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छत्तीसगढ़ के गांवों में कोरोना के टीके से मौत की अफवाहों पर ध्यान नहीं दिया; 45+ उम्र वालों का 100% वैक्सीनेशन हुआ
छत्तीसगढ़ के अलावा देश के कई ऐसे गांव हैं, जहां ग्रामीण कोरोना का टीका नहीं लगवा रहे। स्वास्थ्य विभाग की टीम को भगा रहे हैं, झगड़ रहे हैं, मगर राजधानी रायपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर मानिकचौरी गांव के ग्रामीणों ने जागरूकता का परिचय दिया है। यहां 45+ एज कैटेगरी में 100% लोगों ने टीका लगवाया है। इस गांव की आबादी लगभग 1900 के करीब है। यहां रहने वाले 367 लोग 45 साल से अधिक उम्र के हैं। सभी अब टीके की दूसरी डोज लगाने के लिए वैक्सीनेशन सेंटर पहुंच रहे हैं। मानिकचौरी गांव की 70 साल की मेहतरीन ने हाल ही में दूसरा डोज लगवाया है।
झूठी खबरों से डर गए थे ग्रामीण
गांव की रहने वाली ग्राम संगठन की सचिव लक्ष्मी चंद्राकर ने बताया कि जब शुरुआती दौर में वैक्सीनेशन शुरू हुआ तो वॉट्सऐप पर खबरें आनी लगीं। उनमें लिखा होता था कि टीका न लगवाएं, इससे लोगों की मौत हो रही है। इस बीच गांव में एक बुजुर्ग को टीका लगा, उन्हें हल्का बुखार हुआ था, वो एक सप्ताह तक घर में ही आराम कर रहे थे। ये बात भी गांव वालों में फैल गई कि टीका लगवाने के बाद वो बुजुर्ग घर से बाहर नहीं आए, कुछ गड़बड़ है। इस बात ने लोगों में भय भर दिया था।
गांव के लोगों को 7-8 महिलाओं के समूह ने जागरूक किया, अब हर दिन लोगों से मिलकर उनका हाल-चाल जानती हैं।
महिलाओं की टीम ने गांव का दौरा किया, तब बदली सूरत
जिला पंचायत के स्वामी मृत्युंजय गांव की आदर्श महिला कलस्टर संगठन की महिलाओं से बात की। इसके बाद करीब एक महीने तक गांव के हर घर में महिलाओं की टीम पहुंची। इस टीम की प्रमुख सुनीता पाल ने बताया कि तब गांव वाले टीका लगवाने से इनकार कर देते थे, वो कहते थे कि टीका लगवाने से हमें कुछ नहीं होगा, इसकी जवाबदारी कौन लेगा।
टीम की महिलाओं ने अपने परिवार के लोगों को भी टीका लगवाया और उदाहरण के तौर पर उनके बारे में ग्रामीणों को बताया। सभी को बताया गया कि वैक्सीनेशन के बाद मामूली बुखार होता है, मगर ये हमें कोरोना से बचाता है। बार-बार घर-घर जाकर कही गई बातों का असर हुआ और लोग टीकाकरण केंद्र जाने लगे।
गांव की गलियों में कोई पाबंदी नहीं थी, मगर लोग खुद ही घरों में रह रहे थे।
सेल्फ लॉकडाउन का करते हैं पालन
रायपुर के कलेक्टर ने 31 मई तक लॉकडाउन लागू करने का आदेश जारी किया है। शहर से दूर बसे इस गांव में हर पल न तो पुलिस की गश्त होती है, न ही शहरों की तरह प्रशासनिक अमले की नजर में लोग रहते हैं। इसके बाद भी यहां ग्रामीण खुद ही लॉकडाउन का पालन करते नजर आए। गांव की गलियों में सन्नाटा था। कोई भी यहां बेवजह बाहर घूमता नजर नहीं आया।