36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में से आधे 50 फीसदी टेस्ट भी आरटी-पीसीआर से नहीं कर रहे
नई दिल्ली, 09 अप्रैल 2021/ कोरोना संक्रमण पर लगाम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मुख्यमंत्रियों से बातचीत में फिर कहा कि कुल टेस्ट के 70% टेस्ट आरटी-पीसीआर ही किए जाएं। इसके बावजूद राज्य रैपिड एंटीजन टेस्ट पर भरोसा कर रहे हैं और संक्रमण बढ़ता जा रहा है।
महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, छत्तीसगढ़ ने फरवरी से अप्रैल के बीच में आरटी-पीसीआर टेस्ट लगातार घटाए हैं। ये भी एक वजह है कि इन राज्यों में संक्रमण तेजी से बढ़ा है। फरवरी तक देश में औसत 58% टेस्ट आरटी-पीसीआर से हो रहे थे। अब संक्रमण हावी हो चुका है, तब भी देश में 61% टेस्ट ही आरटी-पीसीआर से हो रहे हैं।
36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में से आधे ऐसे हैं, जो 50% टेस्ट भी आरटी-पीसीआर से नहीं कर रहे हैं। सिर्फ 12 राज्य ऐसे हैं, जो 70% या ज्यादा आरटी-पीसीआर टेस्ट कर रहे हैं। पांच राज्य ऐसे हैं, जो 50% से अधिक, लेकिन तय मात्रा से कम आरटी-पीसीआर कर रहे हैं। 12 राज्य 40% या कम आरटी-पीसीआर टेस्ट कर रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि राज्यों में आरटी-पीसीआर टेस्ट कम हो रहे हैं। 70% टेस्ट आरटी-पीसीआर होने चाहिए।
आरटी-पीसीआर ही क्यों?
आईसीएमआर वैज्ञानिक डॉ. समीरन पांडा के मुताबिक, एंटीजन टेस्ट में सेंसिटिविटी कम होती है। कई बार गलत रिपोर्ट आने की आशंका रहती है। मरीज में लक्षण न दिखे तो एंटीजन टेस्ट ज्यादा कारगर नहीं होता। लक्षण वाले मरीजों में यह ज्यादा कारगर है। जहां जल्द जांच करने की जरूरत हो, वहां एंटीजन टेस्ट होना चाहिए।
इसके नतीजे 15 मिनट में आ जाते हैं। ऐसे मरीज जिनमें लक्षण हों लेकिन एंटीजन में रिपोर्ट निगेटिव आई हो, उनका आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य करने के निर्देश दिए हैं। आरटी-पीसीआर टेस्ट कम होने से इसका खतरा बना रहता है।