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किसान आंदोलन : सरकार ने किसानों को फिर बातचीत का न्योता भेजा; 30 हजार और किसान दिल्ली आने की तैयारी कर रहे

4 years ago
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तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं।

 

नई दिल्ली, 24 दिसंबर 2020/  कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 29वां दिन है। सरकार ने गुरुवार को एक और चिट्ठी लिखकर किसानों से बातचीत के लिए दिन और समय तय करने की अपील की। चिट्ठी में लिखा है कि किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए सरकार गंभीर है। इससे एक दिन पहले यानी बुधवार को ही किसानों ने सरकार के पिछले न्योते को ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था कि सरकार के प्रपोजल में दम नहीं, नया एजेंडा लाएं तभी बात होगी।

30 हजार किसान 2 दिन बाद दिल्ली रवाना होंगे
हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों से किसानों का दिल्ली पहुंचने का सिलसिला जारी है। 26 दिसंबर को पंजाब के खनौरी से और 27 दिसंबर को हरियाणा के डबवाली से 15-15 हजार किसान दिल्ली के लिए रवाना होंगे।

किसानों के समर्थन में राहुल राष्ट्रपति से मिले

कांग्रेस नेता राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद और अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर किसानों के मामले में दखल देने की अपील की। कांग्रेस नेताओं ने 2 करोड़ किसानों के साइन किए हुए ज्ञापन राष्ट्रपति को सौंपे। उधर, धारा 144 लागू होने के बावजूद किसानों के समर्थन में मार्च निकालने की वजह से प्रियंका गांधी और दूसरे कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

5 दिन में सरकार की दूसरी चिट्‌ठी
केंद्र सरकार ने आंदोलन कर रहे किसानों एक और खत लिखा है। खत में किसानों से अगले दौर की बातचीत के लिए तारीख और समय तय करने को कहा गया है। इससे पहले सरकार ने 20 दिसंबर को किसान नेताओं को खत लिखकर बातचीत का समय तय करने को कहा था, जिसे किसानों ने बुधवार को नकार दिया था।

किसानों की दो टूक- सरकार हमारी अनदेखी कर आग से खेल रही
उन्होंने सरकार से बातचीत का प्रपोजल बुधवार को ठुकरा दिया। किसानों ने कहा कि सरकार के प्रपोजल में दम नहीं, नया एजेंडा लाएं तभी बात होगी। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, सरकार किसानों की अनदेखी कर आग से खेल रही है, उसे जिद छोड़नी चाहिए।

सरकार के प्रपोजल के किस पॉइंट पर किसानों ने क्या दिया जवाब?

  • कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने 20 दिसंबर को किसान नेता डॉ. दर्शनपाल को प्रपोजल भेजा था। इसलिए जवाब भी दर्शनपाल की ई-मेल से संयुक्त सचिव को ही भेजा गया है।
  • किसानों ने लिखा है- आपने पूछा था कि हमारी पिछली चिट्ठी एक आदमी की राय है या सभी संगठनों की। हम बता दें कि यह संयुक्त मोर्चे की सहमति से भेजा गया जवाब था। इस पर सवाल उठाना सरकार का काम नहीं है।
  • आपकी चिट्ठी भी आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश थी। सरकार कथित किसान नेताओं और ऐसे कागजी संगठनों के साथ पैरेलल बातचीत कर आंदोलन को तोड़ने की कोशिश कर रही है, जिनका आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है।
  • प्रदर्शनकारी किसानों से ऐसे निपट रहे हैं मानों वे संकटग्रस्त लोग न होकर सरकार के राजनीतिक विरोधी हैं। आपका यह रवैया विरोध प्रदर्शन तेज करने के लिए मजबूर कर रहा है।
  • हम हैरान हैं कि सरकार अब भी तीन कानूनों को रद्द करने की हमारी मांग को समझ नहीं पा रही। कई दौर की बातचीत में साफ तौर पर बताया गया कि कानूनों में ऐसे बदलाव हमें मंजूर नहीं हैं।
  • 5 दिसंबर को मौखिक प्रपोजल खारिज करने के बाद हमें बताया गया कि सरकार के साथ चर्चा के बाद ठोस प्रपोजल भेजा जाएगा, लेकिन 9 दिसंबर को जो प्रस्ताव भेजे, वे 5 दिसंबर की चर्चा वाले ही थे जिन्हें हम पहले ही खारिज कर चुके हैं।
  • आपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बारे में जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें ऐसा कोई भी साफ प्रस्ताव नहीं है जिसका जवाब दिया जाए।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आप मौजूदा खरीद सिस्टम से संबंधित लिखित भरोसे का प्रस्ताव रख रहे हैं। किसान संगठन राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिश के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (सी2+50%) पर सभी फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
  • बिजली अधिनियम (संशोधन) विधेयक के ड्राफ्ट पर प्रस्ताव साफ नहीं है। जब तब आप क्रॉस सब्सिडी बंद करने के प्रोविजन के बारे में साफ नहीं करते, तब तक इस पर जवाब बेकार है।
  • हम बातचीत के लिए तैयार हैं और इंतजार कर रहे हैं कि सरकार कब खुले मन, खुले दिमाग और साफ नीयत से इस चर्चा को आगे बढ़ाए।
  • अपील करते हैं कि बेकार के बदलावों के खारिज प्रस्तावों को दोहराने की बजाए ठोस प्रस्ताव भेजें, ताकि उसे एजेंडा बनाकर बातचीत दोबारा शुरू की जा सके।
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