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छत्तीसगढ़ में किसान संगठनों ने जलाया प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री का पुतला; खेतों, घरों और पंचायत भवनों पर लगाया काला झंडा
रायपुर, 26 मई 2021/ दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने और केंद्र में भाजपा की सरकार के 7 वर्ष पूरा होने पर किसानों ने काला दिवस मनाया। छत्तीसगढ़ के किसानों ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ गुस्से का इजहार किया। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ और घटक संगठनों ने जगह-जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मत्री नरेंद्र सिंह तोमर का पुतला जलाया। वहीं खेतों में मजदूरों ने सिर पर काला कपड़ा बांधा, घरों और पंचायत भवनों पर विरोध का काला झंडा लगाया गया।
छत्तीसगढ़ के रायपुर, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, दुर्ग, बेमेतरा, बालोद जिलों में कई जगह प्रदर्शन की खबरें हैं। किसानों ने गांवों में अपने घरों के बाहर या पंचायत भवनों के बाहर प्रदर्शन किया। पुतला फूंका और काले झंडे लगाए। कई जगह प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंप कर केंद्र सरकार से तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की गई।
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष मदनलाल साहू ने कहा, संयुक्त किसान माेर्चा पिछले छह महीने से लगातार आंदोलन कर रहा है। केंद्र सरकार ने कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाने का कानून बनाया है। किसान उसका विरोध कर रहे हैं। हम उस कानून को वापस लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला कानून मांग रहे हैं। जब तक मांगे पूरी नहीं होंगी विरोध जारी रहेगा।
नवा रायपुर क्षेत्र के गांवों में भी विरोध प्रदर्शन देखा गया। रायपुर में भी किसान आंदोलन से सहानुभूति रखने वाले लोगों और संगठनों ने अपने घरों-कार्यालयों और गाड़ियों पर काला झंडा दिखाकर आंदोलन से एकजुटता दिखाने की कोशिश की।
घरों पर लहराता विरोध का काला झंडा।
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने भी किया प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से संबद्ध 20 अन्य संगठनों ने प्रदेश के कोरबा, राजनांदगांव, सूरजपुर, सरगुजा, दुर्ग, कोरिया, बालोद, रायगढ़, कांकेर, जांजगीर-चांपा, मरवाही, बिलासपुर, धमतरी, जशपुर, बलौदा बाजार व बस्तर में प्रदर्शन किया। पांच-पांच के समूह में प्रदर्शनकारियों ने मोदी सरकार का पुतला फूंका। अपने घरों और गाड़ियों पर विरोध का काला झंडा लगाया। छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष संजय पराते ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की जनता ने इन कानूनों के खिलाफ जो तीखा प्रतिवाद दर्ज किया है, उससे स्पष्ट है कि मोदी सरकार के पास इन जनविरोधी कानूनों को निरस्त करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
किसानों ने ट्रैक्टर पर भी काला झंडा लगाकर दिखाया विरोध।
केंद्र सरकार पर सार्वजनिक उद्यमों को बेचने का आरोप
किसान संगठनों ने कहा, केंद्र सरकार 5 जून 2020 को अध्यादेश के जरिए एक किसान और कृषि विरोधी कानून थोपा है। उसके खिलाफ किसानों के आंदोलन को छह महीने हो गए। अब मोदी सरकार रेलवे, बैंक, बीमा, भेल, विमान कंपनियों जैसे सार्वजनिक उद्यमों को निजी हाथों में बेच रही है। कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए ही श्रम कानूनों में संशोधन कर मजदूर विरोधी चार कानून बनाए गए।
कोरोना से मौतों के लिए भी केंद्र को जिम्मेदार बताया
किसान संगठनों ने कहा, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कोरोना जैसी महामारी के पहले चरण में नमस्ते ट्रंप किया और दूसरे चरण में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बहाने कोरोना का संक्रमण बढ़ाया। देश के लाखों लोग कोरोना से अपनी जान गवां चुके हैं, आज भी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है। उसके बावजूद सरकार करोड़ो रुपए का अनावश्यक खर्च कर सेंट्रल विस्टा बनाने में लगी हुई है।
खेत में काम कर रही महिलाओं ने सिर पर काला कपड़ा बांधकर कृषि कानूनों का वापस लेने की मांग की।
कांग्रेस सहित 12 राजनीतिक दलों का किसानों का समर्थन
कांग्रेस समेत 12 राजनैतिक दलों ने संयुक्त किसान मोर्चा के इस प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा को सौंपे समर्थन पत्र में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, जनता दल-एस प्रमुख एचडी देवगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन, झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख हेमंत सोरेन, नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूख अब्दुला, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव, सीपीआई प्रमुख डी. राजा, मार्क्सवादी कम्यूनिष्ट पार्टी प्रमुख सीताराम येचुरी के हस्ताक्षर हैं।