हैं भक्त
डोंगरगढ़ हावड़ा मुंबई रेल मार्ग पर स्थित है। यहां स्थित रेलवे स्टेशन पर सभी लोकल व एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टॉपेज दिया गया है। इसके अलावा भक्त सड़क मार्ग से भी यहां पहुंच सकते हैं।