• breaking
  • Chhattisgarh
  • महिला एवं बाल विकास विभाग ने संचालक की अध्यक्षता में बनाई जांच समिति, सचिव ने पांच दिनों में मांगी रिपोर्ट

महिला एवं बाल विकास विभाग ने संचालक की अध्यक्षता में बनाई जांच समिति, सचिव ने पांच दिनों में मांगी रिपोर्ट

4 years ago
116

Government on backfoot; Women and Child Development Department constituted  inquiry committee headed by Director, Secretary asked for report in five  days | महिला एवं बाल विकास विभाग ने संचालक की अध्यक्षता में

 

 

 

 

 

रायपुर, 17 मई 2021/    मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी टू ईट में अनियमितता की शिकायत लेकर धरना देने वाले महासमुंद के महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले की बगावत से सरकार बैकफुट पर है। अफसर की गिरफ्तारी के बाद डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू हुई है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने विभागीय संचालक जनमेजय महोबे की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय टीम को उन शिकायतों की जांच सौंपी है जिन्हें बोदले ने उठाया था।

महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव रीना बाबा साहब कंगाले ने इस जांच समिति में विभाग की संयुक्त संचालक क्रिस्टीना लाल, संयुक्त संचालक वित्त भावेश कुमार दुबे, उप संचालक आरजे कुशवाहा और उप संचालक प्रियंका केश को शामिल किया है। इन पांचों लोगों को महासमुंद जिले में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी टू ईट में हुई अनियमितता के आरोपों की जांच करनी है। इस समिति को जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के लिए पांच दिनों का समय दिया गया है।

बताया जा रहा है कि महासमुंद में अफसर के अपने ही घर में अनशन पर बैठ जाने की जानकारी मिलने के बाद सरकार में हड़कंप मच गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कार्यालय भी सक्रिय हो गया। महासमुंद प्रशासन से रिपोर्ट मांगी गई। महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया ने भी अफसरों को तलब कर उन शिकायतों की जानकारी ली। उसके बाद विभाग ने जांच समिति के गठन का आदेश जारी किया।

 

इस तरह की गड़बड़ी की शिकायत

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत जोड़ों को कुछ सामान दिया जाता है। इसके लिए टेंडर होता है। आरोप है कि 2020 और 2021 में ब्रांडेड बताकर लोकल सामग्री बांट दी गई। इसका पता सत्यापन के दौरान चला था। इसी साल गुणवत्ता विहीन रेडी-टू-ईट वितरण का मामला पकड़ा गया। यह दोनों मिलाकर करीब 30 लाख रुपए की अनियमितता बताई जा रही है। आरोप महासमुंद के ही बाल विकास परियोजना अधिकारी विजय सरल पर हैं।

ऐसे बनी अफसर की बगावत की भूमिका

महासमुंद के महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले का कहना है, 23 अप्रैल 2020 को कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपी थी। फिर इसी साल 5 मई और 10 मई को भी कलेक्टर को पत्र लिखा, पर कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई नहीं हुई तो अफसर ने बगावत कर दी। उन्होंने कलेक्टर को पत्र लिखकर बाकायदा अनशन की अनुमति मांगी। लॉकडाउन का हवाला देकर कलेक्टर ने ऐसी अनुमति देने से इनकार कर दिया। नाराज अफसर ने अपने घर में ही बैनर लगाकर अनशन शुरू कर दिया। बाद में पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

अफसर के अनशन पर विपक्ष ने भी दिखाए तेवर

अफसर के अपने ही विभाग के खिलाफ अनशन पर बैठने की सूचना मिलते ही राजनीतिक दल खासकर विपक्ष भी सक्रिय हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर मामले की जांच रिटायर्ड जज की निगरानी में कराने की मांग कर दी। रमन सिंह ने लिखा कि यह केवल एक जिले अथवा विभाग का मामला नहीं है, पूरे प्रदेश में गंभीर वित्तीय अनियमितता तथा भ्रष्टाचार-लूटपाट की छूट मिल गई है। रमन सिंह ने कहा, राज्य गठन के बाद किसी जिला स्तरीय अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार और कदाचरण के मुद्दे पर अनशन पर बैठने की यह पहली घटना है।

Social Share

Advertisement