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भाजपा के पूर्व विधायक ने यह लिखते हुए छत्तीसगढ़ CM को भेजा 2500 का चेक, 10 दिन बाद भूपेश बघेल बोले– इसे प्रधानमंत्री जी को भेजें
रायपुर, 20 मई 2021/ कोरोना काल में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप अलग ही लेवल पर पहुंच गए हैं। छत्तीसगढ़ में भाजपा के पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल ने मुख्यमंत्री के पते पर 2500 रुपए का चेक भेजा था। उसके साथ लिखे पत्र में उन्होंने कहा था, अनियंत्रित कोविड-19 से वेंटिलेटर पर पड़ी राज्य सरकार की दुखद मृत्यु हो गई है। अंतिम संस्कार के लिए अपनी ओर से वे 2500 रुपया दे रहे हैं। अब 10 दिन बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि आपने चेक गलत पते पर भेज दिया। इसे प्रधानमंत्री जी अथवा गृहमंत्री जी को भेजें।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लिखा, प्रिय देवजी भाई पटेल जी! आपकी सूचना गलत है। राज्य सरकार ने कोई कानून कोरोना के लिए नहीं बनाया है। दूसरे राज्यों की तरह हम भी आपदा प्रबंधन कानून के तहत केंद्र के आदेशों का पालन कर रहे हैं। आपने पत्र और धनराशि गलत पते पर भेजा है। इसे प्रधानमंत्री जी अथवा गृहमंत्री जी को भेजें। मुख्यमंत्री, देवजी भाई पटेल के 12 मई को भेजे पत्र और 2500 रुपए के चेक की बात कर रहे थे।
चेक के साथ भेजे गए पत्र में देवजी भाई ने लिखा था, सर्वविदित है कि प्रदेश में फैले अनियंत्रित कोविड-19 से वेंटिलेटर में पड़ी छत्तीसगढ़ सरकार की दुखद मृत्यु हो गई है। छत्तीसगढ़ का जिम्मेदार नागरिक होने के नाते आपकी सरकार द्वारा बनाए निष्ठुर कानून को समाहित करते हुए छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के अंतिम संस्कार के लिए 2500 रुपए का चेक सौंपने खुद आना चाहता था। पता चला है कि मुख्यमंत्री तो नेता प्रतिपक्ष और मुख्य विपक्षी दल के अध्यक्ष को भी मिलने का समय नहीं देते तो मुझ सामान्य नागरिक से कौन मिलेगा। ऐसे में चेक पत्र व्यवहार के जरिए भेज रहा हूं।
मीटिंग विवाद के बीच आया था पत्र
दरअसल यह पत्र भाजपा और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच बैठक को लेकर उठे विवाद की पृष्ठभूमि में आया था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने 8 मई को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 9 मई को बैठक का समय मांगा था। इसमें उनके साथ नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, सांसद सुनील सोनी, विधायक अजय चंद्राकर और बृजमोहन अग्रवाल को शामिल होने का प्रस्ताव था। मुख्यमंत्री ने इसका स्वागत किया लेकिन बैठक को वर्चुअल आयोजित करने का प्रस्ताव दे दिया। भाजपा भड़क गई। 9 मई को भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा।
इस विवादित आदेश पर भी था निशाना
निजी अस्पतालों में कोरोना से हुई मरीज की मौत के बाद बॉडी को सुरक्षित पैक करने के एवज में निजी अस्पतालों की ओर से अधिक पैसे की मांग आ रही थी। इसकी शिकायतों के बाद दिसम्बर 2020 स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश जारी किया था। इससे मृतक मरीज के शव को पैक करने के नाम पर अधिकतम 2500 रुपए ही लेने को कहा गया था। इस आदेश की विपक्ष ने बड़ी आलोचना की। भारी विरोध और कफन के लिए भी पैसा लूटने के आरोपों के बीच निजी अस्पतालों ने खुद ही इस मद में कोई पैसा लेने से इन्कार कर दिया है।