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किसान आंदोलन का 15वां दिन : देशभर में हाईवे घेरने की तैयारी कर रहे किसान बोले- सरकार आंदोलन को कमजोर करना चाहती है

4 years ago
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नई दिल्ली, 10 दिसंबर 2020/  नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन का आज 15वां दिन है। किसानों को मनाने के लिए 6 राउंड बातचीत के बाद सरकार की लिखित कोशिश भी बुधवार को नाकाम हो गई। इसके बाद किसानों ने आंदोलन तेज करने का ऐलान कर दिया। वे अब देशभर में हाईवे जाम करने की तैयारी कर रहे हैं। इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता मंजीत सिंह ने कहा है कि सरकार हमारे आंदोलन को कमजोर करना चाहती है। लेकिन, इसमें शामिल होने के लिए बहुत सारे किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं। हम दिल्ली के लोगों से भी सपोर्ट की अपील कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री बोले- किसान आंदोलन में चीन-पाकिस्तान का हाथ
सरकार कानून वापस नहीं लेने की जिद पर अड़ी है, तो किसान भी अपनी बात पर डटे हैं। बयानबाजी भी हो रही है। केंद्रीय खाद्य आपूर्ति राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे ने का कहना है कि किसानों के आंदोलन में पाकिस्तान का चीन का हाथ है। दानवे ने कहा कि पहले CAA और NRC को लेकर मुसलमानों को भड़काया गया। ये कोशिशें नाकाम रही तो, अब किसानों को उकसाया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने यह बात बुधवार को औरंगाबाद में हेल्थ सेंटर के इनॉगरेशन प्रोग्राम में कही।

किसानों को दूसरे प्रपोजल का इंतजार
सरकार ने कृषि कानूनों में बदलाव करने समेत 22 पेज का प्रपोजल बुधवार को किसानों को भेजा था, लेकिन बात बनने की बजाय ज्यादा बिगड़ गई। किसानों ने सरकारी कागज को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि अब जयपुर-दिल्ली और आगरा-दिल्ली हाईवे समेत तमाम नेशनल हाईवे जाम किए जाएंगे। अंबानी, अडानी के प्रोडक्ट का बायकॉट और भाजपा नेताओं का घेराव किया जाएगा। इस बीच सरकार के दूसरे प्रस्ताव का भी इंतजार रहेगा।

सरकार ने किसानों के 10 अहम मुद्दों में से सबसे बड़ी मांग यानी कृषि कानून रद्द करने की मांग को सिरे से ठुकरा दिया। 5 मुद्दों पर सफाई देने की बात कही और 4 मुद्दों पर मौजूदा व्यवस्था में बदलाव का भरोसा दिया।

 

किसानों का मुद्दा सरकार का जवाब
कृषि सुधार कानूनों को रद्द करें। ऐतराज है तो हम खुले मन से विचार को तैयार हैं।
MSP पर चिंताएं हैं। फसलों का कारोबार निजी हाथों में चला जाएगा। MSP पर लिखित आश्वासन देंगे।
किसानों की जमीन पर बड़े उद्योगपति कब्जा कर लेंगे। किसान की जमीन पर कोई ढांचा भी नहीं बनाया जा सकता। ढांचा बना तो मिल्कियत किसान की।
APMC मंडियां कमजोर होंगी। किसान प्राइवेट मंडियों के चंगुल में फंस जाएगा। राज्य सरकारें प्राइवेट मंडियों का रजिस्ट्रेशन कर सकें और उनसे सेस वसूल सकें, ऐसी व्यवस्था करेंगे।
किसानों की जमीन की कुर्की हो सकती है। वसूली के लिए कुर्की नहीं होगी। फिर भी सफाई देंगे।
किसान सिविल कोर्ट में नहीं जा सकते। यह विकल्प दिया जा सकता है।
पैन कार्ड दिखाकर फसल खरीद होगी तो धोखा भी होगा। राज्य सरकारें फसल खरीदने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन का नियम बना सकेंगी।
पराली जलाने पर जुर्माना और सजा हो सकती है। किसानों की आपत्तियों को दूर किया जाएगा।
एग्रीकल्चर एग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं है। एग्रीमेंट होने के 30 दिन के अंदर उसकी एक कॉपी एसडीएम ऑफिस में जमा कराने की व्यवस्था करेंगे।
नया बिजली विधेयक वापस लें। विधेयक चर्चा के लिए है। किसानों के बिजली बिल के पेमेंट की मौजूदा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा।

 

 

प्रस्ताव में भी राजनीति, हुड्डा और बादल पर डाली बात
किसानों ने सरकार से पूछा था कि किसकी सिफारिश पर कानून आए। सरकार ने लिखित में दिया है कि 2010 में हरियाणा के उस वक्त के मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की लीडरशिप में कमेटी बनी थी। सरकार ने हुड्डा और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के नामों का ही जिक्र किया है, जबकि कमेटी में बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी शामिल थे।

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